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ये हैं मौलाना रमजानी भाई चतुर्वेदी, जिन्हें 6 भाषाओं में याद है गीता, रामायण और चार वेदों का ज्ञान

रामायण का पाठ करते ये हैं मौलाना रमजानी भाई चतुर्वेदी. नाम थोड़ा अलग हैं मगर ये धर्म नहीं सिर्फ 'मानवता' की बात करते हैं. ये शास्त्री, आचार्य नहीं बल्की खालिस मौलाना हैं. इन्हें जितनी मोहब्बत नमाज से है, उतनी ही श्रद्धा मंत्रोचार में. इनका सर सजदे और मंदिर की आरती दोनों के वक्त झुकता है. दरअसल मौलाना के नाम के साथ चतुर्वेदी इसलिए जुड़ा क्योंकि इन्हे चारों वेद कंठस्थ है.

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Published : Nov 13, 2019, 8:16 AM IST

मौलाना रमजानी

मुरैना। मुरैना जिले का इतिहास गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल रहा है. समय चाहे कोई भी रहा हो. मुरैना के इतिहास में कभी भी इलाके में फसाद नहीं हुआ. इसी भाईचारे की एक मिसाल है मौलाना रमजानी भाई चतुर्वेदी. वो इंसान जिसका धर्म मानवता है ऐसा इंसान जिसे कुरान के साथ-साथ गीता, रामायण और चारों वेदों का पूरा ज्ञान 6 भाषाओं में याद है.

गंगा जमुनी तहजीब के प्रतीक 'मौलाना रमजानी भाई चतुर्वेदी'

रमजानी भाई चतुर्वेदी कोई पंडित या शास्त्री नहीं बल्कि मुस्लिम समाज से आने वाले मौलाना है. जिन्हें उर्दू, फारसी, इंग्लिश, हिंदी, और संस्कृत भाषा का ज्ञान है. हिंदू मोहल्ले में पढ़े-बढ़े रमजानी बचपन से ही बड़े बुजुर्गों के साथ बैठा करते थे. जिसमें उन्हें गीता पढ़ते हुए रामायण पढ़ते हुए लोगों के साथ बैठना अच्छा लगता था. यही वजह है कि उनको इन किताबों में रुचि बढ़ी और वे आज चारों वेद, रामायण, गीता, कुरान उन्हें जुबानी याद है. इसके अलावा मौलाना रमजानी ने 15 साल तक अरबी और फारसी पढ़ी और मौलाना की तामील हासिल की. आज भी उनके घर पर यह सभी किताबें मौजूद हैं. इसी ज्ञान की वजह से उनके नाम के साथ चतुर्वेदी जुड़ गया.

लोगों को मौलाना रमजानी के इस ज्ञान पर फक्र है, फिर चाहे वह हिंदू हो या मुस्लिम. मौलाना सभी धर्मों के संदेश लोगों को सुनाते हैं. यही नहीं कई लोग उन्हें सभी धर्मों के धार्मिक कार्यक्रमों में बुलाते हैं. जिसमें वह इन सभी धर्मों की बातें लोगों तक पहुंचाते हैं. यही वजह है कि उनका पूरे इलाके में हर धर्म के लोगों में बड़ा सम्मान है. मौलाना रमजानी भाई चतुर्वेदी की तरह अगर सभी लोग हर धर्म की किताब से सिर्फ इंसानियत की बात सीखे और मानवता धर्म अपना लें तो शायद फिर हमारे देश में कभी धर्म के नाम पर दंगे फसाद ना हो.

मुरैना। मुरैना जिले का इतिहास गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल रहा है. समय चाहे कोई भी रहा हो. मुरैना के इतिहास में कभी भी इलाके में फसाद नहीं हुआ. इसी भाईचारे की एक मिसाल है मौलाना रमजानी भाई चतुर्वेदी. वो इंसान जिसका धर्म मानवता है ऐसा इंसान जिसे कुरान के साथ-साथ गीता, रामायण और चारों वेदों का पूरा ज्ञान 6 भाषाओं में याद है.

गंगा जमुनी तहजीब के प्रतीक 'मौलाना रमजानी भाई चतुर्वेदी'

रमजानी भाई चतुर्वेदी कोई पंडित या शास्त्री नहीं बल्कि मुस्लिम समाज से आने वाले मौलाना है. जिन्हें उर्दू, फारसी, इंग्लिश, हिंदी, और संस्कृत भाषा का ज्ञान है. हिंदू मोहल्ले में पढ़े-बढ़े रमजानी बचपन से ही बड़े बुजुर्गों के साथ बैठा करते थे. जिसमें उन्हें गीता पढ़ते हुए रामायण पढ़ते हुए लोगों के साथ बैठना अच्छा लगता था. यही वजह है कि उनको इन किताबों में रुचि बढ़ी और वे आज चारों वेद, रामायण, गीता, कुरान उन्हें जुबानी याद है. इसके अलावा मौलाना रमजानी ने 15 साल तक अरबी और फारसी पढ़ी और मौलाना की तामील हासिल की. आज भी उनके घर पर यह सभी किताबें मौजूद हैं. इसी ज्ञान की वजह से उनके नाम के साथ चतुर्वेदी जुड़ गया.

लोगों को मौलाना रमजानी के इस ज्ञान पर फक्र है, फिर चाहे वह हिंदू हो या मुस्लिम. मौलाना सभी धर्मों के संदेश लोगों को सुनाते हैं. यही नहीं कई लोग उन्हें सभी धर्मों के धार्मिक कार्यक्रमों में बुलाते हैं. जिसमें वह इन सभी धर्मों की बातें लोगों तक पहुंचाते हैं. यही वजह है कि उनका पूरे इलाके में हर धर्म के लोगों में बड़ा सम्मान है. मौलाना रमजानी भाई चतुर्वेदी की तरह अगर सभी लोग हर धर्म की किताब से सिर्फ इंसानियत की बात सीखे और मानवता धर्म अपना लें तो शायद फिर हमारे देश में कभी धर्म के नाम पर दंगे फसाद ना हो.

Intro:एंकर - मुरैना जिले का इतिहास गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल रहा है चाहे कोई भी समय रहा हो। मुरैना के इतिहास में कभी भी इलाके में जातिगत फसाद देखने को नहीं मिले इस भाई चारे की एक बड़ी मिसाल मौलाना रमजानी भाई चतुर्वेदी के रूप में देखने को मिलती है। वो इंसान जिसका धर्म मानवता है ऐसा इंसान जिसे कुरान के साथ-साथ गीता, रामायण ,चारों वेदों का पूरा ज्ञान के साथ 6 भाषाओं का भी ज्ञान है। जो हिंदुओं के घर रामायण सुनाता है तो मुस्लिम परिवारों में कुरान इन्हें किताबें खोलकर देखने की भी जरूरत नहीं है। ये सभी उनको जुबानी याद है यही वजह है कि सालों से मौलाना रमजानी को जिगनी गांव के साथ-साथ आसपास के इलाकों में भी लोग कार्यक्रमों में बुलाते हैं।लोगों को फक्र है कि कि ऐसा इंसान भी उनके बीच रह रहा है जिसका धर्म सिर्फ मानवता है।


Body:वीओ1 - मुरैना अम्बाह रोड किनारे बसा जिगनीं गाँव के जो आपके सामने जो व्यक्ति रामायण का पाठ कर रहे हैं वह कोई पंडित या शास्त्री नहीं बल्कि मुस्लिम समाज से आने वाले मौलाना है। पर वहीं दूसरी तस्वीर में ही मौलाना आपको कुरान का पाठ करते हुए दिख जाएंगे जी हां मौलाना साहब को यह धर्म किताबें जुबानी याद है। यही नहीं मौलाना जी इन सभी धर्म की किताबों के संदेश लोगों तक पहुंचाते हैं यही वजह है कि जिगनी गांव के ही लोग नहीं आसपास के गाँव के लोग भी मौलाना को धार्मिक कार्यक्रम में बुलाते हैं फिर चाहे वह हिंदू हो या मुसलमान।

बाइट1 - रमजानी भाई चतुर्वेदी - मौलाना जिगनीं।


वीओ2 - मौलाना रमजानी को 7 भाषाएं उर्दू,फारसी,इंग्लिश,हिंदी, संस्कृत सहित भाषा का ज्ञान है हिंदू मोहल्ले में पढ़े बढ़े रमजानी बचपन से ही बड़े बुजुर्गों के साथ बैठा करते थे। जिसमें उन्हें गीता पढ़ते हुए रामायण पढ़ते हुए लोगों के साथ बैठना अच्छा लगता था। यही वजह है कि उनको इन किताबों में रुचि बढ़ी और आज चारों वेद, रामायण,गीता, कुरान उन्हें जुबानी याद है। इसके अलावा मौलाना रमजानी ने 15 साल तक अरबी और फारसी पढ़ी और मौलाना की तामील हासिल की आज भी उनके घर पर यह सभी किताबों मौजूद हैं। इसी ज्ञान की वजह से उनके नाम के साथ चतुर्वेदी जुड़ गया है।

बाइट2 - रमजानी भाई चतुर्वेदी - मौलाना जिगनीं।


Conclusion:वीओ3 - लोगों को मौलाना रमजानी के इस ज्ञान पर फक्र है फिर चाहे वह हिंदू हो या मुस्लिम। मौलाना सभी धर्मों के संदेश लोगों को सुनाते हैं यही नहीं कई बड़े-बड़े कार्यक्रम किए जाते हैं जिसमें वह इन सभी धर्मों की बातें लोगों तक पहुंचाते हैं। यही वजह है कि उनका पूरे इलाके में हर धर्म के लोगों में बड़ा सम्मान है।

बाइट3 - सरनाम सिंह - ग्रामीण जिगनीं।
बाइट4 - दिनेश शर्मा - ग्रामीण जिगनीं।

वीओ4 - मौलाना रमजानी भाई चतुर्वेदी की तरह अगर सभी लोग हर धर्म की किताब से सिर्फ इंसानियत की बात सीखे और मानवता धर्म अपना लें तो शायद फिर हमारे देश में कभी धर्म के नाम पर दंगे फसाद ना हो।
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