देहरादूनः देवभूमि उत्तराखंड जैसे छोटे से पहाड़ी राज्य में महिला अपराधों का सिलसिला साल दर साल बढ़ता जा रहा है, जो बेहद चिंता का विषय है. राज्य में महिलाओं से जुड़े मामलों में सबसे अधिक दुष्कर्म के मामले दर्ज हो रहे हैं. पिछले कुछ सालों की तुलना में 2022 साल के मात्र शुरुआती 5 महीने के आंकड़ों ने सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं.
साल 2020 में जहां जनवरी से मई महीने तक महिला अपराध से जुड़े अलग-अलग मामलों में कुल 910 केस पुलिस डायरी में दर्ज हुए थे तो साल 2021 में शुरुआती 5 महीने में ये आंकड़ा 1471 पहुंच गया. लेकिन हैरानी की बात यह है कि साल 2022 के शुरुआती 5 महीनों में महिला उत्पीड़न अपराधों से जुड़े मामले अब तक 1706 दर्ज हो चुके हैं, जो कि बेहद चिंता का विषय है.
ऑनलाइन सेक्सुअल हरासमेंट के मामलेः ऑनलाइन सेक्सुअल हरासमेंट के मामले भी उत्तराखंड में साल दर साल बढ़ रहे हैं. इस साल 2022 के जनवरी से मई माह तक प्रदेश भर में कुल 27 ऑनलाइन सेक्सुअल के मामले आईटी एक्ट में दर्ज किए गए हैं. वहीं, 2021 के शुरुआती 5 महीने में 33 मामले दर्ज हुए थे. जबकि 2020 के शुरुआती 5 महीने में सिर्फ 23 ऑनलाइन सेक्सुअल हरासमेंट के मामले दर्ज हुए.
महिला अपराध में 3 जिले आगेः महिला अपराधों से जुड़े गंभीर मामलों में हर बार की तरह साल से शुरुआती 5 महीनों में उधमसिंह नगर, देहरादून और हरिद्वार जिले सबसे आगे हैं. उधम सिंह नगर में 477, देहरादून में 405 और हरिद्वार जिले में 401 संगीन अपराध महिलाओं से जुड़े मामले दर्ज हुए हैं.
डीजीपी ने दिए निर्देशः मंगलवार को डीजीपी अशोक कुमार ने सभी 13 जिलों के महिला अपराध विवेचना से जुड़े महिला और पुरुष अफसरों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आवश्यक दिशा निर्देश दिए. DGP ने कहा कि किसी भी तरह के महिला उत्पीड़न अपराध के मामलों में घटना स्थल पर जाकर बारीकी से जांच की जाए. साइंटिफिक एविडेंस को मजूबत बनाया जाए. ताकि किसी भी महिला और नाबालिग बच्चों के पॉक्सो अपराध में वारदात को अंजाम देने वाला अभियुक्त कानून की सजा से बच ना पाए.
महिला अपराध बेहद संवेदनशीलः डीजीपी अशोक कुमार ने कहा कि साल 2013 के निर्भया कांड के बाद देश में आईपीसी और सीआरपीसी की धारा में कई तरह के प्रभावी संशोधन किए गए हैं. इसी को लेकर राज्य के सभी 13 जिलों के एसपी, एसएसपी और महिला अपराध से जुड़े जांच अधिकारियों को पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए प्रभावी कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं. ताकि महिला और नाबालिग बच्चियों के साथ अपराध करने वाले को कड़ी से कड़ी सजा मिल सके. महिला अपराध से जुड़े हर मामले की अधिक से अधिक सुनवाई हो, इसके लिए बड़ी संख्या में मुकदमे दर्ज कर अभियुक्तों के खिलाफ कानूनी शिकंजा कसा जा रहा है.