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उत्तराखंड में अब नहीं चलेंगे यूपी के ये कानून, 23 अधिनियमों को रद्द करने की संस्तुति

एडॉप्शन एक्ट के तहत उत्तर प्रदेश से लिए गए कई एक्ट को रद्द करने की संस्तुति के बाद कई अनुपयोगी अधिनियम जल्द ही उत्तराखंड के कानून के रूप में नजर आएंगे. जिसे लेकर विधि आयोग ने कवायद तेज कर दी है. जिससे राज्य को आर्थिक रूप से मजबूत किया जा सके.

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Published : Aug 1, 2019, 12:05 AM IST

देहरादूनः राज्य गठन के 18 साल बीते जाने के बाद राज्य सरकार, उत्तर प्रदेश के कुछ अधिनियमों को ही रद्द कर पाई है. अभी भी कई एक्टों में बदलाव करने की दरकार है. इसी कड़ी में सरकार ने यूपी के अधिनियमों में से अनुपयोगी अधिनियम की छंटाई शुरू कर दी है. पहले चरण में 23 अधिनियमों को छांटकर राज्य विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति राजेश टंडन ने प्रभावहीन करने की संस्तुति राज्य सरकार के पास भेज दी है.

उत्तराखंड में अब नहीं चलेंगे यूपी के कई कानून.

इन अधिनियमों को रद्द करने की संस्तुति के बाद उत्तर प्रदेश से लिए गए कई अनुपयोगी एक्ट जल्द ही उत्तराखंड के कानून के रूप में नजर आएंगे. जिसे लेकर विधि आयोग ने कवायद तेज कर दी है. जिससे राज्य को आर्थिक रूप से मजबूत किया जा सके.

ये भी पढे़ंः बागेश्वरः पंचायत भवन 'मौत' को दे रहा दावत, नींद में प्रशासन

इन अधिनियमों को प्रभावहीन और रद्द करने पर हुई है संस्तुति-

  • उत्तर प्रदेश विज्ञापन कर अधिनियम, 1981 को 30 जुलाई 2018 को हुई बैठक में निष्प्रयोजन और निष्प्रभावी होने के कारण प्रभावहीन किए जाने की संस्तुति राज्य सरकार को भेजी जा चुकी है.
  • उत्तराखंड माल के स्थानीय क्षेत्र में प्रवेश कर अधिनियम,2008 को निष्प्रयोजन और निष्प्रभावी होने पर रद्द करने की संस्तुति.
  • उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा अधिनियम,1972 के स्थान पर उत्तरांचल विद्यालय शिक्षा अधिनियम संख्या-8 वर्ष 2006 लागू होने के बाद रद्द.
  • संयुक्त प्रांतीय संपत्ति के हस्तगत करने का (बाढ़ सहायक) अधिनियम,1948 के स्थान पर उत्तरांचल आपदा न्यूनीकरण, प्रबंधन और निवारण अधिनियम, 2005 अधिनियमित किए जाने के कारण अनुपयोगी हो गया है.
  • संयुक्त प्रांत आकाशीय रज्जुमार्ग अधिनियम,1922 के स्थान पर उत्तराखंड रज्जूमार्ग विधेयक, 2014 अधिनियम संख्या-2 वर्ष 2015 लागू हो गई है. जिसके बाद इसे प्रभावहीन किया जा रहा है.
  • उत्तर प्रदेश प्राचीन एवं ऐतिहासिक स्मारकों, पुरातत्वीय स्थानों और अवशेषों पर परीक्षण अधिनियम, 1956 के स्थान पर केंद्र सरकार के the ancient monuments and archaeological sites and remains (amendment and validation) act, 2010 लागू. अनुपयोगी होने के बाद होगी रद्द.
  • संयुक्त प्रांत बदरीनाथ (स्वच्छता और सुधार) अधिनियम,1975 के समस्त अधिकार कर्तव्य नोटिफाइड कमेटी को प्रत्यावर्तित किया गया है.
  • उत्तर प्रदेश की श्री बदरीनाथ और श्री केदारनाथ मंदिर एक्ट,1939 के स्थान पर चारधाम यात्रा अधिनियम बनाई गई है.
  • देहरादून अधिनियम, 1871 इस अधिनियम का उत्तराखंड राज्य में उपयोगिता और विवाद लंबित ना होने के कारण प्रभावहीन किया जा रहा है.
  • उत्तर प्रदेश स्थानीय निकाय (प्रशासन की नियुक्ति) अधिनियम,1961 ये अधिनियम विशेष 3 सितंबर 1961 को उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में स्थानीय निकायों में चुनाव से संबंधित है. इसे भी रद्द किया जाएगा.
  • उत्तराखंड प्रदेश श्री काशी विश्वनाथ मंदिर अधिनियम,1983 यह अधिनियम बनारस के काशी विश्वनाथ मंदिर से संबंधित होने पर प्रभावहीन किया जाएगा.
  • तेंदू पत्ता (व्यापार विनिमय) अधिनियम,1972 यह अधिनियम केवल इलाहाबाद, मिर्जापुर, बांदा, हमीरपुर, झांसी और वाराणसी जिले में 2 मार्च 1972 को लागू हुआ था. इसे भी प्रभावहीन किया जाएगा.
  • उत्तर प्रदेश पशु क्रय कर अधिनियम,1976 के स्थान पर रेगुलेशन ऑफ लाइव स्टॉक मार्केट रूल्स एक्ट, 2017 आने के कारण इसे भी रद्द किया जाएगा.
  • उत्तर प्रदेश कॉर्नियल ग्राफ्टिंग अधिनियम,1964 ये अधिनियम उत्तर प्रदेश के लिए 1950 में लागू हुआ था. इसे भी रद्द किया जाएगा.
  • उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक अधिनियम,1964 और उत्तर प्रदेश सहकारी समिति अधिनियम, 1965 की जगह पर उत्तराखंड सहकारी समिति अधिनियम 2006 लागू हो गई है.
  • उत्तर प्रदेश कोर्ट फीस छूट (रेमिशन) अधिनियम,1950 यह अधिनियम उत्तर प्रदेश से संबंधित होने, उत्तराखंड राज्य में इसकी आवश्यकता ना होने पर प्रभावहीन किया जा रहा है.
  • बंजर भूमि (दावे) अधिनियम,1863 यह अधिनियम काफी पुराना होने के वजह से रद्द किया जा रहा है.
  • उत्तर प्रदेश विधि (हरियाणा से आंतरिक राज्यक्षेत्रों पर विस्तार) अधिनियम,1989 यह अधिनियम उत्तर प्रदेश के हरियाणा राज्य से संबंधित होने से रद्द किया जा रहा है.
  • बनारस पारिवारिक भू-संपदा अधिनियम,1904 (उत्तर प्रदेश अधिनियम, 1904) ये अधिनियम बनारस जिले से संबंधित होने पर प्रभावहीन किया जा रहा है.
  • उत्तर प्रदेश भूमि विकास कर अधिनियम,1972 इस अधिनियम को भी प्रभावहीन किया जा रहा है.
  • स्थानीय निकाय (प्रशासन की नियुक्ति) अधिनियम,1961 और स्थानीय निकाय (अनहर्ता निवारण) अधिनियम,1975, म्युनिसिपैलिटी नोटिफाइड और टाउन एरिया (अल्पकालिक व्यवस्था) अधिनियम,1994- इन तीनों अधिनियम के स्थान पर उत्तराखंड में केवल दो अधिनियम लागू हैं. पहला उत्तरांचल (उत्तरप्रदेश नगरपालिका अधिनियम,1916) अनुकूलन, उपांतरण आदेश, 2002 और दूसरा उत्तरांचल (उत्तरप्रदेश नगर निगम अधिनियम,1959)अनुकूलन और उपान्तरण आदेश, 2002 लागू है.

वहीं, राज्य विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति राजेश टंडन ने बताया कि साल 2000 में राज्य बनने के दौरान एडॉप्शन एक्ट के तहत उत्तर प्रदेश के एक्ट उत्तराखंड में अडॉप्ट किए गए थे, लेकिन उन एक्ट में कई एक्ट ऐसे भी थे, जो उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों से ही जुड़े हुए थे. जिसका अब उत्तराखंड राज्य के लिए जरूरी नहीं है. लिहाजा इन अधिनियम को चिन्हित किया जा रहा है.

उन्होंने बताया कि अभी तक करीब 23 अधिनियम को चिन्हित कर प्रभावहीन किया जा रहा है. जिसकी संस्तुति के लिए राज्य सरकार को भेजा गया है. साथ ही बताया कि उत्तर प्रदेश से अडॉप्ट हुए सभी अधिनियम को लेकर ए से जेड तक का कोड बनाया जा रहा है. सभी अधिनियम को लेकर बैठक भी की जा रही है.

देहरादूनः राज्य गठन के 18 साल बीते जाने के बाद राज्य सरकार, उत्तर प्रदेश के कुछ अधिनियमों को ही रद्द कर पाई है. अभी भी कई एक्टों में बदलाव करने की दरकार है. इसी कड़ी में सरकार ने यूपी के अधिनियमों में से अनुपयोगी अधिनियम की छंटाई शुरू कर दी है. पहले चरण में 23 अधिनियमों को छांटकर राज्य विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति राजेश टंडन ने प्रभावहीन करने की संस्तुति राज्य सरकार के पास भेज दी है.

उत्तराखंड में अब नहीं चलेंगे यूपी के कई कानून.

इन अधिनियमों को रद्द करने की संस्तुति के बाद उत्तर प्रदेश से लिए गए कई अनुपयोगी एक्ट जल्द ही उत्तराखंड के कानून के रूप में नजर आएंगे. जिसे लेकर विधि आयोग ने कवायद तेज कर दी है. जिससे राज्य को आर्थिक रूप से मजबूत किया जा सके.

ये भी पढे़ंः बागेश्वरः पंचायत भवन 'मौत' को दे रहा दावत, नींद में प्रशासन

इन अधिनियमों को प्रभावहीन और रद्द करने पर हुई है संस्तुति-

  • उत्तर प्रदेश विज्ञापन कर अधिनियम, 1981 को 30 जुलाई 2018 को हुई बैठक में निष्प्रयोजन और निष्प्रभावी होने के कारण प्रभावहीन किए जाने की संस्तुति राज्य सरकार को भेजी जा चुकी है.
  • उत्तराखंड माल के स्थानीय क्षेत्र में प्रवेश कर अधिनियम,2008 को निष्प्रयोजन और निष्प्रभावी होने पर रद्द करने की संस्तुति.
  • उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा अधिनियम,1972 के स्थान पर उत्तरांचल विद्यालय शिक्षा अधिनियम संख्या-8 वर्ष 2006 लागू होने के बाद रद्द.
  • संयुक्त प्रांतीय संपत्ति के हस्तगत करने का (बाढ़ सहायक) अधिनियम,1948 के स्थान पर उत्तरांचल आपदा न्यूनीकरण, प्रबंधन और निवारण अधिनियम, 2005 अधिनियमित किए जाने के कारण अनुपयोगी हो गया है.
  • संयुक्त प्रांत आकाशीय रज्जुमार्ग अधिनियम,1922 के स्थान पर उत्तराखंड रज्जूमार्ग विधेयक, 2014 अधिनियम संख्या-2 वर्ष 2015 लागू हो गई है. जिसके बाद इसे प्रभावहीन किया जा रहा है.
  • उत्तर प्रदेश प्राचीन एवं ऐतिहासिक स्मारकों, पुरातत्वीय स्थानों और अवशेषों पर परीक्षण अधिनियम, 1956 के स्थान पर केंद्र सरकार के the ancient monuments and archaeological sites and remains (amendment and validation) act, 2010 लागू. अनुपयोगी होने के बाद होगी रद्द.
  • संयुक्त प्रांत बदरीनाथ (स्वच्छता और सुधार) अधिनियम,1975 के समस्त अधिकार कर्तव्य नोटिफाइड कमेटी को प्रत्यावर्तित किया गया है.
  • उत्तर प्रदेश की श्री बदरीनाथ और श्री केदारनाथ मंदिर एक्ट,1939 के स्थान पर चारधाम यात्रा अधिनियम बनाई गई है.
  • देहरादून अधिनियम, 1871 इस अधिनियम का उत्तराखंड राज्य में उपयोगिता और विवाद लंबित ना होने के कारण प्रभावहीन किया जा रहा है.
  • उत्तर प्रदेश स्थानीय निकाय (प्रशासन की नियुक्ति) अधिनियम,1961 ये अधिनियम विशेष 3 सितंबर 1961 को उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में स्थानीय निकायों में चुनाव से संबंधित है. इसे भी रद्द किया जाएगा.
  • उत्तराखंड प्रदेश श्री काशी विश्वनाथ मंदिर अधिनियम,1983 यह अधिनियम बनारस के काशी विश्वनाथ मंदिर से संबंधित होने पर प्रभावहीन किया जाएगा.
  • तेंदू पत्ता (व्यापार विनिमय) अधिनियम,1972 यह अधिनियम केवल इलाहाबाद, मिर्जापुर, बांदा, हमीरपुर, झांसी और वाराणसी जिले में 2 मार्च 1972 को लागू हुआ था. इसे भी प्रभावहीन किया जाएगा.
  • उत्तर प्रदेश पशु क्रय कर अधिनियम,1976 के स्थान पर रेगुलेशन ऑफ लाइव स्टॉक मार्केट रूल्स एक्ट, 2017 आने के कारण इसे भी रद्द किया जाएगा.
  • उत्तर प्रदेश कॉर्नियल ग्राफ्टिंग अधिनियम,1964 ये अधिनियम उत्तर प्रदेश के लिए 1950 में लागू हुआ था. इसे भी रद्द किया जाएगा.
  • उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक अधिनियम,1964 और उत्तर प्रदेश सहकारी समिति अधिनियम, 1965 की जगह पर उत्तराखंड सहकारी समिति अधिनियम 2006 लागू हो गई है.
  • उत्तर प्रदेश कोर्ट फीस छूट (रेमिशन) अधिनियम,1950 यह अधिनियम उत्तर प्रदेश से संबंधित होने, उत्तराखंड राज्य में इसकी आवश्यकता ना होने पर प्रभावहीन किया जा रहा है.
  • बंजर भूमि (दावे) अधिनियम,1863 यह अधिनियम काफी पुराना होने के वजह से रद्द किया जा रहा है.
  • उत्तर प्रदेश विधि (हरियाणा से आंतरिक राज्यक्षेत्रों पर विस्तार) अधिनियम,1989 यह अधिनियम उत्तर प्रदेश के हरियाणा राज्य से संबंधित होने से रद्द किया जा रहा है.
  • बनारस पारिवारिक भू-संपदा अधिनियम,1904 (उत्तर प्रदेश अधिनियम, 1904) ये अधिनियम बनारस जिले से संबंधित होने पर प्रभावहीन किया जा रहा है.
  • उत्तर प्रदेश भूमि विकास कर अधिनियम,1972 इस अधिनियम को भी प्रभावहीन किया जा रहा है.
  • स्थानीय निकाय (प्रशासन की नियुक्ति) अधिनियम,1961 और स्थानीय निकाय (अनहर्ता निवारण) अधिनियम,1975, म्युनिसिपैलिटी नोटिफाइड और टाउन एरिया (अल्पकालिक व्यवस्था) अधिनियम,1994- इन तीनों अधिनियम के स्थान पर उत्तराखंड में केवल दो अधिनियम लागू हैं. पहला उत्तरांचल (उत्तरप्रदेश नगरपालिका अधिनियम,1916) अनुकूलन, उपांतरण आदेश, 2002 और दूसरा उत्तरांचल (उत्तरप्रदेश नगर निगम अधिनियम,1959)अनुकूलन और उपान्तरण आदेश, 2002 लागू है.

वहीं, राज्य विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति राजेश टंडन ने बताया कि साल 2000 में राज्य बनने के दौरान एडॉप्शन एक्ट के तहत उत्तर प्रदेश के एक्ट उत्तराखंड में अडॉप्ट किए गए थे, लेकिन उन एक्ट में कई एक्ट ऐसे भी थे, जो उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों से ही जुड़े हुए थे. जिसका अब उत्तराखंड राज्य के लिए जरूरी नहीं है. लिहाजा इन अधिनियम को चिन्हित किया जा रहा है.

उन्होंने बताया कि अभी तक करीब 23 अधिनियम को चिन्हित कर प्रभावहीन किया जा रहा है. जिसकी संस्तुति के लिए राज्य सरकार को भेजा गया है. साथ ही बताया कि उत्तर प्रदेश से अडॉप्ट हुए सभी अधिनियम को लेकर ए से जेड तक का कोड बनाया जा रहा है. सभी अधिनियम को लेकर बैठक भी की जा रही है.

Intro:exclusive riport......

राज्य गठन के 18 साल बीत जाने के बाद अब कही जा कर सरकारी सिस्टम कुम्भकर्णी नींद से जागा हैं एक लंबा अरसा बीत जाने के बाद उत्तर प्रदेश के महज कुछ अधिनियम को ही प्रदेश सरकार निरसित कर पाई हैं। आखिर कितने हैं ये एक्ट, जिसे निरसित किया गया। और भविष्य में कितने अधिनियमो में बदलाव करने की दरकार हैं। आखिर कब तक यूपी के अधिनियम को उत्तराखंड में कानून के रूप में बदल जायेंगे और निरसित किये जायेंगे, इन तमाम पहलुओं की ईटीवी भारत की पड़ताल....देखिए ईटीवी भारत की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट.....



Body:उत्तराखंड राज्य बनने के 18 साल बाद अब राज्य सरकार ने उत्तराखंड राज्य में निहित हुई उत्तरप्रदेश के अधिनियमो में से अनुपयोगी अधिनियम की छटाई शुरू हो गई है। पहले चरण में 23 अधिनियमो को छांटकर राज्य विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति राजेश टंडन ने निरसित किए जाने की संस्तुति राज्य सरकार के समक्ष प्रेषित कर दी है। 23 अधिनियमो को निरसित करने की संस्तुति के बाद उत्तरप्रदेश से एडॉप किए गए अधिनियमो में से तमाम अनुपयोगी अधिनियम जल्द ही उत्तराखंड के कानून के रूप में नजर आयेंगे। जी हां जिसको लेकर विधि आयोग ने कवायद तेज कर दी हैं। ताकि राज्य को आर्थिक रूप से मजबूत किया जा सके। 


.........इन अधिनियमो को निरसित करने पर हुई है संस्तुति......

- उत्तरप्रदेश विज्ञापन कर अधिनियम, 1981 को लेकर 30 जुलाई 2018 को हुई बैठक में निष्प्रयोजन एवं निष्प्रभावी होने के कारण निरसित किए जाने की संस्तुति राज्य सरकार के समक्ष प्रेषित की जा चुकी है। 

- उत्तराखंड माल के स्थानीय क्षेत्र में प्रवेश पर कर अधिनियम, 2008 को लेकर 30 जुलाई 2018 को हुई बैठक में निष्प्रयोजन एवं निष्प्रभावी होने के कारण निरसित किए जाने की संस्तुति राज्य सरकार के समक्ष प्रेषित की जा चुकी है। 

- उत्तरप्रदेश बेसिक शिक्षा अधिनियम, 1972 के स्थान पर उत्तरांचल विद्यालय शिक्षा अधिनियम संख्या 8 वर्ष 2006 लागू होने के कारण निष्प्रभावी होने की वजह से निरसित किए जाने की संस्तुति राज्य सरकार के समक्ष प्रेषित की जा चुकी है। 

- संयुक्त प्रांतीय संपत्ति के हस्तगत करने का(बाढ़ सहायक) अधिनियम, 1948 के स्थान पर उत्तरांचल आपदा न्यूनीकरण, प्रबंधन तथा निवारण अधिनियम, 2005 अधिनियमित किए जाने के कारण अनुपयोगी हो गया है। जिस वजह से निरसित किए जाने की संस्तुति राज्य सरकार के समक्ष प्रेषित की जा चुकी है। 

- संयुक्त प्रांत आकाशी रज्जुमार्ग अधिनियम, 1922 के स्थान पर उत्तराखंड रज्जूमार्ग विधेयक, 2014 अधिनियम संख्या 2 वर्ष 2015 लागू होने के कारण निरसित किए जाने की संस्तुति राज्य सरकार के समक्ष प्रेषित की जा चुकी है। 

- उत्तर प्रदेश प्राचीन एवं ऐतिहासिक स्मारकों तथा पुरातत्वीय स्थानो और अवशेषों पर परीक्षण अधिनियम,1956 के स्थान पर केंद्र सरकार द्वारा the ancient monuments and archaeological sites and remains (amendment and validation) act, 2010 लागू होने के बाद से अनुपयोगी होने के कारण निरसित किए जाने की संस्तुति राज्य सरकार के समक्ष प्रेषित की जा चुकी है। 

- संयुक्त प्रांत बद्रीनाथ (स्वच्छता तथा सुधार)(निरसन) अधिनियम,1975 के समस्त अधिकार कर्तव्य नोटिफाइड कमेटी को प्रत्यावर्तीत किए जाने के कारण इस अधिनियम की आवश्यकता ना होने के कारण निरसित किए जाने की संस्तुति राज्य सरकार के समक्ष प्रेषित की जा चुकी है। 

- उत्तर प्रदेश की श्री बद्रीनाथ और श्री केदारनाथ मंदिर एक्ट,1939 के स्थान पर चारधाम यात्रा अधिनियम बनाने की वजह से अधिसूचना समिति एवं उत्तर प्रदेश श्री बद्रीनाथ और श्री केदारनाथ एक्ट,1939 को निरसित किए जाने की संस्तुति राज्य सरकार के समक्ष प्रेषित की जा चुकी है। 

- देहरादून अधिनियम,1871 - इस अधिनियम का उत्तराखंड राज्य में उपयोगिता ना होने एवं विवाद लंबित ना होने के कारण निरसित किए जाने की संस्तुति राज्य सरकार के समक्ष प्रेषित की जा चुकी है। 

- उत्तरप्रदेश स्थानीय निकाय (प्रशासन की नियुक्ति) अधिनियम,1961- यह अधिनियम विशेष 3 सितंबर 1961 को उत्तरप्रदेश के गाजियाबाद में स्थानीय निकायों में चुनाव से संबंधित है। लिहाजा उत्तराखंड में इस अधिनियम की कोई आवश्यकता ना होने के कारण निरसित किए जाने की संस्तुति राज्य सरकार के समक्ष प्रेषित की जा चुकी है। 

- उत्तराखंड प्रदेश श्री काशी विश्वनाथ मंदिर अधिनियम,1983 - यह अधिनियम बनारस के काशी विश्वनाथ मंदिर से संबंधित होने एवं उत्तराखंड में इसकी आवश्यकता ना होने के कारण निरसित किए जाने की संस्तुति राज्य सरकार के समक्ष प्रेषित की जा चुकी है। 

- तेंदू पत्ता (व्यापार विनिमय) अधिनियम, 1972 - यह अधिनियम सिर्फ इलाहाबाद, मिर्जापुर, बांदा, हमीरपुर, झांसी और वाराणसी जिले में दिनांक 2 मार्च 1972 को लागू हुआ शेष उत्तरप्रदेश में अधिनियम लागू ना होने एवं उत्तराखंड में इस अधिनियम से संबंधित कोई विवाद लंबित ना होने के कारण निरसित किए जाने की संस्तुति राज्य सरकार के समक्ष प्रेषित की जा चुकी है। 

- उत्तरप्रदेश पशु क्रय कर अधिनियम,1976 के स्थान पर रेगुलेशन ऑफ लाइव स्टॉक मार्केट रूल्स एक्ट, 2017 आने के कारण इस अधिनियम को निरसित किए जाने की संस्तुति राज्य सरकार के समक्ष प्रेषित की जा चुकी है। 

- उत्तरप्रदेश कॉर्नियल ग्राफ्टिंग अधिनियम,1964 - यह अधिनियम उत्तरप्रदेश के लिए 1950 में लागू हुआ था और लागू होते ही इसकी उपयोगिता ना होने के कारण उत्तरप्रदेश में इस अधिनियम को निरसित कर दिया गया, इस वजह से इस अधिनियम को निरसित किए जाने की संस्तुति राज्य सरकार के समक्ष प्रेषित की जा चुकी है। 

- उत्तरप्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक अधिनियम,1964 एवं उत्तरप्रदेश सहकारी समिति अधिनियम,1965 के स्थान पर उत्तराखंड सहकारी समिति अधिनियम 2006 लागू हो चुका है जिसके चलते इस अधिनियम को निरसित किए जाने की संस्तुति राज्य सरकार के समक्ष प्रेषित की जा चुकी है। 

- उत्तर प्रदेश कोर्ट फीस छूट (रेमिशन) अधिनियम,1950 - यह अधिनियम उत्तरप्रदेश से संबंधित होने, उत्तराखंड राज्य में इसकी आवश्यकता न होने एवं कोई विवाद लंबित न होने के कारण निरसित किए जाने की संस्तुति राज्य सरकार के समक्ष प्रेषित की जा चुकी है। 

- बंजर भूमि (दावे) अधिनियम,1863 - यह अधिनियम बहुत अधिक पुराना होने, उत्तराखंड राज्य में इसकी उपयोगिता न होने एवं कोई विवाद लंबित न होने के कारण निरसित किए जाने की संस्तुति राज्य सरकार के समक्ष प्रेषित की जा चुकी है। 

- स्थानीय निकाय (प्रशासन की नियुक्ति)अधिनियम,1961 और स्थानीय निकाय (अनहर्ता निवारण) अधिनियम,1975 और म्युनिसिपैलिटी नोटिफाइड एरिया और टाउन एरिया (अल्पकालिक व्यवस्था) अधिनियम,1994 - इन तीनो अधिनियम के स्थान पर उत्तराखंड में केवल दो अधिनियम लागू है। पहला उत्तरांचल (उत्तरप्रदेश नगरपालिका अधिनियम,1916) अनुकूलन और उपान्तरण आदेश, 2002 और दूसरा उत्तरांचल (उत्तरप्रदेश नगर निगम अधिनियम, 1959)अनुकूलन और उपान्तरण आदेश, 2002 जिस कारण निरसित किए जाने की संस्तुति राज्य सरकार के समक्ष प्रेषित की जा चुकी है। 

- उत्तरप्रदेश विधि (हरियाणा से आंतरिक राज्यक्षेत्रों पर विस्तार) अधिनियम,1989 - यह अधिनियम उत्तरप्रदेश के हरियाणा राज्य से संबंधित होने एवं उत्तराखंड राज्य में इससे संबंधित कोई विवाद लंबित न होने के कारण निरसित किए जाने की संस्तुति राज्य सरकार के समक्ष प्रेषित की जा चुकी है। 

- बनारस पारिवारिक भू-संपदा अधिनियम,1904 (उत्तर प्रदेश अधिनियम, 1904) - यह अधिनियम बनारस जिले से संबंधित होने, उत्तराखंड राज्य में इसकी उपयोगिता न होने एवं संबंधित अधिनियम से कोई विवाद लंबित न होने के कारण निरसित किए जाने की संस्तुति राज्य सरकार के समक्ष प्रेषित की जा चुकी है। 

- उत्तरप्रदेश भूमि विकास कर अधिनियम,1972 - इस अधिनियम का उत्तराखण्ड राज्य में उपयोगिता न होने एवं कोई विवाद लंबित न होने के कारण निरसित किए जाने की संस्तुति राज्य सरकार के समक्ष प्रेषित की जा चुकी है। 


वीओ - ज्यादा जानकारी देते हुए राज्य विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति राजेश टंडन ने बताया कि साल 2000 में जब उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश राज्य से अलग होकर एक अलग राज्य बना था। उस दौरान एडॉप्शन एक्ट के तहत उत्तरप्रदेश राज्य के जितने भी एक थे वह सब उत्तराखंड राज्य में अडॉप्ट हो गए थे। लेकिन उन एक्ट में तमाम एक्ट ऐसे भी थे जो उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों से जुड़े हुए थे। जो उत्तराखंड राज्य में जरूरी नहीं है लिहाजा इन अधिनियम को चिन्हित किया जा रहा है और अभी तक करीब 23 अधिनियम को चिन्हित कर निरशित किए जाने की संसूती राज्य सरकार के समक्ष पेश कर दिया गया है।

साथ ही बताया कि उत्तर प्रदेश से अडॉप्ट हुए सभी अधिनियम को लेकर ए से ज़ेड तक के कोड बनाया जा रहा है। और एक-एक अधिनियम को लेकर, बैठक की जा रही है साथ ही संबंधित सचिव से उस अधिनियम पर चर्चा किया जा रहा है कि इस अधिनियम का से संबंधित कोई मामला लंबित है कि नही अगर लंबित नही है और उस अधिनियम का उत्तराखंड में कोई आवश्यकता नही है तो उस अधिनियम को निरसन की कार्यवाही कर संस्तुति दे दी जाती हैं।

बाइट - न्यायमूर्ति राजेश टंडन, अध्यक्ष, राज्य विधि आयोग





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