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अब आसानी से होगी AIIMS में रीढ़ की हड्डी की सर्जरी, हाईब्रिड ऑपरेशन थियेटर का शुभारंभ

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Published : Jan 29, 2020, 10:00 AM IST

ऋषिकेश एम्स में अब एपिलैप्सी सर्जरी, दिमाग और रीढ़ की हड्डी के कैंसर, पिट्यूटरी ग्लैंड (पीयूष ग्रंथि) की सर्जरी आसानी से एवं सुरक्षित तरीके से की जा सकेगी.

AIIMS
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ऋषिकेशः अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश में अब हाईब्रिड ऑपरेशन थियेटर की सुविधा भी मिलेगी. इस पहले हाईब्रिड ऑपरेशन थियेटर का संस्थान का निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने औपचारिक शुभारंभ किया. न्यूरो सर्जरी विभाग के इस ओटी में जल्द ही तंत्रिका तंत्र से जुड़े रोगों से ग्रसित मरीजों की शल्य क्रिया शुरू की जाएगी.

इस अवसर पर एम्स निदेशक प्रो. रवि कांत ने बताया कि हाईब्रिड ऑपरेशन थियेटर ​सीटी मशीन एवं अत्याधुनिक न्यूरो नेविगेशन की सुविधाओं से सुस​ज्जित होगा. उन्होंने बताया कि इस तरह की प्रणाली स्थापित होने से अब एम्स अस्पताल में एपीलैप्सी सर्जरी (मिर्गी के दौरे की सर्जरी), दिमाग और रीढ़ की हड्डी के कैंसर, पिट्यूटरी ग्लैंड (पीयूष ग्रंथि) की सर्जरी के अलावा रीढ़ की हड्डी की जटिल बीमारियों की सर्जरी आसानी से एवं सुरक्षित तरीके से की जा सकेगी.

न्यूरो सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. रजनीश अरोड़ा ने बताया कि यह मशीन देशभर में चुनिंदा अस्पतालों में ही मौजूद है. वर्तमान में उत्तर भारत में दिल्ली एम्स व पीजीआई चंडीगढ़ को छोड़ किसी सरकारी अस्पताल में इस तरह की सुविधा उपलब्ध नहीं है.

न्यूरो सर्जरी विभाग के प्रो. आरएस मित्तल ने बताया कि इस तरह के अत्याधुनिक ऑपरेशन थियेटर में स्नायु तंत्र की जटिलतम बीमारियों जिनमें न केवल दिमाग एवं रीढ़ की हड्डी के कैंसर की सर्जरी संभव है, बल्कि पीयूष ग्रंथि, रीढ़ व गर्दन की हड्डी की जटिल आनुवांशिक बीमारियों का इलाज भी संभव हो सकेगा.

यह भी पढ़ेंः पिथौरागढ़: पर्यटन हब के रूप में विकसित किया जाएगा ट्यूलिप गार्डन

इसके अलावा एपिलैप्सी सर्जरी में भी यह तकनीक अत्यंत कारगर साबित होती है. जटिल शल्य क्रिया में ऐसे तकनीक के उपयोग से मरीज को होने वाले खतरों में कमी लाई जा सकती है. उन्होंने बताया कि ओटी के भीतर सचल सीटी स्केनर एवं नेविगेशन की मौजूदगी एक शल्य चिकित्सक की कार्यक्षमता को कहीं अ​धिक बढ़ा देता है.

ऋषिकेशः अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश में अब हाईब्रिड ऑपरेशन थियेटर की सुविधा भी मिलेगी. इस पहले हाईब्रिड ऑपरेशन थियेटर का संस्थान का निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने औपचारिक शुभारंभ किया. न्यूरो सर्जरी विभाग के इस ओटी में जल्द ही तंत्रिका तंत्र से जुड़े रोगों से ग्रसित मरीजों की शल्य क्रिया शुरू की जाएगी.

इस अवसर पर एम्स निदेशक प्रो. रवि कांत ने बताया कि हाईब्रिड ऑपरेशन थियेटर ​सीटी मशीन एवं अत्याधुनिक न्यूरो नेविगेशन की सुविधाओं से सुस​ज्जित होगा. उन्होंने बताया कि इस तरह की प्रणाली स्थापित होने से अब एम्स अस्पताल में एपीलैप्सी सर्जरी (मिर्गी के दौरे की सर्जरी), दिमाग और रीढ़ की हड्डी के कैंसर, पिट्यूटरी ग्लैंड (पीयूष ग्रंथि) की सर्जरी के अलावा रीढ़ की हड्डी की जटिल बीमारियों की सर्जरी आसानी से एवं सुरक्षित तरीके से की जा सकेगी.

न्यूरो सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. रजनीश अरोड़ा ने बताया कि यह मशीन देशभर में चुनिंदा अस्पतालों में ही मौजूद है. वर्तमान में उत्तर भारत में दिल्ली एम्स व पीजीआई चंडीगढ़ को छोड़ किसी सरकारी अस्पताल में इस तरह की सुविधा उपलब्ध नहीं है.

न्यूरो सर्जरी विभाग के प्रो. आरएस मित्तल ने बताया कि इस तरह के अत्याधुनिक ऑपरेशन थियेटर में स्नायु तंत्र की जटिलतम बीमारियों जिनमें न केवल दिमाग एवं रीढ़ की हड्डी के कैंसर की सर्जरी संभव है, बल्कि पीयूष ग्रंथि, रीढ़ व गर्दन की हड्डी की जटिल आनुवांशिक बीमारियों का इलाज भी संभव हो सकेगा.

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इसके अलावा एपिलैप्सी सर्जरी में भी यह तकनीक अत्यंत कारगर साबित होती है. जटिल शल्य क्रिया में ऐसे तकनीक के उपयोग से मरीज को होने वाले खतरों में कमी लाई जा सकती है. उन्होंने बताया कि ओटी के भीतर सचल सीटी स्केनर एवं नेविगेशन की मौजूदगी एक शल्य चिकित्सक की कार्यक्षमता को कहीं अ​धिक बढ़ा देता है.

Intro:ऋषिकेश--अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश में पहले हाईब्रिड ऑपरेशन थियेटर का संस्थान के निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने औपचारिक शुभारंभ किया। न्यूरो सर्जरी विभाग के इस ओटी में जल्द ही तंत्रिका तंत्र से जुड़े रोगों से ग्रसित मरीजों की शल्य क्रिया शुरू की जाएगी।    


Body:वी/ओ--इस अवसर पर एम्स निदेशक पद्मश्री प्रो. रवि कांत ने बताया कि हाईब्रिड ऑपरेशन थियेटर ​सीटी मशीन एवं अत्याधुनिक न्यूरो नेविगेशन की सुविधाओं से सुस​ज्जित होगा। निदेशक प्रो. रवि कांत ने बताया ​कि इस तरह की प्रणाली स्थापित होने से अब एम्स अस्पताल में एपीलैप्सी सर्जरी (मिर्गी के दौरे की सर्जरी), दिमाग और रीढ़ की हड्डी के कैंसर, पिचूट्री ग्लैंड (पियूष ग्रंथी) की सर्जरी के अलावा रीढ़ की हड्डी की जटिल बीमारियों की सर्जरी आसानी से एवं सुरक्षित तरीके से की जा सकेगी।न्यूरो सर्जरी विभागाध्यक्ष डा. रजनीश अरोड़ा ने बताया कि यह मशीन देशभर में चुनिंदा अस्पतालों में ही मौजूद है। बताया कि उत्तर भारत में दिल्ली एम्स व पीजीआई चंडीगढ़ को छोड़ किसी सरकारी अस्पताल में इस तरह की सुविधा उपलब्ध नहीं है।   


Conclusion:वी/ओ--न्यूरो सर्जरी विभाग के प्रो. आरएस मित्तल ने बताया कि इस तरह के अत्याधुनिक ऑपरेशन थियेटर में स्नायु तंत्र की जटिलतम बीमारियों जिनमें न केवल दिगाम एवं रीढ़ की हड्डी के कैंसर की सर्जरी संभव है, साथ ही पीयूष ग्रंथी, रीढ़ व गर्दन की हड्डी की जटिल आनुवांशिक बीमारियों का इलाज भी संभव हो सकेगा। इसके अलावा एपीलैप्सी सर्जरी में भी यह तकनीक अत्यंत कारगर साबित होती है। जटिल शल्य क्रिया में ऐसे तकनीकों के उपयोग से मरीज को होने वाले खतरों में कमी लाई जा सकती है। उन्होंने बताया कि ओटी के भीतर सचल सीटी स्केनर एवं नेविगेशन की मौजूदगी एक शल्य चिकित्सक की कार्यक्षमता को कहीं अ​धिक बढ़ा देता है।    
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