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शौचालय के पिट के ऊपर पढ़ने को मजबूर नौनिहाल, चैन की बंसी बजा रहे अधिकारी

शेरगढ़ आंगनबाड़ी के जिस कमरे में बच्चे पढ़ते हैं वो शौचालय के पिट के उपर बना हुआ है. शौचालय का ये पिट टूटने लगा है. इस पर दरारें पड़ चुकी हैं, गड्ढे भी हो गये हैं. जिसके कारण कभी भी यहां कोई हादसा हो सकता है.

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डोईवाला में टूटे हुए टॉयलेट पिट के उपर पढ़ने को मजबूर नौनिहाल
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Published : Sep 21, 2022, 12:36 PM IST

डोईवाला: आंगनबाड़ी केंद्र की बदहाल तस्वीरें यहां की सच्चाई बयां कर रही हैं. डोईवाला के शेरगढ़ आंगनबाड़ी केंद्र में नौनिहाल टूटे हुए शौचालय के गड्ढे के ऊपर पढ़ाई करने को मजबूर हैं. कई साल बीत जाने के बाद भी विभाग इसे लेकर कुछ नहीं कर पाया है. अब आलम यह है कि यहां कभी भी कोई बड़ी घटना घट सकती है.

हाल ही में चंपावत में एक शौचालय की छत गिरने से बच्चे की मौत हो गई थी, ऐसा ही तस्वीर डोईवाला विधानसभा के शेरगढ़ के आंगनबाड़ी केंद्र का भी है. जहां एक दर्जन बच्चे शौचालय के गड्ढे के ऊपर पढ़ाई कर रहे हैं. शौचालय का गड्ढा चारों तरफ टूट गया है, जिसके कारण अभिभावक यहां अपने बच्चों को भेजने से बच रहे हैं.

शौचालय के पिट के ऊपर पढ़ने को मजबूर नौनिहाल.
पढे़ं-औचक निरीक्षण में स्कूल से गायब मिली प्रिंसिपल, पढ़ाने के लिए 2500 रुपये में रखी थी असिस्टेंट

आंगनबाड़ी केंद्र चलाने वाले कहते हैं उन्हें हमेशा ही हादसे का भय सताता रहता है. उन्होंने बताया कि जिस कमरे में बच्चों को पढ़ाते हैं वो शौचालय के पिट के उपर बना हुआ है. शौचालय का ये पिट भी टूटने लगा है. इस पर दरारें पड़ चुकी हैं. जिसके कारण कभी भी कोई भी हादसा हो सकता है. उन्होंने कई बार मौखिक और लिखित रूप से विभागीय अधिकारियों को भी इसकी जानकारी दी, मगर आज तक इस मामले में कोई भी कार्रवाई नहीं की गई.
पढे़ं- अपनों को रेवड़ी बांटने में कुंजवाल से आगे निकले प्रेमचंद, एक क्लिक में जानिए विधानसभा भर्ती घोटाले की पूरी कहानी

आंगनबाड़ी केंद्र के खस्ताहाल होने से अभिभावक भी अपने बच्चों को यहां भेजने से कतरा रहे हैं. अभिभावक और जनप्रतिनिधियों का कहना है कि विभाग आंखें मूंदे बैठा है. इतनी खतरनाक स्थिति में आंगनबाड़ी केंद्र का कमरा है उसके बाद भी अधिकारी चैन की नींद सो रहे हैं. जनप्रतिनिधियों ने भी कई बार विभागीय अधिकारियों से इस समस्या को लेकर बात की, मगर तब भी इसका नतीजा सिफर ही निकला.
पढे़ं-भर्तियों में भ्रष्टाचार के मामले पर उत्तराखंड में ताली-थाली का 'शोर', CBI जांच की मांग पकड़ने लगी जोर

वहीं, जब ईटीवी भारत ने पूरे मामले को उठाया तो विभाग की सुपरवाइजर ने आंगनबाड़ी केंद्र का मौका मुआयना किया. महिला सशक्ति करण एवं बाल विकास की परियोजना अधिकारी नेहा सिंह ने बताया कि 2010 में यह कमरा 3 लाख की लागत से बनाया गया था. उन्होंने माना कि उस समय जो भी कार्यदायी संस्था और ठेकेदार थे उनकी इसमें साफतौर से लापरवाही देखने को मिल रही है. उन्होंने बताया विभाग द्वारा नये भवन बनाने के लिए कई प्रस्ताव विभाग को भेजे गए हैं, लेकिन अभी तक पैसा रिलीज नहीं हुआ है. उन्होंने माना कि आंगनबाड़ी केंद्र की स्थिति खराब है, वे विभागीय अधिकारियों को समस्या बताकर बच्चों को दूसरी जगह शिफ्ट करने की कार्रवाई कर रहे हैं.

डोईवाला: आंगनबाड़ी केंद्र की बदहाल तस्वीरें यहां की सच्चाई बयां कर रही हैं. डोईवाला के शेरगढ़ आंगनबाड़ी केंद्र में नौनिहाल टूटे हुए शौचालय के गड्ढे के ऊपर पढ़ाई करने को मजबूर हैं. कई साल बीत जाने के बाद भी विभाग इसे लेकर कुछ नहीं कर पाया है. अब आलम यह है कि यहां कभी भी कोई बड़ी घटना घट सकती है.

हाल ही में चंपावत में एक शौचालय की छत गिरने से बच्चे की मौत हो गई थी, ऐसा ही तस्वीर डोईवाला विधानसभा के शेरगढ़ के आंगनबाड़ी केंद्र का भी है. जहां एक दर्जन बच्चे शौचालय के गड्ढे के ऊपर पढ़ाई कर रहे हैं. शौचालय का गड्ढा चारों तरफ टूट गया है, जिसके कारण अभिभावक यहां अपने बच्चों को भेजने से बच रहे हैं.

शौचालय के पिट के ऊपर पढ़ने को मजबूर नौनिहाल.
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आंगनबाड़ी केंद्र चलाने वाले कहते हैं उन्हें हमेशा ही हादसे का भय सताता रहता है. उन्होंने बताया कि जिस कमरे में बच्चों को पढ़ाते हैं वो शौचालय के पिट के उपर बना हुआ है. शौचालय का ये पिट भी टूटने लगा है. इस पर दरारें पड़ चुकी हैं. जिसके कारण कभी भी कोई भी हादसा हो सकता है. उन्होंने कई बार मौखिक और लिखित रूप से विभागीय अधिकारियों को भी इसकी जानकारी दी, मगर आज तक इस मामले में कोई भी कार्रवाई नहीं की गई.
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आंगनबाड़ी केंद्र के खस्ताहाल होने से अभिभावक भी अपने बच्चों को यहां भेजने से कतरा रहे हैं. अभिभावक और जनप्रतिनिधियों का कहना है कि विभाग आंखें मूंदे बैठा है. इतनी खतरनाक स्थिति में आंगनबाड़ी केंद्र का कमरा है उसके बाद भी अधिकारी चैन की नींद सो रहे हैं. जनप्रतिनिधियों ने भी कई बार विभागीय अधिकारियों से इस समस्या को लेकर बात की, मगर तब भी इसका नतीजा सिफर ही निकला.
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वहीं, जब ईटीवी भारत ने पूरे मामले को उठाया तो विभाग की सुपरवाइजर ने आंगनबाड़ी केंद्र का मौका मुआयना किया. महिला सशक्ति करण एवं बाल विकास की परियोजना अधिकारी नेहा सिंह ने बताया कि 2010 में यह कमरा 3 लाख की लागत से बनाया गया था. उन्होंने माना कि उस समय जो भी कार्यदायी संस्था और ठेकेदार थे उनकी इसमें साफतौर से लापरवाही देखने को मिल रही है. उन्होंने बताया विभाग द्वारा नये भवन बनाने के लिए कई प्रस्ताव विभाग को भेजे गए हैं, लेकिन अभी तक पैसा रिलीज नहीं हुआ है. उन्होंने माना कि आंगनबाड़ी केंद्र की स्थिति खराब है, वे विभागीय अधिकारियों को समस्या बताकर बच्चों को दूसरी जगह शिफ्ट करने की कार्रवाई कर रहे हैं.

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