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अंतरराष्ट्रीय नर्स डे: खुद को मुसीबत में डाल फ्रंटलाइन कोरोना वॉरियर बचा रही हैं जिंदगी

कोरोना महामारी में हॉस्पिटलों में बढ़ते मरीजों की संख्या ने नर्सों की चुनौतियों को पहले से कई गुना ज्यादा बढ़ा दिया है. इन परिस्थितियों में एक नर्स को कहीं पर 20 तो कुछ जगहों पर 40 मरीज तक देखने पड़ रहे हैं. ऐसे में आप उनकी मुश्किलों का अंदाजा सहज ही लगा सकते हैं. इन मुश्किल हालात में भी उनका हौसला बिल्कुल भी नहीं डिगा है.

अंतरराष्ट्रीय नर्स डे
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Published : May 12, 2021, 6:17 PM IST

Updated : May 13, 2021, 10:26 PM IST

देहरादून: आज दुनियाभर के ज्यादातर देश कोरोना महामारी से जूझ रहे हैं. कोरोना महामारी के इस दौर में मेडिकल स्टाफ ने अपना सबकुछ झोंका हुआ है. इसमें नर्स अहम भूमिका निभा रही हैं. नर्स अस्पतालों और क्लीनिकों की रीढ़ होती हैं, जो अपनी जान जोखिम में डालकर कोविड-19 के लाखों मरीज़ों की देखभाल कर रही हैं. परिवार की चिंता के साथ उनके कंधों पर मरीजों की जिम्मेदारी भी है. अपने और परिवार की चिंता किए बिना नर्स कोरोना का डटकर मुकबला कर रही है. नर्सिंग स्टाफ के बिना इस लड़ाई को जीतना कतई मुमकिन नहीं है. आज अंतरराष्ट्रीय नर्स डे पर ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट...

खुद को मुसीबत में डाल फ्रंटलाइन कोरोना वॉरियर बचा रही हैं जिंदगी

पढ़ें- डॉक्टर निधि थीं कोरोना पॉजिटिव, घर बैठे करवा दी महिला की डिलीवरी

24 घंटे करना पड़ रहा है काम

कोरोनेशन अस्पताल में सुपरिटेंडेंट पूनम गौतम कहती हैं कि यह समय नर्सेज के लिए सबसे ज्यादा परेशानी भरा है, लेकिन उससे ज्यादा हमारे सामने इन मरीजों को स्वस्थ करके घर भेजने की चुनौती है. पूनम गौतम से जब उनके निजी जीवन के बारे में पूछते हैं तो कहती हैं कि उनके घर में उनका बेटा संक्रमित हो चुका है. बाकी सदस्य भी इस माहौल में बेहद ज्यादा डरे हुए हैं. घर में परिवार की जिम्मेदारी भी उठानी होती है और अस्पताल में मरीजों की देखभाल भी करनी जरूरी है. उधर कोविड-19 आने के बाद अस्पताल के साथ-साथ घर पर रहकर भी ऑनलाइन लोगों को मेडिकल ही सुझाव देना होता है. लिहाजा 24 घंटे मरीजों को लेकर सक्रिय रहना होता है.

पूनम गौतम यह भी कहती हैं कि अब तो वह पुराने दिन याद आने लगे हैं. जब पूरा परिवार एक साथ बैठकर बातें करता था. बेहतर जिंदगी जी रहा था. लेकिन अब उनसे अलग रहकर समय बिताना पड़ रहा है.

पढ़ें- कोरोना से प्रदेश का हाल बेहाल, पूर्व सीएम त्रिवेंद्र बोले स्वास्थ्य मंत्री की कोई आवश्यकता नहीं

भेदभाव भी झेल रही हैं नर्स

मौजूदा हालात में कई बार स्वास्थ्य कर्मियों को कोविड-19 महामारी के कारण भेदभाव भी झेलना पड़ा है. नर्स महेश्वरी कहती हैं कि लोग अब बात करने से परहेज करते हैं और दूरी भी बनाने की कोशिश करते हैं. हालांकि यह एक अच्छी बात है लेकिन कई बार लोगों का ज्यादा परहेज करना अजीब भी लगता है. कई नर्सें ऐसी भी हैं, जिनके छोटे बच्चे हैं और वह अपने बच्चों से भी ठीक से नहीं मिल पा रहीं. एक तरफ मरीजों की बढ़ती संख्या और दूसरी कम स्टाफ के कारण काम का ज्यादा दबाव. कई नर्स पॉजिटिव भी हो चुकी हैं.

नर्स महेश्वरी ने कहा कि उनकी यही कोशिश होती है कि मरीजों को अस्पताल में भी घर सा माहौल मिले. हरहाल में सब कुछ ठीक तरह से चले इसी का प्रयास किया जा रहा है. उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही हालात बेहतर होंगे.

सबसे बड़ी बात है यह है कि परिवार वाले भी अब उन्हें अस्पताल भेजने से डरते हैं. परिजनों को हर वक्त उनकी चिंता लगी रहती है. उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती यही है कि वो खुद को संक्रमण से बचाते हुए मरीजों की सेवा करें. यही नहीं नर्सों के परिवार वाले संक्रमित न हों इसके लिए विशेष एहतियात बरतनी है.

देहरादून: आज दुनियाभर के ज्यादातर देश कोरोना महामारी से जूझ रहे हैं. कोरोना महामारी के इस दौर में मेडिकल स्टाफ ने अपना सबकुछ झोंका हुआ है. इसमें नर्स अहम भूमिका निभा रही हैं. नर्स अस्पतालों और क्लीनिकों की रीढ़ होती हैं, जो अपनी जान जोखिम में डालकर कोविड-19 के लाखों मरीज़ों की देखभाल कर रही हैं. परिवार की चिंता के साथ उनके कंधों पर मरीजों की जिम्मेदारी भी है. अपने और परिवार की चिंता किए बिना नर्स कोरोना का डटकर मुकबला कर रही है. नर्सिंग स्टाफ के बिना इस लड़ाई को जीतना कतई मुमकिन नहीं है. आज अंतरराष्ट्रीय नर्स डे पर ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट...

खुद को मुसीबत में डाल फ्रंटलाइन कोरोना वॉरियर बचा रही हैं जिंदगी

पढ़ें- डॉक्टर निधि थीं कोरोना पॉजिटिव, घर बैठे करवा दी महिला की डिलीवरी

24 घंटे करना पड़ रहा है काम

कोरोनेशन अस्पताल में सुपरिटेंडेंट पूनम गौतम कहती हैं कि यह समय नर्सेज के लिए सबसे ज्यादा परेशानी भरा है, लेकिन उससे ज्यादा हमारे सामने इन मरीजों को स्वस्थ करके घर भेजने की चुनौती है. पूनम गौतम से जब उनके निजी जीवन के बारे में पूछते हैं तो कहती हैं कि उनके घर में उनका बेटा संक्रमित हो चुका है. बाकी सदस्य भी इस माहौल में बेहद ज्यादा डरे हुए हैं. घर में परिवार की जिम्मेदारी भी उठानी होती है और अस्पताल में मरीजों की देखभाल भी करनी जरूरी है. उधर कोविड-19 आने के बाद अस्पताल के साथ-साथ घर पर रहकर भी ऑनलाइन लोगों को मेडिकल ही सुझाव देना होता है. लिहाजा 24 घंटे मरीजों को लेकर सक्रिय रहना होता है.

पूनम गौतम यह भी कहती हैं कि अब तो वह पुराने दिन याद आने लगे हैं. जब पूरा परिवार एक साथ बैठकर बातें करता था. बेहतर जिंदगी जी रहा था. लेकिन अब उनसे अलग रहकर समय बिताना पड़ रहा है.

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भेदभाव भी झेल रही हैं नर्स

मौजूदा हालात में कई बार स्वास्थ्य कर्मियों को कोविड-19 महामारी के कारण भेदभाव भी झेलना पड़ा है. नर्स महेश्वरी कहती हैं कि लोग अब बात करने से परहेज करते हैं और दूरी भी बनाने की कोशिश करते हैं. हालांकि यह एक अच्छी बात है लेकिन कई बार लोगों का ज्यादा परहेज करना अजीब भी लगता है. कई नर्सें ऐसी भी हैं, जिनके छोटे बच्चे हैं और वह अपने बच्चों से भी ठीक से नहीं मिल पा रहीं. एक तरफ मरीजों की बढ़ती संख्या और दूसरी कम स्टाफ के कारण काम का ज्यादा दबाव. कई नर्स पॉजिटिव भी हो चुकी हैं.

नर्स महेश्वरी ने कहा कि उनकी यही कोशिश होती है कि मरीजों को अस्पताल में भी घर सा माहौल मिले. हरहाल में सब कुछ ठीक तरह से चले इसी का प्रयास किया जा रहा है. उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही हालात बेहतर होंगे.

सबसे बड़ी बात है यह है कि परिवार वाले भी अब उन्हें अस्पताल भेजने से डरते हैं. परिजनों को हर वक्त उनकी चिंता लगी रहती है. उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती यही है कि वो खुद को संक्रमण से बचाते हुए मरीजों की सेवा करें. यही नहीं नर्सों के परिवार वाले संक्रमित न हों इसके लिए विशेष एहतियात बरतनी है.

Last Updated : May 13, 2021, 10:26 PM IST
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