देहरादून: उत्तराखंड में प्रमोशन में आरक्षण के मामले में लंबी लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने प्रमोशन में आरक्षण के फैसले पर रोक लगा दी है, जिससे सामान्य वर्ग के कर्मचारियों में खुशी की लहर है.
प्रदेश में पिछले 6 महीनों से प्रमोशन रुके हुए थे. सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा है कि प्रमोशन में आरक्षण लागू नहीं होगा. वरिष्ठता और योग्यता के आधार पर प्रमोशन किया जाएगा.
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इस पर सचिवालय संघ के अध्यक्ष दीपक जोशी ने फैसले पर सुप्रीम कोर्ट का आभार जताया है. उन्होंने कहा कि राज्य के हजारों कर्मचारी पिछले 6 महीनों से प्रमोशन न होने के कारण लाभ से वंचित थे. क्योंकि, कई कर्मचारियों की रिटायरमेंट नजदीक है और प्रमोशन न मिलने के कारण योग्यता होने के बाद भी निचले पदों से ही रिटायर हो रहे थे. ऐसे में उन कर्मचारियों को इसका लाभ मिलेगा.
25 साल पहले शुरू हुई थी लड़ाई
बता दें कि पदोन्नति में आरक्षण को लेकर लंबे समय से लड़ाई चली आ रही थी. 25 साल पहले तमिलनाडु के एम नागराज ने सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नति में आरक्षण के खिलाफ याचिका दायर की थी. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने पदोन्नति में आरक्षण को खत्म करने का फैसला दिया था. इसी फैसले को आधार बनाते हुए 2005 में उत्तर प्रदेश में भी पदोन्नति में आरक्षण की पद्धति को खत्म किया गया. यहां नियमावली बनाकर शासनादेश भी जारी किया गया था.
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बात अगर उत्तराखंड की करें तो साल 2012 में पहली बार पदोन्नति में आरक्षण को खत्म करने की मांग उठाई गई. जिसके बाद सरकार ने इसके लिए इरशाद हुसैन कमेटी गठित की. इसके बाद पूर्व की रोस्टर प्रणाली को आधार बनाते हुए एसटी/एससी कर्मचारी संघ नैनीताल हाईकोर्ट में गया.
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2012 से लगातार ओबीसी, जनरल कर्मचारी और एसटी/एससी कर्मचारी पदोन्नति में आरक्षण को लेकर लड़ाई लड़ रहे थे. सरकार ने पहले हाईकोर्ट में और फिर सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले को चुनौती दी. ओबीसी जनरल और उत्तराखंड सरकार पदोन्नति में आरक्षण खत्म करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट में ने पिछले कई फैसलों को आधार बनाते हुए 15 जनवरी की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. आज सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड में कर्मचारियों के पदोन्नति में आरक्षण को खत्म करने का बड़ा फैसला लिया. जिसके बाद सामान्य वर्ग के कर्मचारियों ने राहत की सांस ली है.