देहरादून: देश में बुजुर्गों की लगातार बढ़ती उपेक्षा के बीच राहत भरी खबर है. प्रॉपर्टी हड़प माता-पिता को बेघर कर कष्ट देने वाले कलयुगी बेटे अब सीधे जेल जाएंगे. इसके साथ ही हड़पी गई प्रॉपर्टी के रजिस्ट्रेशन को कैंसल कर मालिकाना हक वापस माता-पिता को दिया जाएगा.
माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण तथा कल्याण अधिनियम-2007 की धारा(23)1 के मुताबिक वरिष्ठ नागरिकों के मूलभूत सुविधाओं और आवश्यकताओं का ध्यान ना रखने पर संबंधित को हस्तांतरित संपत्ति का मालिकाना हक वापस वरिष्ठ नागरिकों को मिल जाएगा.
महानिदेशक लॉ एंड ऑर्डर अशोक कुमार के मुताबिक बुढ़ापे में वरिष्ठ नागरिकों को अधिक सहारे की जरूरत होती है. ऐसे में देखा गया है कि परिजन प्रॉपर्टी हड़प उनकी अनदेखी करते हैं और कष्ट देते हैं. ऐसे में मेंटेनेंस एंड वेलफेयर ऑफ पेरेंट्स एंड सीनियर सिटीजन अमेंडमेट बिल 2019 के जरिए वरिष्ठ नागरिकों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ उन्हें सुरक्षा मुहैया कराएगा. प्रदेश भर के सभी पुलिस अधिकारियों को इस नियम का कड़ाई से पालन कराने का आदेश दिया गया है.
ये भी पढ़ें: लॉकडाउनः निजी गाड़ी से आ सकेंगे उत्तराखंड, सवा लाख लोगों ने घर वापसी का कराया रजिस्ट्रेशन
करनी होगी वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल
मेंटेनेंस एंड वेलफेयर ऑफ पेरेंट्स एंड सीनियर सिटीजन अमेंडमेट बिल 2019 में कहा गया है कि बुजुर्गों की देखभाल का जिम्मा सिर्फ उनके बच्चों पर नहीं होगा. बल्कि बेटा-बेटी, नाती-नातिन और पोता-पोती भी देखभाल के लिए कानून तौर पर बाध्य होंगे. वरिष्ठ नागरिकों और परिजनों की कल्याण से जुड़े 2007 के बिल में भी यह संशोधन किया जा रहा है.
इसके मुताबिक परिवार में बच्चे अब सिर्फ अपने माता-पिता ही नहीं बल्कि सास-ससुर की देखभाल के भी जिम्मेदार होंगे, भले ही वह वरिष्ठ नागरिकों की श्रेणी में नहीं आते हों. कानून का उल्लंघन करने वालों की जेल की सजा बढ़ाने का प्रावधान भी इस बिल में शामिल है जिसे तीन से बढ़ाकर छह माह किया गया है.