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मां भद्रकाली की प्रतिमा को मंदिर में किया स्थापित, श्रद्धालुओं ने की सुख-समृद्धि की कामना

मसूरी के देवीकोल में मां भद्रकाली मंदिर में भद्रकाली मां की नई प्रतिमा को विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर स्थापित किया गया. इस मौके पर 40 गांवों से श्रद्धालुओं ने मां भद्रकाली के दर्शन कर परिवार की खुशहाली की कामना की.

Bhadrakali temple
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Published : Oct 11, 2021, 7:19 AM IST

Updated : Oct 18, 2021, 1:35 PM IST

मसूरी: नैनबाग तहसील के छह हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित देवीकोल में मां भद्रकाली मंदिर में भद्रकाली मां की नई प्रतिमा को विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर स्थापित किया गया. इस मौके पर उपस्थित क्षेत्र के करीब 40 गांवों से श्रद्धालुओं ने मां भद्रकाली के दर्शन कर परिवार की खुशहाली की कामना की. इस अवसर पर पश्वाओं पर कुलदेव देवी अवतरित हुए, जिनको विधि-विधान से शांत कर घरबारी किया गया.

इस दौरान ग्रामीणों ने सिरनी-नौण (गाय के ताजे दूध) से मां भद्रकाली देवी की पूजा अर्चना कर अपने पशुधन, फसलों और परिवार की सुख समृद्धि की कामना की. ग्रामीण महिलाओं और पुरुषों ने तांदी, रासो और जंगू बाजी द्वारा अपनी समृद्ध लोक संस्कृति का प्रदर्शन किया. साथ ही इस मौके पर विशाल भंडारे का आयोजन भी किया गया.

मां भद्रकाली की प्रतिमा को मंदिर में किया स्थापित.

मंदिर समिति के संरक्षक सूरत सिंह खरकाई, अध्यक्ष जोत सिंह रावत ने बताया कि मां भद्रकाली की पुरानी खंडित प्रतिमा को बीते 7 अक्टूबर को हरिद्वार में गंगा में विसर्जित किया गया था, और नई प्रतिमा को गंगा में स्नान करवाने के बाद, कांडी मल्ली गांव से कलश यात्रा के साथ देवीकोल लाया गया था. जिसको विधि विधान से मंदिर में प्रतिष्ठित किया गया.

पढ़ें: हरिद्वार जिला कारागार में कैदियों ने किया रामलीला का मंच

मंदिर समिति के संरक्षक के अध्यक्ष जोत सिंह रावत ने कहा कि देवीकोल में मां भद्रकाली मंदिर ऐतिहासिक और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है. जिसको पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जा सकता है. उन्होंने सरकार से मांग कि है कि देवीकोल मंदिर में हर साल होने वाले दो आयोजन को पर्यटन मेला घोषित किया जाए. वहीं, देवीकोल मंदिर और आसपास के क्षेत्र को पर्यटन हब बनाए जाने के लिए कार्रवाई की जाए.

मसूरी: नैनबाग तहसील के छह हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित देवीकोल में मां भद्रकाली मंदिर में भद्रकाली मां की नई प्रतिमा को विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर स्थापित किया गया. इस मौके पर उपस्थित क्षेत्र के करीब 40 गांवों से श्रद्धालुओं ने मां भद्रकाली के दर्शन कर परिवार की खुशहाली की कामना की. इस अवसर पर पश्वाओं पर कुलदेव देवी अवतरित हुए, जिनको विधि-विधान से शांत कर घरबारी किया गया.

इस दौरान ग्रामीणों ने सिरनी-नौण (गाय के ताजे दूध) से मां भद्रकाली देवी की पूजा अर्चना कर अपने पशुधन, फसलों और परिवार की सुख समृद्धि की कामना की. ग्रामीण महिलाओं और पुरुषों ने तांदी, रासो और जंगू बाजी द्वारा अपनी समृद्ध लोक संस्कृति का प्रदर्शन किया. साथ ही इस मौके पर विशाल भंडारे का आयोजन भी किया गया.

मां भद्रकाली की प्रतिमा को मंदिर में किया स्थापित.

मंदिर समिति के संरक्षक सूरत सिंह खरकाई, अध्यक्ष जोत सिंह रावत ने बताया कि मां भद्रकाली की पुरानी खंडित प्रतिमा को बीते 7 अक्टूबर को हरिद्वार में गंगा में विसर्जित किया गया था, और नई प्रतिमा को गंगा में स्नान करवाने के बाद, कांडी मल्ली गांव से कलश यात्रा के साथ देवीकोल लाया गया था. जिसको विधि विधान से मंदिर में प्रतिष्ठित किया गया.

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मंदिर समिति के संरक्षक के अध्यक्ष जोत सिंह रावत ने कहा कि देवीकोल में मां भद्रकाली मंदिर ऐतिहासिक और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है. जिसको पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जा सकता है. उन्होंने सरकार से मांग कि है कि देवीकोल मंदिर में हर साल होने वाले दो आयोजन को पर्यटन मेला घोषित किया जाए. वहीं, देवीकोल मंदिर और आसपास के क्षेत्र को पर्यटन हब बनाए जाने के लिए कार्रवाई की जाए.

Last Updated : Oct 18, 2021, 1:35 PM IST
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