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विस बैकडोर भर्ती: HC के आदेश पर बोलीं स्पीकर ऋतु खंडूड़ी- सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं

बहुचर्चित उत्तराखंड विधानसभा में बैकडोर भर्ती मामले में हाईकोर्ट के फैसले पर स्पीकर ऋतु खंडूड़ी ने खुशी जाहिर की है. उनका साफ लहजे में कहना है कि सत्य परेशान हो सकता है लेकिन पराजित नहीं हो सकता.

Speaker Ritu Khanduri reaction
ऋतु खंडूड़ी
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Published : Nov 24, 2022, 4:31 PM IST

Updated : Nov 24, 2022, 4:54 PM IST

देहरादूनः उत्तराखंड विधानसभा में बैकडोर भर्ती मामले पर नैनीताल हाईकोर्ट की खंडपीठ ने 228 कर्मचारियों के बर्खास्तगी के आदेश को सही माना है. कोर्ट के इस फैसले पर विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने फैसले पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि सत्य थोड़ा परेशान जरूर हो सकता है, लेकिन पराजित नहीं हो सकता है. उन्होंने कहा वो भ्रष्टाचार के खिलाफ ये लड़ाई सुप्रीम कोर्ट तक लड़ेंगे.

उत्तराखंड विधानसभा में बैकडोर भर्ती (Backdoor recruitment in Uttarakhand Assembly) मामले में हाईकोर्ट की खंडपीठ के फैसले के बाद एक बार फिर से 228 कर्मचारियों की सेवाओं पर तलवार लटक गई है. बता दें कि विधानसभा भर्ती घोटाले (Assembly recruitment scam) में हुई 228 तदर्थ नियुक्तियों पर विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने निरस्तीकरण का फैसला दिया था. जिसे कर्मचारियों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी. हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने इन कर्मचारियों की निरस्तीकरण पर स्टे लगा दिया था. जिस पर स्पीकर खंडूड़ी ने इसे डबल बेंच की खंडपीठ पर चुनौती दी और आज खंडपीठ ने इस मामले पर सिंगल बेंच के फैसले को पलट दिया है.

स्पीकर ऋतु खंडूड़ी का बयान.

नैनीताल हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी (Uttarakhand Assembly Speaker Ritu Khanduri) बेहद खुश नजर आ रही हैं. उनका कहना है कि सत्य थोड़ी देर के लिए परेशान जरूर हो सकता है, लेकिन पर पराजित नहीं हो सकता है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि उनकी ओर से प्रदेश में एक पारदर्शी और विधानसभा जैसी प्रतिष्ठित संस्था की स्वच्छ छवि बनाने के लिए कड़ा कदम उठाया गया है. जिस पर वो लगातार अडिग हैं.
ये भी पढ़ेंः बर्खास्त होंगे उत्तराखंड विधानसभा सचिवालय के 228 कर्मी, हाईकोर्ट ने फैसला सही ठहराया

ये है पूरा प्रकरणः उत्तराखंड विधानसभा बैकडोर भर्ती घोटाले के सामने आने के बाद बीजेपी और कांग्रेस पर सवाल खड़े हो रहे थे. सवाल इस बात पर खड़े हो रहे थे कि आखिरकार पूर्व विधानसभा अध्यक्षों ने अपने लोगों को नियमों को ताक पर रखकर विधानसभा में भर्ती कैसे करवाया? इसमें पूर्व विधानसभा अध्यक्ष व वर्तमान में मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल (Cabinet Minister Premchand Aggarwal) की 72 नियुक्तियां भी शामिल थी. सवाल इस बात पर भी खड़े हो रहे थे कि कैसे बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं ने नियमों के विपरीत अपने परिजनों को विधानसभा में नियुक्ति दिलवाई.

सीएम ने खंडूड़ी को लिखा खतः इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष खंडूड़ी को पत्र लिखकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस मामले में कार्रवाई करने का आग्रह किया था. एक महीने की जांच के बाद स्पीकर खंडूड़ी ने भी तत्काल एक्शन ले लिया था, लेकिन हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने विधानसभा सचिवालय से बर्खास्त किए गए 102 से ज्यादा कर्मचारियों की बर्खास्तगी आदेश के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई की. सुनवाई में उनकी बर्खास्तगी के आदेश पर अग्रिम सुनवाई तक रोक लगा दी. साथ ही कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि ये कर्मचारी अपने पदों पर कार्य करते रहेंगे.

कोर्ट के इस आदेश के बाद सरकार बैकफुट पर आ गई. जितना हल्ला बर्खास्तगी को लेकर हुआ, उसके बाद सरकार ने भी इसका खूब प्रचार-प्रसार किया, लेकिन नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की इस कार्रवाई को भी सिरे से खारिज (Nainital highcourt verdict on Backdoor Recruitment) कर दिया. आलम ये हुआ कि जिन लोगों की नियुक्तियां रद्द की गई थी, वो दोबारा से विधानसभा की उसी पोस्ट पर बैठकर काम कर रहे थे.

विधानसभा में इन पदों पर हुईं थी भर्ती: अपर निजी सचिव समीक्षा, अधिकारी समीक्षा अधिकारी, लेखा सहायक समीक्षा अधिकारी, शोध एवं संदर्भ, व्यवस्थापक, लेखाकार सहायक लेखाकार, सहायक फोरमैन, सूचीकार, कंप्यूटर ऑपरेटर, कंप्यूटर सहायक, वाहन चालक, स्वागती, रक्षक पुरुष और महिला विधानसभा में बैकडोर (Uttarakhand Assembly backdoor Recruitment Case) में हुई. नियुक्तियों को लेकर बड़ी बात यह है कि विधानसभा ने विभिन्न पदों के लिए बकायदा विज्ञप्ति भी जारी की गई थी.
ये भी पढ़ेंः विधानसभा भर्ती में भाई भतीजावाद पर संघ का एक्शन, कोर्ट के बहाने BJP नैतिकता से झाड़ रही पल्ला!

विधानसभा ने जिन 35 लोगों की नियुक्ति के लिए विज्ञप्ति निकाली गई थी, उसकी दो बार परीक्षा रोकी गई. सबसे बड़ी बात यह है कि नियुक्तियों की विज्ञप्ति में अभ्यार्थियों को ₹1000 परीक्षा शुल्क देना पड़ा. करीब 8000 अभ्यर्थियों ने इस परीक्षा के लिए आवेदन किया. परीक्षा कई विवादों के बाद हुई, लेकिन अभी तक इस परीक्षा का परिणाम नहीं आया. इसके पीछे हाईकोर्ट में रोस्टर को लेकर परीक्षा पर स्टे लगना बताया गया है. उधर, इस बीच बैकडोर से 72 लोगों की नियुक्तियां करवा दी गई.

देहरादूनः उत्तराखंड विधानसभा में बैकडोर भर्ती मामले पर नैनीताल हाईकोर्ट की खंडपीठ ने 228 कर्मचारियों के बर्खास्तगी के आदेश को सही माना है. कोर्ट के इस फैसले पर विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने फैसले पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि सत्य थोड़ा परेशान जरूर हो सकता है, लेकिन पराजित नहीं हो सकता है. उन्होंने कहा वो भ्रष्टाचार के खिलाफ ये लड़ाई सुप्रीम कोर्ट तक लड़ेंगे.

उत्तराखंड विधानसभा में बैकडोर भर्ती (Backdoor recruitment in Uttarakhand Assembly) मामले में हाईकोर्ट की खंडपीठ के फैसले के बाद एक बार फिर से 228 कर्मचारियों की सेवाओं पर तलवार लटक गई है. बता दें कि विधानसभा भर्ती घोटाले (Assembly recruitment scam) में हुई 228 तदर्थ नियुक्तियों पर विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने निरस्तीकरण का फैसला दिया था. जिसे कर्मचारियों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी. हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने इन कर्मचारियों की निरस्तीकरण पर स्टे लगा दिया था. जिस पर स्पीकर खंडूड़ी ने इसे डबल बेंच की खंडपीठ पर चुनौती दी और आज खंडपीठ ने इस मामले पर सिंगल बेंच के फैसले को पलट दिया है.

स्पीकर ऋतु खंडूड़ी का बयान.

नैनीताल हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी (Uttarakhand Assembly Speaker Ritu Khanduri) बेहद खुश नजर आ रही हैं. उनका कहना है कि सत्य थोड़ी देर के लिए परेशान जरूर हो सकता है, लेकिन पर पराजित नहीं हो सकता है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि उनकी ओर से प्रदेश में एक पारदर्शी और विधानसभा जैसी प्रतिष्ठित संस्था की स्वच्छ छवि बनाने के लिए कड़ा कदम उठाया गया है. जिस पर वो लगातार अडिग हैं.
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ये है पूरा प्रकरणः उत्तराखंड विधानसभा बैकडोर भर्ती घोटाले के सामने आने के बाद बीजेपी और कांग्रेस पर सवाल खड़े हो रहे थे. सवाल इस बात पर खड़े हो रहे थे कि आखिरकार पूर्व विधानसभा अध्यक्षों ने अपने लोगों को नियमों को ताक पर रखकर विधानसभा में भर्ती कैसे करवाया? इसमें पूर्व विधानसभा अध्यक्ष व वर्तमान में मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल (Cabinet Minister Premchand Aggarwal) की 72 नियुक्तियां भी शामिल थी. सवाल इस बात पर भी खड़े हो रहे थे कि कैसे बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं ने नियमों के विपरीत अपने परिजनों को विधानसभा में नियुक्ति दिलवाई.

सीएम ने खंडूड़ी को लिखा खतः इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष खंडूड़ी को पत्र लिखकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस मामले में कार्रवाई करने का आग्रह किया था. एक महीने की जांच के बाद स्पीकर खंडूड़ी ने भी तत्काल एक्शन ले लिया था, लेकिन हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने विधानसभा सचिवालय से बर्खास्त किए गए 102 से ज्यादा कर्मचारियों की बर्खास्तगी आदेश के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई की. सुनवाई में उनकी बर्खास्तगी के आदेश पर अग्रिम सुनवाई तक रोक लगा दी. साथ ही कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि ये कर्मचारी अपने पदों पर कार्य करते रहेंगे.

कोर्ट के इस आदेश के बाद सरकार बैकफुट पर आ गई. जितना हल्ला बर्खास्तगी को लेकर हुआ, उसके बाद सरकार ने भी इसका खूब प्रचार-प्रसार किया, लेकिन नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की इस कार्रवाई को भी सिरे से खारिज (Nainital highcourt verdict on Backdoor Recruitment) कर दिया. आलम ये हुआ कि जिन लोगों की नियुक्तियां रद्द की गई थी, वो दोबारा से विधानसभा की उसी पोस्ट पर बैठकर काम कर रहे थे.

विधानसभा में इन पदों पर हुईं थी भर्ती: अपर निजी सचिव समीक्षा, अधिकारी समीक्षा अधिकारी, लेखा सहायक समीक्षा अधिकारी, शोध एवं संदर्भ, व्यवस्थापक, लेखाकार सहायक लेखाकार, सहायक फोरमैन, सूचीकार, कंप्यूटर ऑपरेटर, कंप्यूटर सहायक, वाहन चालक, स्वागती, रक्षक पुरुष और महिला विधानसभा में बैकडोर (Uttarakhand Assembly backdoor Recruitment Case) में हुई. नियुक्तियों को लेकर बड़ी बात यह है कि विधानसभा ने विभिन्न पदों के लिए बकायदा विज्ञप्ति भी जारी की गई थी.
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विधानसभा ने जिन 35 लोगों की नियुक्ति के लिए विज्ञप्ति निकाली गई थी, उसकी दो बार परीक्षा रोकी गई. सबसे बड़ी बात यह है कि नियुक्तियों की विज्ञप्ति में अभ्यार्थियों को ₹1000 परीक्षा शुल्क देना पड़ा. करीब 8000 अभ्यर्थियों ने इस परीक्षा के लिए आवेदन किया. परीक्षा कई विवादों के बाद हुई, लेकिन अभी तक इस परीक्षा का परिणाम नहीं आया. इसके पीछे हाईकोर्ट में रोस्टर को लेकर परीक्षा पर स्टे लगना बताया गया है. उधर, इस बीच बैकडोर से 72 लोगों की नियुक्तियां करवा दी गई.

Last Updated : Nov 24, 2022, 4:54 PM IST
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