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Hate Speech Case: सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड और दिल्ली सरकार को जारी किया नोटिस

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Published : Jan 12, 2022, 12:18 PM IST

Updated : Jan 12, 2022, 12:59 PM IST

हरिद्वार धर्म संसद हेट स्पीच मामले (Haridwar Dharm Sansad hate speech case) में भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमणा की अध्यक्षता वाली पीठ ने उत्तराखंड और दिल्ली सरकार को इस मामले में 10 दिनों में जवाब पेश करने को कहा है.

Hate Speech Case
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड और दिल्ली सरकार को जारी किया नोटिस.

देहरादून: हरिद्वार धर्म संसद हेट स्पीच मामले (Haridwar Dharm Sansad hate speech case) की आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. ये याचिका सुनवाई के लिए प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एनवी रमण, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हीमा कोहली की पीठ के समक्ष आई. पीठ ने इस मामले में स्वतंत्र जांच को लेकर उत्तराखंड और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर 10 दिनों में जवाब पेश करने को कहा है.

बता दें कि पटना हाईकोर्ट की पूर्व जज जस्टिस अंजना प्रकाश और पत्रकार कुर्बान अली ने हरिद्वार में आयोजित धर्म संसद में हेट स्पीच (Haridwar Dharm Sansad hate speech case) और भड़काऊ बयान देने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिक दायर की थी.

इस याचिका में मुस्लिमों के खिलाफ हेट स्पीच की SIT से स्वतंत्र, विश्वसनीय और निष्पक्ष जांच की मांग की गई है. दोनों ने हरिद्वार में 17 और 19 दिसंबर, 2021 के बीच अलग-अलग दो कार्यक्रमों में दिए गए हेट स्पीच से संबंधित मामले में तत्काल हस्तक्षेप की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. पहला मामला हरिद्वार में यति नरसिंहानंद द्वारा आयोजित और दूसरा दिल्ली में 'हिंदू युवा वाहिनी' द्वारा आयोजित कार्यक्रम का है.

पढ़ें- Haridwar Hate Speech: यती नरसिंहानंद और त्यागी का सरकार पर हमला, दबाव में दर्ज हो रहे मुकदमे

कपिल सिब्बल की दलील: सोमवार को सीजेआई ने वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल की इन दलीलों का संज्ञान लिया था कि उत्तराखंड पुलिस द्वारा प्राथमिकी दर्ज किए जाने के बावजूद नफरत भरे भाषण देने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है. सिब्बल ने कहा था, मैंने (पिछले साल) 17 और 19 दिसंबर को धर्म संसद में जो कुछ हुआ था, उसे लेकर यह जनहित याचिका दायर की थी..हम मुश्किल समय में रह रहे हैं, जब देश में नारा सत्यमेव जयते से बदल कर शस्त्रमेव जयते हो गया है. उन्होंने कहा था कि, प्राथमिकी दर्ज की गई है, लेकिन कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है. न्यायालय के हस्तक्षेप के बगैर कोई कार्रवाई संभव नहीं है. पीठ ने कहा था कि वह इस मामले में सुनवाई करेगी.

याचिका में कहा गया है कि उत्तराखंड के हरिद्वार में यति नरसिंहानंद द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में और दिल्ली में हिंदू युवा वाहिनी द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कथित तौर पर एक समुदाय के नरसंहार का आह्वान किया गया था. उत्तराखंड पुलिस ने 23 दिसंबर को भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत संत धरमदास महाराज, साध्वी अन्नपूर्णा उर्फ पूजा शकुन पांडे, यति नरसिम्हानंद और सागर सिंधु महाराज सहित कुछ लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी. वहीं, राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित दूसरे कार्यक्रम को लेकर दिल्ली पुलिस में भी इसी तरह की एक शिकायत दर्ज कराई गई थी.

याचिका में कहा गया है कि उत्तराखंड और दिल्ली पुलिस द्वारा कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गया है. इसमें कहा गया है कि दिल्ली पुलिस ने यहां आयोजित कार्यक्रम के सिलसिले में अब तक प्राथमिकी दर्ज नहीं की है.

इस याचिका के अलावा, जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने भी शीर्ष न्यायालय में एक याचिका दायर कर धर्म संसद जैसे कार्यक्रमों में मुस्लिम विरोधी भाषणों पर रोक लगाने का अनुरोध किया है. याचिका में कहा गया है, मुसलमानों के खिलाफ नफरत भरे भाषण और बयान हाल के समय में देश में बढ़ गये हैं.

देहरादून: हरिद्वार धर्म संसद हेट स्पीच मामले (Haridwar Dharm Sansad hate speech case) की आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. ये याचिका सुनवाई के लिए प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एनवी रमण, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हीमा कोहली की पीठ के समक्ष आई. पीठ ने इस मामले में स्वतंत्र जांच को लेकर उत्तराखंड और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर 10 दिनों में जवाब पेश करने को कहा है.

बता दें कि पटना हाईकोर्ट की पूर्व जज जस्टिस अंजना प्रकाश और पत्रकार कुर्बान अली ने हरिद्वार में आयोजित धर्म संसद में हेट स्पीच (Haridwar Dharm Sansad hate speech case) और भड़काऊ बयान देने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिक दायर की थी.

इस याचिका में मुस्लिमों के खिलाफ हेट स्पीच की SIT से स्वतंत्र, विश्वसनीय और निष्पक्ष जांच की मांग की गई है. दोनों ने हरिद्वार में 17 और 19 दिसंबर, 2021 के बीच अलग-अलग दो कार्यक्रमों में दिए गए हेट स्पीच से संबंधित मामले में तत्काल हस्तक्षेप की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. पहला मामला हरिद्वार में यति नरसिंहानंद द्वारा आयोजित और दूसरा दिल्ली में 'हिंदू युवा वाहिनी' द्वारा आयोजित कार्यक्रम का है.

पढ़ें- Haridwar Hate Speech: यती नरसिंहानंद और त्यागी का सरकार पर हमला, दबाव में दर्ज हो रहे मुकदमे

कपिल सिब्बल की दलील: सोमवार को सीजेआई ने वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल की इन दलीलों का संज्ञान लिया था कि उत्तराखंड पुलिस द्वारा प्राथमिकी दर्ज किए जाने के बावजूद नफरत भरे भाषण देने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है. सिब्बल ने कहा था, मैंने (पिछले साल) 17 और 19 दिसंबर को धर्म संसद में जो कुछ हुआ था, उसे लेकर यह जनहित याचिका दायर की थी..हम मुश्किल समय में रह रहे हैं, जब देश में नारा सत्यमेव जयते से बदल कर शस्त्रमेव जयते हो गया है. उन्होंने कहा था कि, प्राथमिकी दर्ज की गई है, लेकिन कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है. न्यायालय के हस्तक्षेप के बगैर कोई कार्रवाई संभव नहीं है. पीठ ने कहा था कि वह इस मामले में सुनवाई करेगी.

याचिका में कहा गया है कि उत्तराखंड के हरिद्वार में यति नरसिंहानंद द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में और दिल्ली में हिंदू युवा वाहिनी द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कथित तौर पर एक समुदाय के नरसंहार का आह्वान किया गया था. उत्तराखंड पुलिस ने 23 दिसंबर को भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत संत धरमदास महाराज, साध्वी अन्नपूर्णा उर्फ पूजा शकुन पांडे, यति नरसिम्हानंद और सागर सिंधु महाराज सहित कुछ लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी. वहीं, राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित दूसरे कार्यक्रम को लेकर दिल्ली पुलिस में भी इसी तरह की एक शिकायत दर्ज कराई गई थी.

याचिका में कहा गया है कि उत्तराखंड और दिल्ली पुलिस द्वारा कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गया है. इसमें कहा गया है कि दिल्ली पुलिस ने यहां आयोजित कार्यक्रम के सिलसिले में अब तक प्राथमिकी दर्ज नहीं की है.

इस याचिका के अलावा, जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने भी शीर्ष न्यायालय में एक याचिका दायर कर धर्म संसद जैसे कार्यक्रमों में मुस्लिम विरोधी भाषणों पर रोक लगाने का अनुरोध किया है. याचिका में कहा गया है, मुसलमानों के खिलाफ नफरत भरे भाषण और बयान हाल के समय में देश में बढ़ गये हैं.

Last Updated : Jan 12, 2022, 12:59 PM IST

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