देहरादून: प्रदेश में कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे है. देहरादून के अस्पतालों में बेड फुल हो गए है, जिसका नतीजा है कि उत्तराखंड में डेथ रेट भी बढ़ रहा है. कोरोना मरीज अस्पतालों के चक्कर लगा रहे है, लेकिन मरीजों को अस्पतालों में बेड नहीं मिलने के कारण मौत हो रही है.
हालांकि, राज्य सरकार द्वारा बनाये पोर्टल में बेड की स्थिति को देखा जा सकता है, लेकिन जिला प्रशासन द्वारा इस पोर्टल में बेड की जो स्थिति दिखाई जा रही है, वह असल में नहीं है. लोग पोर्टल पर बेड की संख्या को देखते हुए अपने मरीज को अस्पताल में ले जाते हैं फिर भी उन्हें बेड नहीं मिल पाता है, जिससे लोगो को काफी दिक्क्तों का समाना करना पड़ रहा है.
इस मामले में जिलाधिकारी आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि पोर्टल दिनभर में तीन बार अपडेट होता है. उन्होंने कहा कि लेकिन पोर्टल पर एक बेड है और मरीज गंभीर है, तो उसको बेड दिया जाता है. लेकिन अगर कोई पोर्टल पर घर से देखता है, तो पोर्टल में बेड की उपलब्धता दिखाई देती है. लेकिन जब मरीज अस्पताल जाता है. तो तब तक बेड किसी और मरीज को दे दिया जाता है.
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पोर्टल के अनुसार देहरादून जनपद में सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में बिना ऑक्सीजन बेड की कुल संख्या 944, ऑक्सीजन के साथ बेड की कुल संख्या 863 और आईसीयू बेड की कुल संख्या 105 है. इसी बीच नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि वो पोर्टल बनाकर हर 6 घंटे में बेड, ऑक्सीजन और आईसीयू के खाली बेड की जानकारी दे. साथ ही अस्पतालों की स्थिति को भी अपडेट करते रहें.