देहरादून: प्रदेश के पंचायती राज संशोधित नियमावली पर राज्य सरकार को नैनीताल हाई कोर्ट के बाद अब सुप्रीम कोर्ट से भी बड़ा झटका लगा है. हाई-कोर्ट का पंचायत चुनाव में दो बच्चे की बाध्यता खत्म करने के फैसले पर राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने आज सोमवार को सुनवाई के बाद हाई-कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए इस पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है.
बता दें कि 19 सितंबर को हाई कोर्ट ने 25 जुलाई 2019 से पहले दो बच्चों से अधिक वाले ग्राम पंचायत प्रत्याशियों को चुनाव लड़ने के लिए योग्य करार दिया था. जिसके बाद राज्य सरकार ने हाई-कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति की याचिका दायर की थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट से भी राज्य सरकार को निराशा हाथ लगी है. जिसके बाद अब हाई-कोर्ट के फैसले के अनुसार ही चुनाव प्रक्रिया जारी रहेगी.
वहीं सुप्रीम कोर्ट से झटका लगने के बाद भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी देवेंद्र भसीन ने बताया कि ये कानूनी प्रक्रिया है, आयोग और सरकार उसका सम्मान करती है. साथ ही उन्होंने बताया कि इस मामले को लेकर उच्चतम न्यायालय में अभी और सुनवाई होनी है, जिसके बाद अंतिम निर्णय आएगा.
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फैसले के बाद कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि राज्य सरकार हमेशा तुगलकी निर्णय लेती है. सत्ता के मद में मदमस्त और अपार बहुमत की वजह से त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में राज्य सरकार ने ऐसा कानून बनाकर प्रदेश के लोगों के संवैधानिक अधिकारों पर भी डाका डाला है. उन्होंने कहा कि पंचायत चुनाव में राज्य सरकार ने दो बच्चों की जो बाध्यता रखी है, वह बाध्यता भविष्य के लिए होना चाहिए थी.
प्रीतम सिंह ने कहा कि सरकार असंवैधानिक कार्य करेगी तो न्यायालय उसे स्वीकार नहीं करेगी. उन्होंने कहा कि कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का स्वागत करती है. अब तीन बच्चे वाले उम्मीदवार भी चुनाव लड़ पाएंगे.