देहरादूनः बहुचर्चित बोर्डिंग स्कूल गैंगरेप मामले में मुख्य दोषी छात्र को 20 साल की सजा सुनाई गई है जबकि स्कूल प्रबंधन में शामिल तीन आरोपियों को को 9-9 साल की सजा मुकर्रर हुई है. वहीं, प्रिंसिपल को 3 जबकि अन्य 3 छात्रों को 2 साल 6 महीने की सजा सुनाई गई है. देहरादून पॉक्सो कोर्ट से मुख्य आरोपी छात्र सरबजीत धारा 370 डी में दोषी करार हुआ था. अदालत ने दोषी को 20 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है. कुल मिलाकर 8 दोषियों को सजा सुनाई गई है. स्कूल की आया मंजू को सरकारी गवाह बनने के चलते कोर्ट से राहत मिली है.
गौर हो कि स्कूल के डिप्टी डायरेक्टर लता गुप्ता, स्कूल प्रबंधक दीपक और उसकी पत्नी तनु को सबूत छिपाने एवं षड्यंत्र कर पीड़ित छात्रा का गर्भपात कराने में धारा 313 का दोषी मानते हुए नौ-नौ साल की सजा सुनाई. सभी दोषियों को सजा पॉक्सो कोर्ट जज रमा पांडे की अदालत ने सुनाई. इसके अलावा स्कूल के प्रिंसिपल जितेंद्र शर्मा को 3 साल की सजा सुनाई गई. कोर्ट ने अन्य तीन नाबालिग छात्रों को 2 साल 6 महीने की सजा सुनाई है. इन तीनों छात्रों को बाल सुधार गृह भेजा जाएगा.
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इससे पहले जुवेनाइल बोर्ड ने 3 जून 2019 को तीनों नाबालिग छात्रों को बरी कर दिया था. इस फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ने पोक्सो कोर्ट में अपील की थी. जहां कोर्ट ने तीनों को दोषी माना और लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा-6 के तहत लगाए गये आरोप में 2 साल 6 महीने की सजा सुनाई. बता दें कि नाबालिगों को अधिकतम 3 साल की सजा सुनाए जाने का ही प्रावधान है. वहीं, मामले की एक और अन्य आरोपी स्कूल में काम करने वाली आया मंजू को सरकारी गवाह बनने के कारण कोर्ट से राहत मिल गई.
पीड़ित छात्रा के पिता ने दोषियों को सजा मिलने के बाद संतुष्टि जताई है. उन्होंने देहरादून पुलिस और पॉक्सो कोर्ट का शुक्रिया अदा किया. कोर्ट ने मामले में स्कूल प्रबंधन पर 10 लाख का जुर्माना पीड़िता के परिजनों को देने का आदेश दिया है. जुर्माना अदा नहीं करने पर उनकी प्रॉपर्टी जब्त करने के आदेश दिए हैं. मुख्य दोषी सरबजीत पर 5000 रुपए का जुर्माना भी लगाया है. स्कूल प्रबंधन की टीम पर 40,000 रुपए का जुर्माना लगाया है.
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ये था मामला
बता दें कि 14 अगस्त 2018 को बोर्डिंग स्कूल में पढ़ने वाली दसवीं की छात्रा के साथ उसके सीनियर चार छात्रों ने गैंगरेप की घटना को अंजाम दिया था. सामूहिक दुष्कर्म की घटना के बाद कई दिनों तक इस मामले को स्कूल प्रबंधन द्वारा छिपाया गया. जब मामला खुला तो हड़कंप मच गया. इतना ही नहीं, स्कूल प्रबंधन पर पीड़ित छात्रा का जबरन गर्भपात कराने का भी आरोप है.