मसूरीः पहाड़ों की रानी मसूरी का एकमात्र सरकारी उपजिला चिकित्सालय (सिविल अस्पताल) कर्मचारियों की कमी झेल रहा है. जिसका खामियाजा मसूरी और आसपास के गांवों की जनता को झेलना पड़ रहा है. इसके अलावा पर्यटकों को भी परेशानी से दो चार होना पड़ा रहा है. अस्पताल में ऑपरेशन थिएटर पूरी तरीके से शुरू नहीं हो पाया है. जबकि, सीटी स्कैन मशीन भी धूल फांक रही है. साथ ही कई अन्य स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव अस्पताल में है.
बता दें कि 6 मार्च 2019 को तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मसूरी उपजिला अस्पताल (Sub District Hospital Mussoorie) का शुभारंभ किया था. मसूरी में स्वास्थ्य सुविधाओं को एक छत के नीचे मुहैया कराने को लेकर तत्कालीन हरीश रावत सरकार ने इस अस्पताल के निर्माण की शुरूआत की थी, जो बीजेपी सरकार में तैयार हो पाया और इसे शुरू भी किया गया. लेकिन यह अस्पताल डॉक्टरों और संसाधनों की कमी से जूझ रहा है.
हाईटेक आईसीयू वार्ड ठप, सीटी स्कैन मशीन फांक रही धूलः बीती 17 सितंबर 2020 को कोरोनाकाल में करीब 3 करोड़ रुपए की लागत से 5 बेड का हाईटेक आईसीयू वार्ड भी स्थापित किया गया था, जो कर्मचारियों के अभाव में बंद पड़ा हुआ है. हाल ही में विधानसभा चुनाव के ठीक बाद यानी 7 अप्रैल 2022 को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने डीएलएफ फाउंडेशन की ओर से प्रदत्त करीब 3.5 करोड़ की लागत की सीटी स्कैन मशीन का शुभारंभ भी किया था. लेकिन स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के चलते सीटी स्कैन मशीन को चलाने के लिए लाइसेंस ही नहीं मिल पाया है. इस कारण सीटी स्कैन मशीन धूल फांक रही है.
अस्पताल में स्टाफ की कमीः मसूरी उपजिला चिकित्सालय में वर्तमान में 27 डॉक्टर नियुक्त हैं. इसमें से तीन डॉक्टर देहरादून में अटैच किए गए हैं. वहीं, पैरामेडिकल स्टाफ और चुतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की भारी कमी है. जिस कारण अस्पताल के संचालन में भारी दिक्कतें पेश आ रही हैं. वहीं, कुछ एक्पर्ट डॉक्टर अपने अनुभव का इस्तेमाल करते हुए मसूरी अस्पताल में मिनी ऑपरेशन थिएटर को संचालित कर मरीजों का ऑपरेशन करने का काम कर रहे हैं.
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अस्पताल में दवाइयों का टोटाः वहीं, अस्पताल में डॉक्टरों के लिए आवास की सुविधा न होने के कारण अस्पताल दोपहर 2 बजे तक संचालित किया जाता है. 2 बजे के बाद मात्र इमरजेंसी सेवा उपलब्ध कराई जाती है. अस्पताल में पैरामेडिकल स्टाफ और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की भारी कमी होने के कारण अस्पताल में न के बराबर मरीजों को भर्ती किया जाता है. वहीं, अस्पताल में दवाइयों को भारी कमी है. ऐसे में ज्यादातर डॉक्टर मरीजों को बाहर की दवाएं लिखते हैं. जिस कारण गरीब और मध्यम वर्ग के मरीजों की जेब ढीली होती है.
जन औषधि केंद्र में दवा नहींः मसूरी अस्पताल में स्थापित जन औषधि केंद्र में भी दवाइयों की भारी कमी है. ऐसे में स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधि और लोग कई सवाल खड़े करते हुए नजर आते हैं. उनका कहना है कि सरकार की ओर से मसूरी में अस्पताल के नाम पर एक बड़ी बिल्डिंग बनाकर कर खड़ी तो कर दी गई है. अस्पताल में विभिन्न प्रकार की मशीनें भी हैं, लेकिन उनको संचालित करने के लिए न तो पैरामेडिकल स्टाफ और न ही चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी हैं. उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से उप जिला चिकित्सालय में सभी प्रकार की स्वास्थ्य सुविधाओं को उपलब्ध कराने के साथ अस्पताल को 24 घंटे संचालित करना चाहिए.
क्या बोले CMS: अस्पताल के कार्यवाहक सीएमएस खजान सिंह चौहान ने बताया कि मसूरी उपजिला चिकित्सालय पहले सिविल अस्पताल था. अभी भी इसे सिविल अस्पताल के तहत ही संचालित किया जा रहा है. कागजों में शासन ने इसे उप जिला चिकित्सालय घोषित कर दिया है, लेकिन उनको वर्तमान में बजट सिविल अस्पताल का ही दिया जाता है. ऐसे में इतने बड़े अस्पताल को कम बजट में संचालित किया जाना काफी मुश्किल है.
सीटी स्कैन मशीन को लाइसेंस ही नहीं मिला, जोर शोर से हुआ था उद्घाटनः उन्होंने बताया कि अस्पताल में वर्तमान में 29 डॉक्टरों की पोस्ट है, जिसमें से 23 डॉक्टर कार्यरत हैं. 20 स्टाफ नर्स में से 4 स्टाफ नर्स कार्यरत हैं. वहीं, चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी तो हैं ही नहीं. मात्र दो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी सविंदा में नियुक्त किए गए हैं. उन्होंने बताया कि सीटी स्कैन मशीन (Mussoorie CT Scan machine) को संचालित करने के लिए लाइसेंस के लिए कार्रवाई की गई है. जैसे ही उन्हें लाइसेंस उपलब्ध होता है, सीटी स्कैन मशीन को संचालित कर दिया जाएगा.
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आईसीयू सेंटर चलाने के लिए आउटसोर्स कर्मी रखे, कोरोना खत्म होने का हवाला देकर निकाला: उन्होंने बताया कि कोरोनाकाल में आउटसोर्सिंग से 8 कर्मचारियों को रखा गया था. जिनसे आईसीयू सेंटर (Mussoorie ICU center) को संचालित किया जा रहा था. कोरोनाकाल खत्म होते ही शासन ने सभी आउटसोर्स के माध्यम से रखे गए कर्मचारियों को हटा दिया. जिस कारण आईसीयू सेंटर का संचालन नहीं हो पर रहा है.
बाहर की दवाई लिखने वाले डॉक्टरों पर होगी कार्रवाईः कार्यवाहक सीएमएस खजान सिंह चौहान ने बताया कि अस्पताल प्रबंधन की ओर से शासन से अस्पताल को संचालित करने के लिए कर्मचारियों की मांग की जा रही है. अस्पताल में दवाइयां पर्याप्त मात्रा में हैं. अगर अस्पताल में दवाइयां नहीं होती हैं तो उन दवाइयों को जन औषधि केंद्र से उपलब्ध कराई जाती हैं. ऐसे में कोई भी डॉक्टर बाहर की दवाई लिखता है तो उस पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी.
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