ETV Bharat / state

उत्तराखंड राज्य V/S उमेश कुमार मामला, कोर्ट में IO ने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की, सुप्रीम कोर्ट ने जताई नाराजगी

उत्तराखंड राज्य बनाम उमेश कुमार मामले में जांच अधिकारी ने कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की है, जिस पर सुप्रीम कोर्ट जांच अधिकारी की खिंचाई की. कोर्ट ने साफ किया है कि जब इस मामले की जांच चल रही है तो क्लोजर रिपोर्ट कैसे दाखिल हो सकती है? कोर्ट ने अगली सुनवाई पर जांच अधिकारी को व्यक्ति रूप से तलब किया है.

author img

By

Published : Mar 28, 2023, 6:38 PM IST

त्रिवेंद्र सिंह रावत V/S उमेश कुमार मामला
त्रिवेंद्र सिंह रावत V/S उमेश कुमार मामला

नई दिल्ली/देहरादून: उत्तराखंड राज्य बनाम उमेश कुमार (तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत पर आरोप लगाने वाले पत्रकार) मामले में जांच अधिकारी ने सुप्रीम कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की है. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई है. सुप्रीम कोर्ट का कहना कि जब मामले की जांच चल रही है तो अधिकारी ने क्लोजर रिपोर्ट कैसे दाखिल की? केस की अगली सुनवाई 19 अप्रैल को तय की गई है.

सुनवाई के दौरान जस्टिस एमआर शाह ने सवाल किया कि, आप क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करके जांच को कैसे आगे बढ़ा सकते हैं? जस्टिस शाह ने नाराजगी जताते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट में केस लंबित होने पर जांच अधिकारी की टिप्पणी करने की हिम्मत कैसे हुई जांच अधिकारी ने लिखा है कि चूंकि मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, इसलिए उन्होंने क्लोजर रिपोर्ट फाइल की है. सिर्फ इसलिए कि वो सत्ता में हैं, वो ऐसा कर रहे हैं. वो पहले जनसेवक हैं न कि मुख्यमंत्री सेवक. क्लोजर रिपोर्ट जमा करने का आधार ये नहीं हो सकता कि सुप्रीम कोर्ट में कार्यवाही लंबित है. उन्होंने दिमाग का इस्तेमाल नहीं किया है.
पढ़ें- उत्तराखंड सरकार राजद्रोह मामले में वापस नहीं लेगी एसएलपी, विवाद के बाद बदला फैसला

कोर्ट ने आदेश दिया कि जांच अधिकारी को सुनवाई की अगली तारीख पर व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होना होगा और क्लोजर रिपोर्ट जमा करने के लिए अपने आचरण की व्याख्या करनी होगी. मामले की अगली सुनवाई 19 अप्रैल को होगी.

क्या है मामला: बता दें कि, नैनीताल हाई कोर्ट ने 27 अक्टूबर 2020 को उमेश कुमार (तब पत्रकार) व अन्य मामले में पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में सीबीआई जांच का आदेश दिया था. उत्तराखंड सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कहा गया था कि कोर्ट उनकी अर्जी पर भी सुनवाई करे. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में तीन एसएलपी (विशेष अनुमति याचिका) दायर हैं.
पढ़ें- खानपुर विधायक उमेश कुमार के निर्वाचन को नैनीताल HC में चुनौती, 29 नवंबर को होगी अगली सुनवाई

नैनीताल हाईकोर्ट के सीबीआई जांच संबंधी मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत की ओर से पहली एसएलपी दायर है. उमेश कुमार पर राजद्रोह की एफआईआर रद्द करने के हाईकोर्ट के आदेश के विरोध में हरेंद्र सिंह रावत की एक अन्य एसएलपी सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है और तीसरी एसएलपी उत्तराखंड सरकार की ओर से लगाई गई थी. इसी एसएलपी को लेकर क्लोजर रिपोर्ट फाइल की गई है.

उत्तराखंड सरकार की ओर से दायर SLP: दरअसल, साल 2020 में उत्तराखंड सरकार ने नैनीताल हाईकोर्ट के एक फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी लगाई थी. इस फैसले में नैनीताल हाईकोर्ट ने पत्रकार उमेश कुमार से राजद्रोह का मामला हटाने और पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत से जुड़े मामले में सीबीआई जांच के आदेश दिए थे. इसको लेकर त्रिवेंद्र रावत निजी रूप से सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी लगा चुके थे, लेकिन उस दौरान त्रिवेंद्र सिंह रावत क्योंकि मुख्यमंत्री थे तो उत्तराखंड सरकार ने भी इसी मामले पर एसएलपी लगाई थी.

इसी बीच 18 नवंबर 2022 को धामी सरकार की ओर से यही एसएलपी वापस लेने की खबर सामने आई थी लेकिन विवाद बढ़ने और त्रिवेंद्र सिंह रावत की नाराजगी के बाद सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में लगाई गई एसएलपी को यथावत रखने का फैसला लिया था.

नई दिल्ली/देहरादून: उत्तराखंड राज्य बनाम उमेश कुमार (तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत पर आरोप लगाने वाले पत्रकार) मामले में जांच अधिकारी ने सुप्रीम कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की है. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई है. सुप्रीम कोर्ट का कहना कि जब मामले की जांच चल रही है तो अधिकारी ने क्लोजर रिपोर्ट कैसे दाखिल की? केस की अगली सुनवाई 19 अप्रैल को तय की गई है.

सुनवाई के दौरान जस्टिस एमआर शाह ने सवाल किया कि, आप क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करके जांच को कैसे आगे बढ़ा सकते हैं? जस्टिस शाह ने नाराजगी जताते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट में केस लंबित होने पर जांच अधिकारी की टिप्पणी करने की हिम्मत कैसे हुई जांच अधिकारी ने लिखा है कि चूंकि मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, इसलिए उन्होंने क्लोजर रिपोर्ट फाइल की है. सिर्फ इसलिए कि वो सत्ता में हैं, वो ऐसा कर रहे हैं. वो पहले जनसेवक हैं न कि मुख्यमंत्री सेवक. क्लोजर रिपोर्ट जमा करने का आधार ये नहीं हो सकता कि सुप्रीम कोर्ट में कार्यवाही लंबित है. उन्होंने दिमाग का इस्तेमाल नहीं किया है.
पढ़ें- उत्तराखंड सरकार राजद्रोह मामले में वापस नहीं लेगी एसएलपी, विवाद के बाद बदला फैसला

कोर्ट ने आदेश दिया कि जांच अधिकारी को सुनवाई की अगली तारीख पर व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होना होगा और क्लोजर रिपोर्ट जमा करने के लिए अपने आचरण की व्याख्या करनी होगी. मामले की अगली सुनवाई 19 अप्रैल को होगी.

क्या है मामला: बता दें कि, नैनीताल हाई कोर्ट ने 27 अक्टूबर 2020 को उमेश कुमार (तब पत्रकार) व अन्य मामले में पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में सीबीआई जांच का आदेश दिया था. उत्तराखंड सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कहा गया था कि कोर्ट उनकी अर्जी पर भी सुनवाई करे. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में तीन एसएलपी (विशेष अनुमति याचिका) दायर हैं.
पढ़ें- खानपुर विधायक उमेश कुमार के निर्वाचन को नैनीताल HC में चुनौती, 29 नवंबर को होगी अगली सुनवाई

नैनीताल हाईकोर्ट के सीबीआई जांच संबंधी मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत की ओर से पहली एसएलपी दायर है. उमेश कुमार पर राजद्रोह की एफआईआर रद्द करने के हाईकोर्ट के आदेश के विरोध में हरेंद्र सिंह रावत की एक अन्य एसएलपी सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है और तीसरी एसएलपी उत्तराखंड सरकार की ओर से लगाई गई थी. इसी एसएलपी को लेकर क्लोजर रिपोर्ट फाइल की गई है.

उत्तराखंड सरकार की ओर से दायर SLP: दरअसल, साल 2020 में उत्तराखंड सरकार ने नैनीताल हाईकोर्ट के एक फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी लगाई थी. इस फैसले में नैनीताल हाईकोर्ट ने पत्रकार उमेश कुमार से राजद्रोह का मामला हटाने और पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत से जुड़े मामले में सीबीआई जांच के आदेश दिए थे. इसको लेकर त्रिवेंद्र रावत निजी रूप से सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी लगा चुके थे, लेकिन उस दौरान त्रिवेंद्र सिंह रावत क्योंकि मुख्यमंत्री थे तो उत्तराखंड सरकार ने भी इसी मामले पर एसएलपी लगाई थी.

इसी बीच 18 नवंबर 2022 को धामी सरकार की ओर से यही एसएलपी वापस लेने की खबर सामने आई थी लेकिन विवाद बढ़ने और त्रिवेंद्र सिंह रावत की नाराजगी के बाद सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में लगाई गई एसएलपी को यथावत रखने का फैसला लिया था.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.