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राजभवन कूच कर रहे राज्य आंदोलनकारियों को पुलिस ने रोका, बारिश में भी हुआ धरना

10 फीसदी क्षैतिज आरक्षण को लेकर आज उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों ने राजभवन कूच किया. कांग्रेस और यूकेडी के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने भी आंदोलनकारियों का साथ दिया.

State agitators
राजभवन मार्च
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Published : Jul 14, 2021, 2:34 PM IST

Updated : Jul 14, 2021, 2:41 PM IST

देहरादून: बीते 6 वर्षों से राजभवन में राज्य आंदोलनकारियों का 10% क्षैतिज आरक्षण का मामला पेंडिंग होने के खिलाफ सैकड़ों राज्य आंदोलनकारियों ने आज राजभवन कूच किया. राजभवन घेराव कार्यक्रम को कांग्रेस पार्टी और उत्तराखंड क्रांति दल ने समर्थन किया. दोनों दलों के कार्यकर्ताओं और नेताओं ने राज्य आंदोलनकारियों के साथ मिलकर राजभवन घेराव में भाग लिया.

सबसे पहले राज्य आंदोलनकारी बहल चौक के पास एकत्रित हुए. उसके बाद जुलूस की शक्ल में सभी राजभवन घेराव को निकले. इस बीच पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हाथीबड़कला में बैरिकेडिंग लगाकर रोक दिया. रोके जाने से नाराज प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच जमकर धक्का-मुक्की हुई. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने राज्यपाल गो बैक के नारे लगाए. सभी नाराज प्रदर्शनकारी सड़क पर ही धरने पर बैठ गए और एक सभा का आयोजन किया.

राज्य आंदोलनकारियों को पुलिस ने रोका.

सरकार से नाराज राज्य आंदोलनकारियों का कहना है कि राज्यपाल ने उन्हें कभी मिलने का समय नहीं दिया. राज्य आंदोलनकारी मंच के जिलाध्यक्ष प्रदीप कुकरेती का कहना है कि बीते 6 वर्षों से राज्य आंदोलनकारियों से जुड़े 10% क्षैतिज आरक्षण का बिल राजभवन में कैद है, जबकि कई बिल या तो राजभवन से पास हो चुके हैं या फिर वापस हो गए हैं.

पढ़ें- मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने बताया क्यों रद्द की कांवड़ यात्रा, IMA ने जताई खुशी

लगातार सैकड़ों आंदोलनकारियों की नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है, लेकिन सरकार राज्य आंदोलनकारियों की घोर अनदेखी कर रही है. प्रदीप कुकरेती का कहना है कि त्रिवेंद्र सरकार ने राज्य आंदोलनकारियों की अनदेखी की है, लेकिन उन्हें नए सीएम धामी से उम्मीद है कि वो जल्द राज्य आंदोलनकारियों की समस्याओं का निराकरण करेंगे.

इसके अलावा राज्य आंदोलनकारियों के चिह्नीकरण के मामले लंबित पड़े हुए हैं. समूह ग की नौकरी पूरे भारत के लिए खोल दी गई है, इससे उत्तराखंड के भौगोलिक सीमांत क्षेत्र का नौजवान आहत है. उसी तरह प्रदेश का भू-कानून पूरे भारत के लिए खोल दिया गया. राज्य आंदोलनकारी प्रदेश में लोकायुक्त की नियुक्ति और राजधानी गैरसैंण बनाए जाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार राज्य आंदोलनकारियों का अपमान कर रही है.

वहीं, चिह्नित राज्य आंदोलनकारी संयुक्त समिति के केंद्रीय मुख्य संरक्षक धीरेंद्र प्रताप ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि जबसे भाजपा सत्ता में आई है, राज्य आंदोलनकारियों को सड़कों पर उतरना पड़ रहा है. 10% आरक्षण और उनकी पेंशन के मामलों पर सरकार कुछ नहीं कर रही है. आंदोलनकारियों के चिह्नीकरण की प्रक्रिया अटकी पड़ी है. उन्होंने कहा कि आज प्रदेश कोरोना, भ्रष्टाचार में नंबर वन है. आने वाले समय में प्रदेश की जनता इस सरकार को उखाड़ फेंकेगी.

ये भी पढ़ें: कैबिनेट: भर्ती परीक्षाओं में मिलेगी एक साल की छूट, सीएम लेंगे परिवहन कर्मियों पर फैसला

बता दें कि प्रदेशभर से विभिन्न संगठनों से जुड़े राज्य आंदोलनकारियों ने 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण का मसला हल न होने की सूरत में राजभवन घेराव किया. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यदि जल्द उनकी विभिन्न मांगों का निस्तारण नहीं हुआ तो आने वाले समय में आंदोलन को और तेज किया जाएगा.

देहरादून: बीते 6 वर्षों से राजभवन में राज्य आंदोलनकारियों का 10% क्षैतिज आरक्षण का मामला पेंडिंग होने के खिलाफ सैकड़ों राज्य आंदोलनकारियों ने आज राजभवन कूच किया. राजभवन घेराव कार्यक्रम को कांग्रेस पार्टी और उत्तराखंड क्रांति दल ने समर्थन किया. दोनों दलों के कार्यकर्ताओं और नेताओं ने राज्य आंदोलनकारियों के साथ मिलकर राजभवन घेराव में भाग लिया.

सबसे पहले राज्य आंदोलनकारी बहल चौक के पास एकत्रित हुए. उसके बाद जुलूस की शक्ल में सभी राजभवन घेराव को निकले. इस बीच पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हाथीबड़कला में बैरिकेडिंग लगाकर रोक दिया. रोके जाने से नाराज प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच जमकर धक्का-मुक्की हुई. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने राज्यपाल गो बैक के नारे लगाए. सभी नाराज प्रदर्शनकारी सड़क पर ही धरने पर बैठ गए और एक सभा का आयोजन किया.

राज्य आंदोलनकारियों को पुलिस ने रोका.

सरकार से नाराज राज्य आंदोलनकारियों का कहना है कि राज्यपाल ने उन्हें कभी मिलने का समय नहीं दिया. राज्य आंदोलनकारी मंच के जिलाध्यक्ष प्रदीप कुकरेती का कहना है कि बीते 6 वर्षों से राज्य आंदोलनकारियों से जुड़े 10% क्षैतिज आरक्षण का बिल राजभवन में कैद है, जबकि कई बिल या तो राजभवन से पास हो चुके हैं या फिर वापस हो गए हैं.

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लगातार सैकड़ों आंदोलनकारियों की नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है, लेकिन सरकार राज्य आंदोलनकारियों की घोर अनदेखी कर रही है. प्रदीप कुकरेती का कहना है कि त्रिवेंद्र सरकार ने राज्य आंदोलनकारियों की अनदेखी की है, लेकिन उन्हें नए सीएम धामी से उम्मीद है कि वो जल्द राज्य आंदोलनकारियों की समस्याओं का निराकरण करेंगे.

इसके अलावा राज्य आंदोलनकारियों के चिह्नीकरण के मामले लंबित पड़े हुए हैं. समूह ग की नौकरी पूरे भारत के लिए खोल दी गई है, इससे उत्तराखंड के भौगोलिक सीमांत क्षेत्र का नौजवान आहत है. उसी तरह प्रदेश का भू-कानून पूरे भारत के लिए खोल दिया गया. राज्य आंदोलनकारी प्रदेश में लोकायुक्त की नियुक्ति और राजधानी गैरसैंण बनाए जाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार राज्य आंदोलनकारियों का अपमान कर रही है.

वहीं, चिह्नित राज्य आंदोलनकारी संयुक्त समिति के केंद्रीय मुख्य संरक्षक धीरेंद्र प्रताप ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि जबसे भाजपा सत्ता में आई है, राज्य आंदोलनकारियों को सड़कों पर उतरना पड़ रहा है. 10% आरक्षण और उनकी पेंशन के मामलों पर सरकार कुछ नहीं कर रही है. आंदोलनकारियों के चिह्नीकरण की प्रक्रिया अटकी पड़ी है. उन्होंने कहा कि आज प्रदेश कोरोना, भ्रष्टाचार में नंबर वन है. आने वाले समय में प्रदेश की जनता इस सरकार को उखाड़ फेंकेगी.

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बता दें कि प्रदेशभर से विभिन्न संगठनों से जुड़े राज्य आंदोलनकारियों ने 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण का मसला हल न होने की सूरत में राजभवन घेराव किया. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यदि जल्द उनकी विभिन्न मांगों का निस्तारण नहीं हुआ तो आने वाले समय में आंदोलन को और तेज किया जाएगा.

Last Updated : Jul 14, 2021, 2:41 PM IST
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