देहरादून: शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद (Shankaracharya Swami Swaroopanand Saraswati) ने कई बार विवादों को जन्म दिया. अपने ज्ञान और हर मुद्दे पर बेबाकी से राय रखने वाले शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद के प्रकोप से ना तो कांग्रेस की सत्ता बची और ना ही मौजूदा सरकार. महंगाई का मुद्दा हो या राम मंदिर की आधारशिला का मुहूर्त. स्वामी स्वरूपानंद ने हमेशा से कई बातों का विरोध किया. वैसे तो स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के कई बयानों से विवाद खड़ा हुआ है लेकिन सबसे बड़ा विवाद तब खड़ा हुआ था, जब शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद ने साईं बाबा को हिंदू विरोधी और उनकी पूजा पद्धति को लेकर सवाल खड़े कर दिए थे. शंकराचार्य पद पर बैठे स्वामी स्वरूपानंद ने जैसे ही बयान दिया, (Statements of Swami Swaroopanand Saraswati) देश भर में हंगामा खड़ा हो गया.
जब एक बयान के बाद मंदिरों से हटने लगी थी साईं की मूर्ति: साल 2014 में स्वामी स्वरूपानंद अपने हरिद्वार स्थित आश्रम में मौजूद थे. हालांकि, वह साईं के भक्तों को हमेशा से ज्ञान देते रहे. इस्कॉन मंदिर और साईं को लेकर उनके पहले भी कई बयान आते रहे हैं लेकिन ईटीवी भारत संवाददाता ने जब उनसे हरिद्वार स्थित आश्रम में साईं को लेकर सवाल किए तो शंकराचार्य इतना खुलकर बोले कि देश भर में हंगामा खड़ा हो गया.
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने ना केवल बयान दिया बल्कि अपने तमाम भक्तों से यह अपील की कि उनके मोहल्ले शहर गांव में अगर साईं की कहीं भी मूर्ति है, तो तुरंत उसको वहां से हटा दें. इसके बाद देशभर में कई जगहों पर स्वामी स्वरूपानंद का विरोध हुआ साईं शिर्डी से लेकर महाराष्ट्र, कोलकाता, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में भी शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद के खिलाफ कई बयान आए. लेकिन स्वरूपानंद की कार्यशैली और उनको जानने वाले उनके भक्त उनके इस बयान के साथ खड़े नजर आए. यही कारण रहा कि देश भर के मंदिरों में से अचानक साईं की मूर्तियां हटनी शुरू हो गईं. यह पूरा मामला पहले तो लोअर कोर्ट (lower court) और उसके बाद हाईकोर्ट और उसके बाद सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) तक पहुंच गया.
कुंभ में भी दी धमकी: शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के ऊपर देशभर के कई शहरों से यह दबाव आने लगा कि वह अपने बयान को ना केवल वापस लें, बल्कि माफी मांगें. लेकिन स्वामी स्वरूपानंद थे कि अपने बयान पर अडिग रहे. उन्होंने माफी तो मांगी नहीं और उल्टा कुंभ मेले में इस बात का भी ऐलान कर दिया कि अगर साईं का कहीं भी मंडप लगा, तो उसको उखाड़ने का काम भी शिष्य करेंगे.
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राममंदिर के मुहर्त पर भी खड़े किये थे सवाल: ऐसा नहीं है कि स्वामी स्वरूपानंद ने सिर्फ साईं पर ही सवाल खड़े किए हों, बीते साल जब राम मंदिर की आधारशिला रखी जा रही थी. तब भी उन्होंने विरोध किया था. उन्होंने कहा था कि जिस मुहूर्त में राम मंदिर की आधारशिला रखा जा रखी जा रही है, वह समय परिस्थितियां सही नहीं है. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ का भी उस समय विरोध किया था.
शनिमंदिर में महिलाओं के प्रवेश से लेकर केदार आपदा पर दी तीखी प्रतिक्रिया: इतना ही नहीं उनके बयान से एक बार तब भी विवाद खड़ा हो गया था, जब उन्होंने शनि मंदिर पर महिलाओं के जाने पर प्रतिबंध लगाने की बात कही थी. उन्होंने कहा था कि महिलाओं को शनि मंदिर में प्रवेश नहीं करना चाहिए. इस बात को लेकर उनका काफी विरोध हुआ. उन्होंने महाराष्ट्र के शनि शिंगणापुर मंदिर में महिलाओं के जाने पर आपत्ति जताई थी. उन्होंने कहा था कि महिलाओं को शनि देवता के पास नहीं जाना चाहिए.
साल 2013 में आई उत्तराखंड आपदा में भी उनके कई बयान सुर्खियों में रहे उन्होंने सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा था कि सरकार ने धार्मिक स्थलों में लोगों को पिकनिक मनाने का पूरा साजो सामान मुहैया करा रखा है और यही कारण है कि अब धार्मिक स्थलों पर इस तरह की आपदाएं आ रही हैं. उन्होंने कहा था कि होटलों में भोग विलास करने लोग दूर-दराज से आते हैं. लिहाजा, जो उत्तराखंड के धार्मिक स्थलों पर आना चाहते हैं. उन लोगों से उन्होंने अपील भी की थी के यहां पर सिर्फ धार्मिक गतिविधियों के लिए आएं बाकी लोग उत्तराखंड के धार्मिक स्थलों पर प्रवेश ना करें.