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AIIMS ऋषिकेश में कोविड मरीजों पर हो रही खास रिसर्च, जानिए कैसे होगा इलाज

एम्स ऋषिकेश में न्यूट्रिशनल, हाइजीन और माइंड बॉडी रिलैक्सेशन प्रोटोकॉल के तहत कोरोना मरीजों पर रिसर्च की जा रही है. अभी तक 30-40 कोरोना मरीजों पर अनुसंधान किया जा चुका है.

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एम्स ऋषिकेश
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Published : Jun 3, 2021, 6:29 PM IST

Updated : Jul 2, 2021, 2:47 PM IST

ऋषिकेशः अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश में इन दिनों कोरोना मरीजों पर विशेष अनुसंधान किया जा रहा है. इसमें कोरोना मरीजों में होलिस्टिक कस्टमाइज्ड शेड्यूल्ड से आधारित इलाज का निष्कर्ष निकाला जाएगा. ऐसे में अगर परिणाम सकारात्मक आता है तो इस पद्धति का इस्तेमाल कोविड के नियंत्रण और इलाज में किया जाएगा. यह पद्धति आयुर्वेद से जुड़ी हुई है.

बता दें कि वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के इलाज में कौन-कौन सी पद्धतियां कारगर साबित हो सकती हैं, इस विषय पर देश-दुनिया में विभिन्न स्तर पर लगातार रिसर्च किए जा रहे हैं. ऐसा ही एक रिसर्च एम्स ऋषिकेश में भी जारी है. ’होलिस्टिक कस्टमाइज्ड शेड्यूल्ड’ आधारित इस अनुसंधान में मरीजों पर 3 अलग-अलग प्रोटोकॉल का प्रयोग किया जा रहा है. इनमें न्यूट्रिशनल (nutritional), हाइजीन (Hygiene) और माइंड बॉडी रिलैक्सेशन (mind body relaxation) प्रोटोकॉल शामिल हैं. यह शोध कार्य बीते मार्च महीने में शुरू हुआ था और जिसे एक साल में पूरा किया जाना है.

एम्स में अनुसंधान

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एम्स निदेशक ने कही ये बात

एम्स ऋषिकेश के निदेशक प्रोफेसर रवि कांत ने बताया कि आयुर्वेदिक पद्धति करीब 6 हजार साल पुरानी चिकित्सा पद्धति है, लेकिन उच्च स्तर की स्वास्थ्य देखभाल की आवश्यकता को देखते हुए इसे सुधारने और पुनर्जीवित करने की जरूरत है. जिससे ज्यादा से ज्यादा लोगों को इसका लाभ मिल सके.

ये भी पढ़ेंः बाबा रामदेव के योग ग्राम में होता है महंगा इलाज, मरीजों से लिए जाते हैं इतने रुपए

30-40 कोरोना मरीजों पर हो चुकी रिसर्च

वहीं, रिसर्च टीम की प्रिंसिपल इनवेस्टिगेटर व बायोकेमिस्ट्री विभागाभाध्यक्ष डॉ. अनीशा आतिफ मिर्जा ने बताया कि कोरोना के जिन मरीजों में मध्यम और सामान्य लक्षण हैं, उन पर इसका परीक्षण किया जा रहा है. अभी तक 30-40 कोरोना मरीजों पर अनुसंधान किया जा चुका है. उन्होंने बताया कि पायलट रेंडमाइज्ड कंट्रोल ट्रायल वाले इस शोध का उद्देश्य डाटा एकत्रित कर एविडेंस बेस्ड मेडिसिन का आउटपुट देखना है.

ये भी पढ़ेंः कोरोना जैसा दिखता है ऊंट कटारा, औषधीय गुणों से भरपूर है पौधा, बढ़ाता है इम्यूनिटी

अनुसंधान को होलिस्टिक ट्रेडिशनल कॉम्प्लिमेंटरी अल्टरनेटिव मेडिसिन (HTCAM) का नाम दिया गया है. उन्होंने बताया कि इस शोध में (एचटीसीएएम) प्रोटोकॉल का मूल्यांकन किया जा रहा है. अनुसंधान के लिए कोरोना मरीजों के 2 ग्रुप बनाए गए हैं. इस रिसर्च की ओर से होलिस्टिक प्रोटोकॉल वाले कोरोना मरीजों की तुलना अस्पताल के सामान्य प्रोटोकॉल वाले कोविड मरीजों से की जा रही है.

रिसर्च प्रोजेक्ट में प्रत्येक रोगी का ब्लड सैंपल लेकर इम्यून मार्कर व मेटाबॉलिज्म मार्कर टेस्ट भी किया जाएगा. इस प्रक्रिया में क्लीनिकल आउटकम परिणाम देखा जाना है. डॉ. अनीशा ने बताया कि अभी तक किए गए शोध से कोविड मरीजों में बिना किसी साइड इफेक्ट के गुड क्लीनिकल, मेटाबॉलिक व साइकोसोशल आउटकम का सकारात्मक फीडबैक मिला है.

ये भी पढ़ेंः इन औषधियों का काढ़ा पीने से बढ़ती है रोग प्रतिरोधक क्षमता, जानें विशषज्ञों की राय

रिसर्च में इन प्रोटोकॉल का किया जा रहा प्रयोग

होलिस्टिक कस्टमाइज्ड शेड्यूल्ड के तहत कोरोना मरीजों में प्रयोग किए जा रहे तीनों प्रोटोकॉल की अलग-अलग विशेषताएं हैं.

  • न्यूट्रिशनल प्रोटोकॉल
    इस प्रोटोकॉल में कोरोना मरीजों को संतुलित आहार, 7-8 गिलास गर्म पानी के अतिरिक्त हर्बल चाय दी जा रही है. यह हर्बल चाय जीरा, अजवाइन, काली मिर्च, दालचीनी, लौंग, कलौंजी, हल्दी, अदरक, मुलेठी, सौंफ, नींबू और गुड़ आदि मसालों के मिश्रण से तैयार की गई है. इन मसालों में विभिन्न प्रकार के औषधीय गुण प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं.
  • हाइजीन प्रोटोकॉल
    हल्दी व नमक युक्त गर्म पानी के गरारे, नम भाप देना, हाथ और शरीर को स्वच्छ बनाए रखना आदि क्रियाएं शामिल हैं.
  • माइंड बॉडी रिलैक्सेशन प्रोटोकॉल
    इस प्रोटोकॉल में योग, प्राणायाम और ध्यान के सामान्य आसनों का अभ्यास कराया जा रहा है. इसके लिए टीवी, मॉनिटर, यूट्यूब व वीडियो के माध्यम से योगाभ्यास कराने की व्यवस्था की गई है. खास बात यह है कि इस प्रोटोकॉल के तहत कोरोना मरीजों से दिन में 2 बार प्रार्थना भी कराई जाती है. उनका कहना है कि प्रार्थना करने से हमें ऊर्जा मिलती है और मन, शरीर व आत्मा की सकारात्मकता से व्यक्ति की इम्यूनिटी क्षमता में वृद्धि होती है.

ऋषिकेशः अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश में इन दिनों कोरोना मरीजों पर विशेष अनुसंधान किया जा रहा है. इसमें कोरोना मरीजों में होलिस्टिक कस्टमाइज्ड शेड्यूल्ड से आधारित इलाज का निष्कर्ष निकाला जाएगा. ऐसे में अगर परिणाम सकारात्मक आता है तो इस पद्धति का इस्तेमाल कोविड के नियंत्रण और इलाज में किया जाएगा. यह पद्धति आयुर्वेद से जुड़ी हुई है.

बता दें कि वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के इलाज में कौन-कौन सी पद्धतियां कारगर साबित हो सकती हैं, इस विषय पर देश-दुनिया में विभिन्न स्तर पर लगातार रिसर्च किए जा रहे हैं. ऐसा ही एक रिसर्च एम्स ऋषिकेश में भी जारी है. ’होलिस्टिक कस्टमाइज्ड शेड्यूल्ड’ आधारित इस अनुसंधान में मरीजों पर 3 अलग-अलग प्रोटोकॉल का प्रयोग किया जा रहा है. इनमें न्यूट्रिशनल (nutritional), हाइजीन (Hygiene) और माइंड बॉडी रिलैक्सेशन (mind body relaxation) प्रोटोकॉल शामिल हैं. यह शोध कार्य बीते मार्च महीने में शुरू हुआ था और जिसे एक साल में पूरा किया जाना है.

एम्स में अनुसंधान

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एम्स निदेशक ने कही ये बात

एम्स ऋषिकेश के निदेशक प्रोफेसर रवि कांत ने बताया कि आयुर्वेदिक पद्धति करीब 6 हजार साल पुरानी चिकित्सा पद्धति है, लेकिन उच्च स्तर की स्वास्थ्य देखभाल की आवश्यकता को देखते हुए इसे सुधारने और पुनर्जीवित करने की जरूरत है. जिससे ज्यादा से ज्यादा लोगों को इसका लाभ मिल सके.

ये भी पढ़ेंः बाबा रामदेव के योग ग्राम में होता है महंगा इलाज, मरीजों से लिए जाते हैं इतने रुपए

30-40 कोरोना मरीजों पर हो चुकी रिसर्च

वहीं, रिसर्च टीम की प्रिंसिपल इनवेस्टिगेटर व बायोकेमिस्ट्री विभागाभाध्यक्ष डॉ. अनीशा आतिफ मिर्जा ने बताया कि कोरोना के जिन मरीजों में मध्यम और सामान्य लक्षण हैं, उन पर इसका परीक्षण किया जा रहा है. अभी तक 30-40 कोरोना मरीजों पर अनुसंधान किया जा चुका है. उन्होंने बताया कि पायलट रेंडमाइज्ड कंट्रोल ट्रायल वाले इस शोध का उद्देश्य डाटा एकत्रित कर एविडेंस बेस्ड मेडिसिन का आउटपुट देखना है.

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अनुसंधान को होलिस्टिक ट्रेडिशनल कॉम्प्लिमेंटरी अल्टरनेटिव मेडिसिन (HTCAM) का नाम दिया गया है. उन्होंने बताया कि इस शोध में (एचटीसीएएम) प्रोटोकॉल का मूल्यांकन किया जा रहा है. अनुसंधान के लिए कोरोना मरीजों के 2 ग्रुप बनाए गए हैं. इस रिसर्च की ओर से होलिस्टिक प्रोटोकॉल वाले कोरोना मरीजों की तुलना अस्पताल के सामान्य प्रोटोकॉल वाले कोविड मरीजों से की जा रही है.

रिसर्च प्रोजेक्ट में प्रत्येक रोगी का ब्लड सैंपल लेकर इम्यून मार्कर व मेटाबॉलिज्म मार्कर टेस्ट भी किया जाएगा. इस प्रक्रिया में क्लीनिकल आउटकम परिणाम देखा जाना है. डॉ. अनीशा ने बताया कि अभी तक किए गए शोध से कोविड मरीजों में बिना किसी साइड इफेक्ट के गुड क्लीनिकल, मेटाबॉलिक व साइकोसोशल आउटकम का सकारात्मक फीडबैक मिला है.

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रिसर्च में इन प्रोटोकॉल का किया जा रहा प्रयोग

होलिस्टिक कस्टमाइज्ड शेड्यूल्ड के तहत कोरोना मरीजों में प्रयोग किए जा रहे तीनों प्रोटोकॉल की अलग-अलग विशेषताएं हैं.

  • न्यूट्रिशनल प्रोटोकॉल
    इस प्रोटोकॉल में कोरोना मरीजों को संतुलित आहार, 7-8 गिलास गर्म पानी के अतिरिक्त हर्बल चाय दी जा रही है. यह हर्बल चाय जीरा, अजवाइन, काली मिर्च, दालचीनी, लौंग, कलौंजी, हल्दी, अदरक, मुलेठी, सौंफ, नींबू और गुड़ आदि मसालों के मिश्रण से तैयार की गई है. इन मसालों में विभिन्न प्रकार के औषधीय गुण प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं.
  • हाइजीन प्रोटोकॉल
    हल्दी व नमक युक्त गर्म पानी के गरारे, नम भाप देना, हाथ और शरीर को स्वच्छ बनाए रखना आदि क्रियाएं शामिल हैं.
  • माइंड बॉडी रिलैक्सेशन प्रोटोकॉल
    इस प्रोटोकॉल में योग, प्राणायाम और ध्यान के सामान्य आसनों का अभ्यास कराया जा रहा है. इसके लिए टीवी, मॉनिटर, यूट्यूब व वीडियो के माध्यम से योगाभ्यास कराने की व्यवस्था की गई है. खास बात यह है कि इस प्रोटोकॉल के तहत कोरोना मरीजों से दिन में 2 बार प्रार्थना भी कराई जाती है. उनका कहना है कि प्रार्थना करने से हमें ऊर्जा मिलती है और मन, शरीर व आत्मा की सकारात्मकता से व्यक्ति की इम्यूनिटी क्षमता में वृद्धि होती है.
Last Updated : Jul 2, 2021, 2:47 PM IST
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