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स्थापना दिवस पर छलका राज्य आंदोलनकारी का दर्द, कहा- पेंशन नहीं भीख दे रही सरकार, भूमाफियाओंं को करे बाहर

Uttarakhand Formation Day 2023 उत्तराखंड स्थापना दिवस पर राज्य आंदोलनकारी मुन्नी खंडूड़ी ने बेबाकी से अपनी बात रखी. इस दौरान वो कभी राज्य आंदोलनकारियों की शहादत पर तो कभी सरकारों के रवैये पर चोट करती दिखाई दी. वो यहीं नहीं रुकी, उन्होंने फोटो खिंचवाने और पेंशन का लालच रखने वालों को नकली आंदोलनकारी तक बताया.

Uttarakhand Formation Day 2023
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Nov 9, 2023, 12:47 PM IST

Updated : Nov 9, 2023, 7:28 PM IST

स्थापना दिवस पर छलका राज्य आंदोलनकारी का दर्द.

देहरादून: उत्तराखंड राज्य बने 23 साल का वक्त पूरा हो गया है. हालांकि, इन 23 सालों में उत्तराखंड राज्य ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं. यही नहीं, जिस अवधारणा के साथ उत्तराखंड राज्य का गठन किया गया था, उसके अनुरूप राज्य सरकारों ने काम जरूर किए, लेकिन अभी तक राज्य गठन की अवधारणाओं को पूरा नहीं किया जा सका है. राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर जहां एक ओर पूरा प्रदेश स्थापना दिवस का जश्न मना रहा है, वहीं, राज्य आंदोलनकारी अभी भी अपने राज्य की परिस्थितियों को लेकर चिंतित नजर आ रहे हैं.

आज भी मूलभूत सुविधाओं का अभाव: दरअसल, एक अलग पर्वतीय राज्य की मांग को लेकर हजारों की संख्या में राज्य आंदोलनकारियों ने सालों तक संघर्ष किया. जिसमें मातृ शक्ति ने भी बढ़-चढ़ कर भाग लिया. हालांकि, एक अलग पर्वतीय राज्य की मांग इस वजह से उठी थी कि पहाड़ों से पलायन रुके और युवाओं को रोजगार मिल सके. साथ ही पर्वतीय क्षेत्र का भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप विकास हो सके. लेकिन आज भी 23 साल बाद प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में सैकड़ों गांव ऐसे हैं जहां मूलभूत सुविधाएं मौजूद नहीं है.
पढ़ें- उधार के सिस्टम पर चल रहा 23 साल से उत्तराखंड, 80 हजार करोड़ है कर्ज

आंदोलनकारियों की शहादत का दर्द: वहीं, ईटीवी भारत संवाददाता से बातचीत करते हुए राज्य आंदोलनकारी मुन्नी खंडूड़ी ने कहा कि एक अलग राज्य बनाने के लिए उन्होंने भूख प्यास, बारिश, धूप की चिंता नहीं की, बल्कि राज्य के लिए डटकर आंदोलन किया. वर्तमान समय में उनको दो बार अटैक पड़ चुका है, लेकिन आज वो शहीद स्मारक में मौजूद हैं क्योंकि आज भी उन्हें अपने राज्य की चिंता हैं. उन्होंने कहा कि आंदोलन के दौरान मुजफ्फरनगर में उनके सामने दो लोगों में दम तोड़ दिया था, जिसका दर्द आज भी उनके सीने में है. साथ ही कहा कि मुजफ्फरनगर में आंदोलन के दौरान पुलिस ने पिता और बेटे की लाठी से जमकर पिटाई की, जिसके चलते दोनों की मौत हो गई थी.

राज्य आंदोलनकारियों को पेंशन नहीं भीख दे रही सरकार: मुन्नी खंडूड़ी ने कहा कि सबसे पहले प्रदेश में मौजूद भू-माफियाओं को राज्य सरकार प्रदेश से बाहर करें, मूल निवास को अनिवार्य करें, आंदोलनकारियों का चिन्हीकरण, पलायन और बेरोजगारी को दूर करें. मुन्नी खंडूड़ी ने कहा कि प्रदेश में अन्य राज्यों के लोगो को नौकरी न देकर प्रदेश के युवाओं को नौकरी दी जाए, क्योंकि प्रदेश में पहले से ही लाखों युवा बेरोजगार हैं. लिहाजा, उत्तराखंड के युवाओं को प्रदेश में ही रोजगार मिलना चाहिए. कहा कि सरकार आंदोलनकारियों को पेंशन नहीं दे रही है बल्कि भीख दे रही हैं.

state foundation day
राज्य आंदोलनकारी मुन्नी खंडूड़ी ने सरकारों के रवैये पर की चोट

फोटो खिंचवाने और पेंशन का लालच वाले नकली आंदोलनकारी: राज्य आंदोलनकारी ने कहा कि प्रदेश में नकली आंदोलनकारी भी है जो गले में पट्टा डालकर फोटो खिंचवा रहे है. वो आंदोलनकारी नहीं बल्कि सिर्फ पेंशन के लालची हैं. लिहाजा, सरकार को चाहिए कि 1994 से उनका लेखा-जोखा लिया जाए, उसके बाद उनको आंदोलनकारी का दर्जा दिया जाए. क्योंकि नकली आंदोलनकारी, एक तरह तो शहीदों को श्रद्धांजलि दे रहे हैं, वहीं दूसरी ओर झूठ बोल रहे है कि वो आंदोलनकारी हैं. ऐसे में सरकार को ऐसे आंदोलनकारियों की पहचान करानी चाहिए.

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राज्य आंदोलनकारी मुन्नी खंडूड़ी

इन्वेस्टर्स समिट पर उठाए सवाल: राज्य की राजधानी देहरादून में 8 और 9 दिसंबर को होने जा रहे ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के सवाल पर वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी मुन्नी खंडूड़ी ने कहा कि इससे युवाओं को रोजगार तो मिलेगा, लेकिन सरकार को चाहिए कि प्रदेश में भूमाफिया अड्डा न जमाए. हालांकि, ऐसा नहीं है कि सरकार हर जगह गलत ही है, बल्कि सरकार सही काम भी कर रही है. क्योंकि उन्हें विश्वास है कि उत्तराखंड की गद्दी पर बैठी सरकार, प्रदेश का अहित नहीं चाहेगी. लेकिन ऐसा न हो कि बाहर से भूमाफिया आकर हमारी जमीन पर ही हमें आंख दिखाए. लिहाजा, हमारी जमीन हमारी रहे और बच्चों को रोजी-रोटी मिले. साथ ही कहा कि ऐसा काम नहीं होना चाहिए कि आंदोलनकारियों को सरकार के विरोध में खड़ा होना पड़े.

स्थापना दिवस पर छलका राज्य आंदोलनकारी का दर्द.

देहरादून: उत्तराखंड राज्य बने 23 साल का वक्त पूरा हो गया है. हालांकि, इन 23 सालों में उत्तराखंड राज्य ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं. यही नहीं, जिस अवधारणा के साथ उत्तराखंड राज्य का गठन किया गया था, उसके अनुरूप राज्य सरकारों ने काम जरूर किए, लेकिन अभी तक राज्य गठन की अवधारणाओं को पूरा नहीं किया जा सका है. राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर जहां एक ओर पूरा प्रदेश स्थापना दिवस का जश्न मना रहा है, वहीं, राज्य आंदोलनकारी अभी भी अपने राज्य की परिस्थितियों को लेकर चिंतित नजर आ रहे हैं.

आज भी मूलभूत सुविधाओं का अभाव: दरअसल, एक अलग पर्वतीय राज्य की मांग को लेकर हजारों की संख्या में राज्य आंदोलनकारियों ने सालों तक संघर्ष किया. जिसमें मातृ शक्ति ने भी बढ़-चढ़ कर भाग लिया. हालांकि, एक अलग पर्वतीय राज्य की मांग इस वजह से उठी थी कि पहाड़ों से पलायन रुके और युवाओं को रोजगार मिल सके. साथ ही पर्वतीय क्षेत्र का भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप विकास हो सके. लेकिन आज भी 23 साल बाद प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में सैकड़ों गांव ऐसे हैं जहां मूलभूत सुविधाएं मौजूद नहीं है.
पढ़ें- उधार के सिस्टम पर चल रहा 23 साल से उत्तराखंड, 80 हजार करोड़ है कर्ज

आंदोलनकारियों की शहादत का दर्द: वहीं, ईटीवी भारत संवाददाता से बातचीत करते हुए राज्य आंदोलनकारी मुन्नी खंडूड़ी ने कहा कि एक अलग राज्य बनाने के लिए उन्होंने भूख प्यास, बारिश, धूप की चिंता नहीं की, बल्कि राज्य के लिए डटकर आंदोलन किया. वर्तमान समय में उनको दो बार अटैक पड़ चुका है, लेकिन आज वो शहीद स्मारक में मौजूद हैं क्योंकि आज भी उन्हें अपने राज्य की चिंता हैं. उन्होंने कहा कि आंदोलन के दौरान मुजफ्फरनगर में उनके सामने दो लोगों में दम तोड़ दिया था, जिसका दर्द आज भी उनके सीने में है. साथ ही कहा कि मुजफ्फरनगर में आंदोलन के दौरान पुलिस ने पिता और बेटे की लाठी से जमकर पिटाई की, जिसके चलते दोनों की मौत हो गई थी.

राज्य आंदोलनकारियों को पेंशन नहीं भीख दे रही सरकार: मुन्नी खंडूड़ी ने कहा कि सबसे पहले प्रदेश में मौजूद भू-माफियाओं को राज्य सरकार प्रदेश से बाहर करें, मूल निवास को अनिवार्य करें, आंदोलनकारियों का चिन्हीकरण, पलायन और बेरोजगारी को दूर करें. मुन्नी खंडूड़ी ने कहा कि प्रदेश में अन्य राज्यों के लोगो को नौकरी न देकर प्रदेश के युवाओं को नौकरी दी जाए, क्योंकि प्रदेश में पहले से ही लाखों युवा बेरोजगार हैं. लिहाजा, उत्तराखंड के युवाओं को प्रदेश में ही रोजगार मिलना चाहिए. कहा कि सरकार आंदोलनकारियों को पेंशन नहीं दे रही है बल्कि भीख दे रही हैं.

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राज्य आंदोलनकारी मुन्नी खंडूड़ी ने सरकारों के रवैये पर की चोट

फोटो खिंचवाने और पेंशन का लालच वाले नकली आंदोलनकारी: राज्य आंदोलनकारी ने कहा कि प्रदेश में नकली आंदोलनकारी भी है जो गले में पट्टा डालकर फोटो खिंचवा रहे है. वो आंदोलनकारी नहीं बल्कि सिर्फ पेंशन के लालची हैं. लिहाजा, सरकार को चाहिए कि 1994 से उनका लेखा-जोखा लिया जाए, उसके बाद उनको आंदोलनकारी का दर्जा दिया जाए. क्योंकि नकली आंदोलनकारी, एक तरह तो शहीदों को श्रद्धांजलि दे रहे हैं, वहीं दूसरी ओर झूठ बोल रहे है कि वो आंदोलनकारी हैं. ऐसे में सरकार को ऐसे आंदोलनकारियों की पहचान करानी चाहिए.

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राज्य आंदोलनकारी मुन्नी खंडूड़ी

इन्वेस्टर्स समिट पर उठाए सवाल: राज्य की राजधानी देहरादून में 8 और 9 दिसंबर को होने जा रहे ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के सवाल पर वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी मुन्नी खंडूड़ी ने कहा कि इससे युवाओं को रोजगार तो मिलेगा, लेकिन सरकार को चाहिए कि प्रदेश में भूमाफिया अड्डा न जमाए. हालांकि, ऐसा नहीं है कि सरकार हर जगह गलत ही है, बल्कि सरकार सही काम भी कर रही है. क्योंकि उन्हें विश्वास है कि उत्तराखंड की गद्दी पर बैठी सरकार, प्रदेश का अहित नहीं चाहेगी. लेकिन ऐसा न हो कि बाहर से भूमाफिया आकर हमारी जमीन पर ही हमें आंख दिखाए. लिहाजा, हमारी जमीन हमारी रहे और बच्चों को रोजी-रोटी मिले. साथ ही कहा कि ऐसा काम नहीं होना चाहिए कि आंदोलनकारियों को सरकार के विरोध में खड़ा होना पड़े.

Last Updated : Nov 9, 2023, 7:28 PM IST
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