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उत्तराखंड भू कानून: CM धामी बोले- निवेशकों को नहीं रोक रहे, जमीन लूटने नहीं देंगे

सोमवार को भू कानून समिति ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को 80 पेज की रिपोर्ट सौंपी थी. आज मंगलवार को सीएम धामी ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में हमारे पास जमीनों के दुरुपयोग की कई शिकायतें आयी थीं. इसलिए, हमने भूमि कानून की सिफारिशों की जांच करने का निर्णय लिया है. सीएम धामी ने कहा कि हम किसी को यहां आने से नहीं रोक रहे हैं. निवेशकों को भी नहीं रोक रहे हैं. लेकिन उत्तराखंड की जमीन का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए.

Chief Minister Pushkar Singh Dhami
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी
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Published : Sep 6, 2022, 11:45 AM IST

Updated : Sep 6, 2022, 12:11 PM IST

देहरादून: प्रदेश में सशक्त भू कानून (Uttarakhand Land Law) की मांग जोर पकड़ने लगी है. लेकिन सीएम पुष्कर सिंह धामी (CM Pushkar Singh Dhami) अपने बयान पर कायम हैं और इस मुद्दे पर गंभीर हैं. साथ ही उन्होंने भू कानून को लेकर उठ रहे सवालों पर खुलकर अपनी राय रखी हैं. उन्होंने कहा है कि कमेटी ने अपनी रिपोर्ट दे दी है और उन्होंने कई सिफारिशें की हैं. लेकिन हम किसी को यहां आने से नहीं रोक रहे हैं, निवेशकों को भी नहीं. लेकिन उत्तराखंड की जमीन का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि उनके पास पिछले कुछ दिनों में जमीनों के दुरुपयोग की कई शिकायतें आईं हैं.

गौर हो कि उत्तराखंड में भू कानून (Uttarakhand Land Law) को लेकर बनाई गई कमेटी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. सीएम ने रिपोर्ट मिलने के बाद कहा कि भू कानून से संबंधित सभी पक्षों की राय लेते हुए हम प्रदेश के विकास व प्रदेशवासियों के कल्याण हेतु निर्णय लेंगे. समिति ने प्रदेश हित में निवेश की संभावनाओं और भूमि के अनियंत्रित क्रय विक्रय के बीच संतुलन स्थापित करते हुए अपनी 23 संस्तुतियां सरकार को दी हैं.

सीएम भू कानून समाचार

भू कानून को लेकर सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि लंबे समय से इस पर चर्चा हो रही है. जब मैंने मुख्यमंत्री के रूप में काम करना शुरू किया, तो उत्तराखंड के लिए लंबे समय तक काम करने वाले कई लोगों ने मुझसे कहा कि कानून में कुछ संशोधन किए जाएं. हमने इसके लिए एक समिति गठित की थी, जिसने रिपोर्ट सौंप दी है. सीएम ने आगे कहा कि भू कानून की सिफारिशों की जांच करने का निर्णय लिया है. मंत्रिमंडल में चर्चा के बाद उत्तराखंड के हित में भू कानून में संशोधन किया जाएगा.
पढ़ें-उत्तराखंड में जल्द लागू होगा सख्त भू कानून, कमेटी ने 80 पेज की रिपोर्ट सौंपी, की 23 संस्तुतियां

क्या है भू कानून समिति: भू कानून समिति (Land Law Committee in Uttarakhand) में अध्यक्ष समेत कुल पांच सदस्य हैं. इसमें समिति के अध्यक्ष पूर्व मुख्य सचिव सुभाष कुमार हैं. सदस्य के तौर पर दो रिटायर्ड आईएएस अधिकारी डीएस गर्ब्याल और अरुण कुमार ढौंडियाल शामिल हैं. डेमोग्राफिक चेंज होने की शिकायत करने वाले अजेंद्र अजय भी इसके सदस्य हैं. उधर, सदस्य सचिव के रूप में राजस्व सचिव आनंद वर्धन फिलहाल इस समिति में हैं.

हिमाचल के भू कानून की दिखेगी छवि: उम्मीद की जा रही है कि समिति की तरफ से जो रिपोर्ट सरकार को सौंपी जाएगी, उसमें हिमाचल के भू कानून की भी कुछ झलक दिख सकती है. ऐसा इसलिए क्योंकि उत्तराखंड में नए कानून को हिमाचल की तर्ज पर बनाए जाने की मांग उठती रही है. समिति के अध्यक्ष पूर्व मुख्य सचिव सुभाष कुमार हिमाचल से ही ताल्लुक रखते हैं.
पढ़ें-इस महीने के आखिर में अंतिम रूप लेगा उत्तराखंड भू कानून का ड्राफ्ट, हिमाचल के Land Law की दिखेगी छवि

यही नहीं, इस समिति की तरफ से हिमाचल के भू कानून (land law in himachal) का अध्ययन किया गया है. समिति की तरफ से इस कानून के लिए मांगे गए सुझावों में करीब 200 सुझाव मिले थे. इनमें अधिकतर में उत्तराखंड की तरह ही भौगोलिक परिस्थितियां होने के कारण हिमाचल के भू कानून को प्रदेश में लागू करने के सुझाव मिले थे.

राज्य गठन से है सख्त भू कानून की मांग: वैसे भू कानून उत्तराखंड के लिए कोई नया मुद्दा नहीं है. राज्य स्थापना के बाद से ही भू कानून की मांग उठने लगी थी. उस दौरान उत्तर प्रदेश का ही भू अधिनियम प्रदेश में लागू रहा. राज्य बनने के बाद काफी तेजी से जमीनों की खरीद-फरोख्त शुरू हो गई. इसी को देखते हुए एनडी तिवारी सरकार में भू कानून को लेकर कुछ संशोधन किए गए. उत्तराखंड दो अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से जुड़ा हुआ है. यहां 71 फीसदी वनों के साथ 13.92 फीसदी मैदानी भूभाग है, तो 86% पर्वतीय क्षेत्र है.

देहरादून: प्रदेश में सशक्त भू कानून (Uttarakhand Land Law) की मांग जोर पकड़ने लगी है. लेकिन सीएम पुष्कर सिंह धामी (CM Pushkar Singh Dhami) अपने बयान पर कायम हैं और इस मुद्दे पर गंभीर हैं. साथ ही उन्होंने भू कानून को लेकर उठ रहे सवालों पर खुलकर अपनी राय रखी हैं. उन्होंने कहा है कि कमेटी ने अपनी रिपोर्ट दे दी है और उन्होंने कई सिफारिशें की हैं. लेकिन हम किसी को यहां आने से नहीं रोक रहे हैं, निवेशकों को भी नहीं. लेकिन उत्तराखंड की जमीन का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि उनके पास पिछले कुछ दिनों में जमीनों के दुरुपयोग की कई शिकायतें आईं हैं.

गौर हो कि उत्तराखंड में भू कानून (Uttarakhand Land Law) को लेकर बनाई गई कमेटी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. सीएम ने रिपोर्ट मिलने के बाद कहा कि भू कानून से संबंधित सभी पक्षों की राय लेते हुए हम प्रदेश के विकास व प्रदेशवासियों के कल्याण हेतु निर्णय लेंगे. समिति ने प्रदेश हित में निवेश की संभावनाओं और भूमि के अनियंत्रित क्रय विक्रय के बीच संतुलन स्थापित करते हुए अपनी 23 संस्तुतियां सरकार को दी हैं.

सीएम भू कानून समाचार

भू कानून को लेकर सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि लंबे समय से इस पर चर्चा हो रही है. जब मैंने मुख्यमंत्री के रूप में काम करना शुरू किया, तो उत्तराखंड के लिए लंबे समय तक काम करने वाले कई लोगों ने मुझसे कहा कि कानून में कुछ संशोधन किए जाएं. हमने इसके लिए एक समिति गठित की थी, जिसने रिपोर्ट सौंप दी है. सीएम ने आगे कहा कि भू कानून की सिफारिशों की जांच करने का निर्णय लिया है. मंत्रिमंडल में चर्चा के बाद उत्तराखंड के हित में भू कानून में संशोधन किया जाएगा.
पढ़ें-उत्तराखंड में जल्द लागू होगा सख्त भू कानून, कमेटी ने 80 पेज की रिपोर्ट सौंपी, की 23 संस्तुतियां

क्या है भू कानून समिति: भू कानून समिति (Land Law Committee in Uttarakhand) में अध्यक्ष समेत कुल पांच सदस्य हैं. इसमें समिति के अध्यक्ष पूर्व मुख्य सचिव सुभाष कुमार हैं. सदस्य के तौर पर दो रिटायर्ड आईएएस अधिकारी डीएस गर्ब्याल और अरुण कुमार ढौंडियाल शामिल हैं. डेमोग्राफिक चेंज होने की शिकायत करने वाले अजेंद्र अजय भी इसके सदस्य हैं. उधर, सदस्य सचिव के रूप में राजस्व सचिव आनंद वर्धन फिलहाल इस समिति में हैं.

हिमाचल के भू कानून की दिखेगी छवि: उम्मीद की जा रही है कि समिति की तरफ से जो रिपोर्ट सरकार को सौंपी जाएगी, उसमें हिमाचल के भू कानून की भी कुछ झलक दिख सकती है. ऐसा इसलिए क्योंकि उत्तराखंड में नए कानून को हिमाचल की तर्ज पर बनाए जाने की मांग उठती रही है. समिति के अध्यक्ष पूर्व मुख्य सचिव सुभाष कुमार हिमाचल से ही ताल्लुक रखते हैं.
पढ़ें-इस महीने के आखिर में अंतिम रूप लेगा उत्तराखंड भू कानून का ड्राफ्ट, हिमाचल के Land Law की दिखेगी छवि

यही नहीं, इस समिति की तरफ से हिमाचल के भू कानून (land law in himachal) का अध्ययन किया गया है. समिति की तरफ से इस कानून के लिए मांगे गए सुझावों में करीब 200 सुझाव मिले थे. इनमें अधिकतर में उत्तराखंड की तरह ही भौगोलिक परिस्थितियां होने के कारण हिमाचल के भू कानून को प्रदेश में लागू करने के सुझाव मिले थे.

राज्य गठन से है सख्त भू कानून की मांग: वैसे भू कानून उत्तराखंड के लिए कोई नया मुद्दा नहीं है. राज्य स्थापना के बाद से ही भू कानून की मांग उठने लगी थी. उस दौरान उत्तर प्रदेश का ही भू अधिनियम प्रदेश में लागू रहा. राज्य बनने के बाद काफी तेजी से जमीनों की खरीद-फरोख्त शुरू हो गई. इसी को देखते हुए एनडी तिवारी सरकार में भू कानून को लेकर कुछ संशोधन किए गए. उत्तराखंड दो अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से जुड़ा हुआ है. यहां 71 फीसदी वनों के साथ 13.92 फीसदी मैदानी भूभाग है, तो 86% पर्वतीय क्षेत्र है.

Last Updated : Sep 6, 2022, 12:11 PM IST
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