ऋषिकेश: परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती के साथ बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी, भारत के कई प्रदेशों से आए बाल संरक्षण अधिकारी, बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष समेत अन्य अधिकारियों ने भेंटवार्ता की.
इस दौरान ऊषा नेगी ने बताया कि हाल ही में देहरादून में बाल अधिकार संरक्षण आयोग की ओर से एक कार्यशाला का आयोजन किया गया. जिसका उद्घाटन मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने किया. इस कार्यक्रम का उद्देश्य बच्चों में बढ़ती नशे की प्रवृत्ति, रोकथाम और पुनर्वास विषयों पर विचार मंथन किया गया.
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने नशीले पदार्थों का शिकार हो रहे युवाओं की बढ़ती संख्या के विषय में चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि नशा युवा मन पर हावी होती एक बीमारी है. नशे की लत से बाहर निकलने के लिए उन्हें परिवार और समाज की सहायता की जरूरत है. नशा करने वाले व्यक्ति को सहायता और सहानुभूति की जरूरत होती है. नशीले पदार्थो का सेवन करने वाले युवा अक्सर मानसिक तनाव से पीड़ित होते हैं और कई बार वे स्वयं भी इससे बाहर निकलने के लिए संघर्ष करते हैं. ऐसे में उन्हें अपनों के साथ की जरूरत होती हैं.
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स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि नशे की लत से बाहर निकलने के लिये आत्मविश्वास और आत्मसंयम की सबसे अधिक जरूरत होती है. साथ ही बाजार में उपलब्ध नशीली चीजों के उत्पादन पर सख्ती से रोक लगानी चाहिए.
युवाओं और बच्चों को नशे से मुक्त करने और नशा मुक्त राष्ट्र बनाने के लिये जागरूकता के साथ शैक्षिक पाठ्यक्रम में नशा मुक्त विषयों को शामिल करना. छात्र एवं युवाओं को शरीर पर पड़ने वाले उनके प्रभावों के बारे में बताना और नशे से संबंधित जानकारी देना जरूरी है.