दिल्ली/देहरादून: एक तरफ जोशीमठ में आज से असुरक्षित भवन गिराए जा रहे हैं. दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट में भी जोशीमठ का मामला गूंज रहा है. आज सबकी नजर सुप्रीम कोर्ट में इसी मामले को लेकर थी. सुप्रीम कोर्ट में अब जोशीमठ भू धंसाव का मामला 16 जनवरी को सुना जाएगा.
बता दें जोशीमठ और आसपास के क्षेत्र में भू-धंसाव के मामले में ज्योतिष्पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की थी. याचिका में जोशीमठ में भूमि धंसाव की घटना को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने और प्रभावित परिवारों को राज्य सरकार द्वारा त्वरित राहत देने और पुनर्वास की व्यवस्था करने की मांग की गई है.
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा था कि ज्योर्तिमठ में भी दीवारों में दरारें आ गई हैं और जमीन भी धंस रही है. इतना ही नहीं नृसिंह मंदिर की दीवारों में भी दरारें आने लग गई हैं. जब कोई विद्वान आपकी सुरक्षा के लिए कोई बात या फिर अध्ययन करके किसी चीज को समाज के सामने रखता है, तब उसकी बातों को हंसी में उड़ा दिया जाता है. उन्हें विकास विरोधी बताया जाता है. उन्होंने कहा विकास के नाम पर जो विनाश होने की आशंकाएं होती हैं, उस विकास के विरोधी हम हैं.
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जोशीमठ में सोमवार शाम तक नौ वॉर्ड के 678 मकानों की पहचान हुई है, जिनमें दरारें हैं. सुरक्षा की नजर से दो होटल को आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत बंद किए गए हैं. 16 जगहों पर अब तक कुल 81 परिवार ही विस्थापित किए जा चुके हैं. जोशीमठ में सरकार का दावा है कि अब तक 19 जगहों पर 213 कमरे में 1191 लोगों के ठहरने की व्यवस्था बनाकर रखी है. आज से जोशीमठ में असुरक्षित भवनों को ढहाया जा रहा है.