देहरादून: उत्तराखंड कर विभाग ने प्रदेश भर में अपने 55 उपनल कर्मियों की सेवा समाप्त कर दी है. विभाग से सेवा समाप्ति पाने वाले उपनल कर्मियों ने भी अब हल्ला बोल दिया है. कर्मियों का कहना है विभाग ने बिना नोटिस दिये नियम विरुद्ध कार्य किया है. नोटिस और अन्य औपचारिकताओं को लेकर अपर आयुक्त ने कहा यह उपनल और उनके कर्मचारियों के आपस का मामला है.
उत्तराखंड में बेरोजगारी का आलम किसी से छुपा नहीं है. इसके बाद भी लगातार विभागों में सेवा समाप्ति का दौर जारी है. हर विभाग अपने अस्थाई कर्मचारियों को सीमित कर रहा है. इसी कड़ी में उत्तराखंड कर विभाग ने हाल ही में प्रदेशभर के अपने 55 अस्थाई उपनल कर्मियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है. कर विभाग के अधिकारी आईएस बृजवाल, अपर आयुक्त राज्य कर विभाग कहना है कि शासन द्वारा पदों की संख्या को कम किया गया है, लिहाजा, प्रशासन के ही आदेशों के क्रम में यह फैसला लिया गया है.
अपर आयुक्त का कहना है कि जैसे ही शासन से उन्हें आदेश मिला है और उन्हीं आदेशों के क्रम में उन्होंने उपनल कर्मचारियों की सेवा समाप्त की है. साथ ही नोटिस और अन्य औपचारिकताओं को लेकर उन्होंने कहा यह उपनल और उनके कर्मचारियों के आपस का मामला है.
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सेवा समाप्ति के बाद आक्रोशित उपनल कर्मचारियों ने कहा एक सरकारी एजेंसी द्वारा यह नियमों के विरुद्ध कार्यवाही की गई है. जीएसटी डिपार्टमेंट में डाटा ऑपरेटर के सेवा समाप्ति पाने वाली कल्पना का आरोप है कि उन्हें बिना किसी पूर्व नोटिस के 29 मार्च को सेवा समाप्ति का आदेश दिया गया है, जो पूरी तरह से नियम विरुद्ध है. उन्होंने बताया राज्य कर विभाग ने पूरे उत्तराखंड में 55 उपनल कर्मचारियों की सेवा समाप्ति की है. सेवा समाप्ति पाने वाले कर्मचारियों में इस बात का आक्रोश है कि सेवा समाप्ति से पहले किसी तरह की कोई अग्रिम सूचना एक नोटिस नहीं दिया गया. उन्होंने बताया विभाग से निकाले गए यह सभी 55 उपनल कर्मचारी पिछले कई सालों से विभाग में कार्यरत थे. इनमें से कई कर्मचारियों की सेवा 5 साल से 7 साल हो चुकी थी.