देहरादून: उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग रोजगार के क्षेत्र में बेहतर कार्य कर रहा है, लेकिन अभी आयोग की विधिवत नियमावली तैयार नहीं हो पाई है, जिसके कारण कई नियमों को लेकर दिक्कतें पेश आती रहती हैं. हालांकि, इसको लेकर आयोग की तरफ से शासन में अपनी बात रखी गई है. साथ ही आने वाली भर्तियों के लिए भी आयोग तैयारियों में जुटा हुआ है.
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग को अब तक 7500 पदों पर अधियाचन भेजे गए हैं, जिसमें से 5 हजार पदों के लिए आयोग की तरफ से विज्ञापन भी जारी कर दिए गए हैं. यही नहीं, कोविड-19 की मार के बाद भी आयोग एक हजार पदों पर परीक्षाएं पूरी करवा चुका है. खास बात यह है कि इसमें से तीन परीक्षाओं पर आयोग ने ऑनलाइन परीक्षाएं भी करवाई है, जबकि अब आयोग की अगली चुनौती दो हजार पदों पर विज्ञप्ति निकालने की है.
आयोग प्रदेश में तेजी से भर्ती प्रक्रिया को पूरा करने के प्रयास में जुटा हुआ है. इसके लिए आयोग की तरफ से हर संभव प्रयास भी किए जा रहे हैं. इसी दिशा में आयोग की इस भर्ती प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए शासन को नियमावली जल्द तैयार करने की मांग की गई है. उधर, आयोग की तरफ से तय किया गया है कि अगर दस्तावेज सत्यापन की तिथि के 15 दिन बाद भी आवेदन करता आयोग में उपस्थित नहीं होता है, तो ऐसी स्थिति में परीक्षा निकालने के बावजूद भी अभ्यर्थी को नौकरी नहीं दी जाएगी. इसको लेकर आयोग की तरफ से अभिलेख सत्यापन की नीति जारी कर दी गई है.
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हालांकि, इस दौरान उन लोगों को राहत दी जाएगी, जो दस्तावेज सत्यापन के समय स्वास्थ्य संबंधी समस्या से ग्रसित होंगे साथ ही इस मामले में आयोग का ही अंतिम निर्णय मान्य होगा. उधर, सत्यापन पूरा होने के बाद आयोग की तरफ से रिक्त पदों पर योग्यता आयु सीमा और पात्रता को देखा जाएगा कि वह उम्मीदवार किस विभाग में नौकरी के योग्य है. इसके बाद उम्मीदवार को मौजूद पदों विभागों जिला और मंडल का विकल्प मेरिट के आधार पर दिया जाएगा. इसके साथ ही अंकों की श्रेष्ठता के आधार पर ही अभिलेख सत्यापन के लिए उम्मीदवार को बुलाया जाएगा और इसी आधार पर मेरिट भी बनाई जाएगी.