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गैरसैंण बजट सत्र में विधानसभा मार्च की चेतावनी, आंदोलनकारियों ने दिया 15 दिन का समय - राज्य आंदोलनकारी कर रहे गैरसैंण में फिर विधानसभा मार्च करने की तैयारी

अपनी आठ सूत्रीय मांगों को लेकर लंबे समय से सरकार से नाराज आंदोलनकारियों ने आगामी मार्च के बजट सत्र में गैरसैंण में फिर विधानसभा मार्च करने की चेतावनी दी है. आंदोलनकारियों ने सरकार को सकारात्मक निर्णय लेने के लिए 15 दिनों का समय दिया है.

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Published : Feb 5, 2021, 5:53 PM IST

Updated : Feb 5, 2021, 8:41 PM IST

देहरादून: अपनी आठ सूत्रीय मांगों को लेकर लंबे समय से सरकार से आस लगाए बैठे राज्य आंदोलनकारी बेहद नाराज हैं. यही वजह है कि मार्च में होने वाले गैरसैंण में विधानसभा के बजट सत्र के घेराव की तैयारी आंदोलनकारियों ने अभी से करनी शुरू कर दी है. इसको लेकर उत्तराखण्ड राज्य आंदोलनकारी मंच ने शहीद स्मारक देहरादून में एक बैठक की. आंदोलनकारियों का कहना है कि पिछले सत्र में घेराव के दौरान कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने उन्हें वार्ता कर मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया था. लेकिन आगे उस पर कुछ भी काम नहीं हुआ. बताते चलें कि राज्य आंदोलनकारियों की मुख्य मांगें- मुज़फ़्फरनगर कांड के दोषियों को फांसी की सजा, उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी सम्मान मंच के कार्यालय को फिर से खोले जाने, पहाड़ विरोधी भू-कानून को रद्द करने व स्थाई राजधानी गैरसैंण हो इसको लेकर हैं. यदि सरकार आगामी 15-दिनों में कोई सकारात्मक निर्णय ले लेती है, तो उसका स्वागत होगा. अन्यथा बजट सत्र में गैरसैंण में फिर विधानसभा मार्च किया जाएगा.

गैरसैंण बजट सत्र में विधानसभा मार्च की चेतावनी.

राज्य आंदोलनकारियों की प्रमुख मांगें जैसे मुज़फ़्फरनगर, खटीमा, मसूरी गोली कांड के दोषियों को सजा दिलाओ, राज्य आंदोलनकारियों के लिए 10 प्रतिशत शिथिलता (क्षैतिज आरक्षण एक्ट) लागू करो एवं चार वर्षों से चिह्नीकरण के लंबित मामलों के निस्तारण के साथ ही एक समान पेंशन लागू क. राज्य आंदोलनकारी सम्मान परिषद का जल्द गठन किया जाए.

वहीं शहीद परिवार व राज्य आन्दोलनकारियों के आश्रितों की पेंशन का शासनादेश पुनः लागू करें. स्थाई राजधानी गैरसैंण शीघ्र घोषित की जाए. समूह "ग" की भर्ती व उपनल के लिए रोज़गार कार्यालय पंजीकरण में स्थाई निवास प्रमाण पत्र की अनिवार्यता लागू की जाए. राज्य में उपनल के द्वारा की जाने वाली भर्तियों में राज्य के मूल निवासियों को ही रखा जाए. राज्य का जन विरोधी भू-कानून वापस लिया जाए. उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन के शहीद स्मारकों का संरक्षण व निर्माण व्यवस्था शीघ्र लागू की जाए. राज्य में सशक्त लोकायुक्त लागू हो.

ये भी पढ़ेंः हैंडीक्राफ्ट कारीगरों को बढ़ावा देने की पहल, आज से लगेंगी स्टॉल

वहीं, इन मांगों को लेकर प्रदीप कुकरेती ने कहा कि पूर्व में मंत्री धन सिंह रावत द्वारा भी त्रिपक्षीय वार्ता के लिए आश्वस्त किया गया था. लेकिन एक वर्ष बाद भी कोई वार्ता संभव नहीं हुई. आज आमजन आखिर किस पर विश्वास करे. जब दो-दो मंत्री के वार्ता करने के बाद भी परिणाम शून्य है. आज समीक्षा बैठक के सुझावों पर विचार करने के बाद कहा कि यदि सरकार आगामी 15-दिनों में कोई सकारात्मक निर्णय ले लेती है तो उसका स्वागत होगा अन्यथा आगामी मार्च के बजट सत्र में गैरसैंण में फिर विधानसभा मार्च किया जाएगा.

देहरादून: अपनी आठ सूत्रीय मांगों को लेकर लंबे समय से सरकार से आस लगाए बैठे राज्य आंदोलनकारी बेहद नाराज हैं. यही वजह है कि मार्च में होने वाले गैरसैंण में विधानसभा के बजट सत्र के घेराव की तैयारी आंदोलनकारियों ने अभी से करनी शुरू कर दी है. इसको लेकर उत्तराखण्ड राज्य आंदोलनकारी मंच ने शहीद स्मारक देहरादून में एक बैठक की. आंदोलनकारियों का कहना है कि पिछले सत्र में घेराव के दौरान कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने उन्हें वार्ता कर मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया था. लेकिन आगे उस पर कुछ भी काम नहीं हुआ. बताते चलें कि राज्य आंदोलनकारियों की मुख्य मांगें- मुज़फ़्फरनगर कांड के दोषियों को फांसी की सजा, उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी सम्मान मंच के कार्यालय को फिर से खोले जाने, पहाड़ विरोधी भू-कानून को रद्द करने व स्थाई राजधानी गैरसैंण हो इसको लेकर हैं. यदि सरकार आगामी 15-दिनों में कोई सकारात्मक निर्णय ले लेती है, तो उसका स्वागत होगा. अन्यथा बजट सत्र में गैरसैंण में फिर विधानसभा मार्च किया जाएगा.

गैरसैंण बजट सत्र में विधानसभा मार्च की चेतावनी.

राज्य आंदोलनकारियों की प्रमुख मांगें जैसे मुज़फ़्फरनगर, खटीमा, मसूरी गोली कांड के दोषियों को सजा दिलाओ, राज्य आंदोलनकारियों के लिए 10 प्रतिशत शिथिलता (क्षैतिज आरक्षण एक्ट) लागू करो एवं चार वर्षों से चिह्नीकरण के लंबित मामलों के निस्तारण के साथ ही एक समान पेंशन लागू क. राज्य आंदोलनकारी सम्मान परिषद का जल्द गठन किया जाए.

वहीं शहीद परिवार व राज्य आन्दोलनकारियों के आश्रितों की पेंशन का शासनादेश पुनः लागू करें. स्थाई राजधानी गैरसैंण शीघ्र घोषित की जाए. समूह "ग" की भर्ती व उपनल के लिए रोज़गार कार्यालय पंजीकरण में स्थाई निवास प्रमाण पत्र की अनिवार्यता लागू की जाए. राज्य में उपनल के द्वारा की जाने वाली भर्तियों में राज्य के मूल निवासियों को ही रखा जाए. राज्य का जन विरोधी भू-कानून वापस लिया जाए. उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन के शहीद स्मारकों का संरक्षण व निर्माण व्यवस्था शीघ्र लागू की जाए. राज्य में सशक्त लोकायुक्त लागू हो.

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वहीं, इन मांगों को लेकर प्रदीप कुकरेती ने कहा कि पूर्व में मंत्री धन सिंह रावत द्वारा भी त्रिपक्षीय वार्ता के लिए आश्वस्त किया गया था. लेकिन एक वर्ष बाद भी कोई वार्ता संभव नहीं हुई. आज आमजन आखिर किस पर विश्वास करे. जब दो-दो मंत्री के वार्ता करने के बाद भी परिणाम शून्य है. आज समीक्षा बैठक के सुझावों पर विचार करने के बाद कहा कि यदि सरकार आगामी 15-दिनों में कोई सकारात्मक निर्णय ले लेती है तो उसका स्वागत होगा अन्यथा आगामी मार्च के बजट सत्र में गैरसैंण में फिर विधानसभा मार्च किया जाएगा.

Last Updated : Feb 5, 2021, 8:41 PM IST
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