देहरादूनः हिमालय राज्य उत्तराखंड खूबसूरत वादियों, देवों की भूमि और पर्यटन के लिए जाना जाता है. यही कारण है कि उत्तराखंड को क्राइम राज्यों की सूची में निचले पायदान पर पाया जाता रहा है. लेकिन पिछले कुछ सालों से उत्तराखंड में क्राइम के मामले बढ़ते जा रहे हैं. महिलाओं से जुड़े अपराध जिनमें एसिड अटैक का मामला काफी चर्चाओं में रहा है. ऐसे ही एक मामले में उत्तराखंड हाईकोर्ट (Uttarakhand High Court) ने उधमसिंह नगर की एसिड अटैक पीड़िता के पक्ष में ऐतिहासिक निर्णय देते हुए राज्य सरकार को पीड़िता को 35 लाख रुपए मुआवजा देने का आदेश दिया है.
साल 2020 में एसिड अटैक पीड़िता लक्ष्मी अग्रवाल के जीवन पर बनी फिल्म 'छपाक' रिलीज होने के बाद ही देश में एसिड अटैक पीड़ितों के लिए कई बड़े प्रावधान किए गए. इसमें मुख्य रूप से मुआवजा राशि बढ़ाए जाने के साथ ही पेंशन आदि देने को लेकर भी योजनाएं शुरू की गई. इसी क्रम में उत्तराखंड सरकार ने भी इस फिल्म से प्रेरित होकर राज्य में एसिड अटैक पीड़िताओं के लिए शीघ्र ही पेंशन प्रदान करने की एक योजना (Scheme for acid attack victims in Uttarakhand) की शुरुआत की है.
दरअसल, 12 जनवरी 2020 को तत्कालीन महिला एवं बाल कल्याण मंत्री रेखा आर्य ने एसिड अटैक पीड़ितों के लिए पेंशन योजना की घोषणा की थी. इस योजना के तहत एसिड अटैक पीड़िताओं को प्रतिमाह 7 हजार से 10 हजार रुपए तक की पेंशन प्रदान की जाएगी. इस योजना को मंत्रिमंडल की मंजूरी मिलने के बाद लागू भी कर दिया गया. सरकार परिस्थितियों को देखकर एसिड अटैक पीड़िताओं को राज सरकार की तमाम विभागों में नौकरी दिलाने या फिर पेंशन देने जैसा काम कर रही है.
ये भी पढ़ेंः देवभूमि में बढ़ता जा रहा महिलाओं से दरिंदगी का ग्राफ, उधमसिंह नगर और देहरादून टॉप पर
उत्तराखंड में 11 एसिड अटैक पीड़िताः सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, उत्तराखंड में मौजूदा समय में करीब 11 एसिड अटैक पीड़िता हैं जो हरिद्वार, नैनीताल और उधमसिंह नगर जिले में रह रही हैं. लेकिन उधमसिंह नगर जिले की रहने वाली एसिड अटैक पीड़िता के मामले में नैनीताल हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. इसमें आने वाले समय में एसिड अटैक पीड़ितों के लिए एक अच्छी राह खुलने की संभावना जताई जा रही है. उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि एसिड अटैक पीड़िता को 35 लाख का मुआवजा और इलाज का संपूर्ण खर्च वहन करने के निर्देश दिए हैं.
कोर्ट ने सुनाया फैसलाः दरअसल, उत्तराखंड हाईकोर्ट ने एसिड एटैक पीड़िता को मुआवजा दिलाने के लिए दायर याचिका पर सुनवाई की. कोर्ट की एकलपीठ ने 17 दिसंबर को आदेश पारित कर पीड़िता को सरकार द्वारा 35 लाख रुपए का मुआवजा देने के साथ ही चिकित्सा और उनकी सर्जरी पर होने वाले व्यय वहन किए जाने के निर्देश दिए हैं. साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देशित करते हुए कहा कि यदि पीड़िता राज्य से बाहर इलाज के लिए जाती है तो उनकी देखरेख के लिए साथ जाने वाले लोगों का व्यय भी सरकार वहन करे.
60 प्रतिशत से ज्यादा जली पीड़िताः आपकों बता दे कि गुलनाज खान नाम की पीड़िता उस समय कक्षा 12वीं में थी जब एक अज्ञात व्यक्ति ने एकतरफा प्यार में उन पर एसिड अटैक किया. पीड़िता 60% से भी ज्यादा जलने की बात चिकित्सा शोध में सिद्ध हुई. उनका दाहिना कान पूरी तरह जल गया. दूसरे कान से 50 प्रतिशत सुनने की क्षमता भी चली गई थी. उनके चेहरे, छाती और हाथ भी जल गये.
ये भी पढ़ेंः पति के दोस्तों ने किया दुष्कर्म का प्रयास, कोर्ट के आदेश पर मुकदमा दर्ज
पीड़िता ने 2019 में दायर की याचिकाः लेकिन गुलनाज के साथ हुए इस जघन्य अपराध की प्रतिपूर्ति क्या राज्य सरकार द्वारा हो सकती है, जो उनकी सुरक्षा और इज्जत से जीने के अधिकार को बनाए रखने में अक्षम रहे. यह प्रश्न गुलनाज खान द्वारा इस याचिका में माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष 2019 में उठाया गया. इस पर अंतिम सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से यह पक्ष रखा गया कि उनको हर चीज का प्रमाण एक अलग फोरम पर देना चाहिए. हाईकोर्ट में सीधे रिट याचिका नहीं करनी चाहिए. महाअधिवक्ता द्वारा यह भी कहा गया कि एक ऐसे प्रकरण में लाभ देने से सभी लोग ऐसी प्रतिपूर्ति चाहेंगे.
वहीं, इस पूरे मामले पर महिला एवं बाल कल्याण मंत्री रेखा आर्य ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए बताया कि एसिड अटैक पीड़िताओं के लिए सरकार की संवेदनाएं हैं. सरकार समय-समय पर इन महिलाओं से मुलाकात भी करती है. उनसे इस बात की भी जानकारी लेती है कि वह भविष्य में किस क्षेत्र में काम करना चाहती हैं. हालांकि, कुछ महिलाएं आउट सोर्स एजेंसी के माध्यम से भी कार्य कर रही हैं. इसके साथ ही कुछ महिलाओं को सरकार की ओर से संचालित पेंशन योजना से भी लाभान्वित किया गया. इसके अलावा अगर जरूरत पड़ेगी तो आने वाले समय में उनकी योग्यता के अनुसार विभागों में उन्हें नौकरियां दिलाई जाएंगी.