देहरादूनः वैश्विक महामारी कोरोना के चलते बेरोजगार हो चुके युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए एमएसएमई के तहत 28 मई को मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना की शुरुआत की गई है. जिसके माध्यम से खुद का स्वरोजगार शुरू करने के इच्छुक युवा बैंक के माध्यम से ऋण लेकर अपने खुद का स्वरोजगार शुरू कर सकते हैं. लेकिन बड़ा सवाल ये है कि क्या प्रदेश के युवा वास्तव में इस योजना का लाभ ले पा रहे हैं?
ईटीवी भारत आज अपनी इस रिपोर्ट के माध्यम से आपको उन युवाओं की समस्याओं से रूबरू कराने जा रहा है, जो मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना से जुड़कर अपना स्वरोजगार शुरू करना चाहते हैं. लेकिन लंबी चौड़ी प्रक्रिया के चलते इस योजना का लाभ नहीं ले पा रहे हैं.
मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना को लेकर ईटीवी भारत से बात करते हुए त्यूणी के रहने वाले संदीप राणा बताते हैं किसी योजना से जुड़कर वह अपना खुद का स्वरोजगार शुरू करना चाहते थे. लेकिन इसकी जो पूरी प्रक्रिया है, वह काफी लंबी-चौड़ी और कठिन है. यदि कोई बेरोजगार युवक ऑनलाइन आवेदन कर बैंक से ऋण लेना चाहता हैं तो ये एक बड़ी चुनौती है. इसका मुख्य कारण है सरकार की तरफ से बैंकों के लिए कोई गाइडलाइन जारी नहीं होना. ऐसे में बैंक ऋण देने से पहले आईटीआर के साथ ही गारंटी की मांग करता है, जिसे दे पाना हर किसी के लिए मुमकिन नहीं है.
गौरतलब है कि एक तरफ सरकार मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना से युवाओं को रोजगार मुहैया कराने के दावे करती है. लेकिन वास्तविकता ये है कि एक बेरोजगार युवा चाह कर भी इस कल्याणकारी योजना से जुड़ नहीं पा रहा है. क्या है इसकी वजह, आइए जानते हैं.
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ऑनलाइन पंजीकरण की प्रक्रिया
मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना से यदि कोई युवक या युवती जुड़ना चाहते हैं तो उसे सबसे पहले www.msy.uk.gov.in पर जाकर अपना पंजीकरण कराना होता है. लेकिन सवाल ये है कि प्रदेश के जिन दूरस्थ इलाकों में आज भी इंटरनेट सुविधा खस्ताहाल हैं. उस जगह के युवा इस योजना से कैसे जुड़ेंगे?
जीएसटी नंबर और ट्रेड लाइसेंस की कठिन प्रक्रिया
यदि कोई युवक मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना की वेबसाइट पर पंजीकरण करा लेता है तो उसके बाद उसे जीएसटी नंबर और ट्रेड लाइसेंस इत्यादि जैसे डाक्यूमेंट्स के लिए भागदौड़ करनी पड़ती है. कुल मिलाकर इस पूरी भागा-दौड़ी में काफी वक्त लगता है. साथ ही एक चार्टर्ड अकाउंटेंट की भी मदद लेनी पड़ती है. जिसकी भारी-भरकम फीस चुकाना हर किसी के बस की बात नहीं है.
बैंक से ऋण मिलने की प्रक्रिया
मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना से जुड़े सभी डॉक्यूमेंटेशन के कार्य पूरे कराने के बाद जब एक बेरोजगार युवा बैंक में ऋण लेने पहुंचता है तो उससे कई तरह के दस्तावेज मांगे जाते हैं. जिसमें आईटीआर और गेरेंटर इत्यादि से जुड़े डॉक्यूमेंट शामिल हैं. ऐसे में एक बेरोजगार युवा के लिए इन सभी डाक्यूमेंट्स को बैंक को मुहैया करा पाना किसी चुनौती से कम नहीं.
ईटीवी भारत से मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना को लेकर अपना अनुभव साझा करते हुए देहरादून के अनिकेत शर्मा बताते हैं कोरोना संकट के बीच जारी लॉकडाउन में वह अपनी नौकरी गंवा चुके हैं. ऐसे में उन्होंने भी मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना से जुड़कर अपना स्वरोजगार शुरू करने की सोची थी. इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना की वेबसाइट पर अपना पंजीकरण तक कर दिया था. लेकिन अंत में जब बैंक से ऋण लेने का समय आया तो बैंक के कठिन डॉक्यूमेंटेशन के चलते उन्होंने इस योजना से न जुड़ने का मन बना लिया है.
मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना एक बेहतरीन योजना है, इसमें कोई दो राय नहीं. लेकिन इस योजना से जुड़ने वाला बेरोजगार युवा जिस तरह की समस्याओं का सामना कर रहा है. उस पर सरकार को जरूर विचार करना चाहिए. ईटीवी भारत से बात करते हुए देहरादून के युवा विनोद शर्मा ने बताया कि इस योजना के माध्यम से ऋण मिल पाना सबसे बड़ी चुनौती है. जिसे सरकार को आसान बनाना चाहिए. सरकार को बेरोजगार युवाओं को ध्यान में रखते हुए बैंकों के लिए इस योजना के तहत नई गाइडलाइन जारी करनी चाहिए, तभी युवा इस योजना का लाभ ले पाएंगे.
बहरहाल, राज्य सरकार लगातार युवाओं को मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना से जुड़कर अपना स्वरोजगार शुरू करने को तो कह रही है, लेकिन हमारे सामने जिस तरह युवाओं ने अपनी समस्याओं को रखा, वह सरकार के लिए एक सोचने का विषय जरूर है कि आखिर जब इतनी कठिन प्रक्रिया में बेरोजगार युवा चाहकर भी मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना का लाभ कैसे ले पाएगा?