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भारत के आखिरी गांव माणा में सर्दी का 'सितम', बर्फ बने नदी-झरने

भारत के आखिरी गांव नीति माणा भी बर्फ की चादर से ढक चुका है. जहां पारा शून्य से 7-12 डिग्री तक लुढ़क गया है. नीति घाटी चमोली जिले में चीन सीमा से लगा अंतिम गांव है. इन दिनों वहां रहने वाले लोग निचले क्षेत्र में आ जाते हैं.

माणा में सर्दी का 'सितम'.
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Published : Nov 23, 2019, 1:44 PM IST

Updated : Nov 23, 2019, 4:21 PM IST

देहरादून: प्रदेश में ठंड बढ़ने लगी है. जिससे लोगों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. सीमांत जनपद चमोली के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी से सफेद चादर बिछ गई है. बर्फबारी से तापमान माइनस दस डिग्री तक पहुंच गया है. चमोली और माणा में पानी जमने लगा है. बर्फबारी का यही सिलसिला रहा तो आने वाले दिनों में ठंड में इजाफा होना लाजिमी है.

माणा में सर्दी का 'सितम'.

भारत के आखिरी गांव नीति माणा भी बर्फ की चादर से ढक चुका है. जहां पारा शून्य से 7-12 डिग्री तक लुढ़क गया है. नीति घाटी चमोली जिले में चीन सीमा से लगा अंतिम गांव है. इन दिनों वहां रहने वाले लोग निचले क्षेत्र में आ जाते हैं. जहां हाड़कंपा देने वाली ठंड में हिमवीर (ITBP) 6 महीने तक ड्यूटी पर तैनात रहते हैं. वहीं उच्च क्षेत्रों में तापमान गिरने से पानी जम चुका है.

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ठंड से जमा पानी.

पढ़ें-आयुष छात्रों का नहीं हुआ भला, निजी कॉलेजों का चल रहा मनमानी

जहां एक ओर उच्च हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी से नजारा काफी मनमोहक बना हुआ है वहीं दूसरी ओर लोगों की परेशानियां बढ़ गई हैं. इसी तरह बर्फबारी हुई तो आने वाले दिनों में ठंड में इजाफा देखने को मिलेगा. वही मौसम विभाग के अनुसार प्रदेश के पहाड़ी जनपदों उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग, बागेश्वर और पिथौरागढ़ जनपदों में हल्की वर्षा और बर्फबारी हो सकती है. यही नहीं 3,000 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में भी बर्फबारी की संभावना जताई गई है.

देहरादून: प्रदेश में ठंड बढ़ने लगी है. जिससे लोगों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. सीमांत जनपद चमोली के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी से सफेद चादर बिछ गई है. बर्फबारी से तापमान माइनस दस डिग्री तक पहुंच गया है. चमोली और माणा में पानी जमने लगा है. बर्फबारी का यही सिलसिला रहा तो आने वाले दिनों में ठंड में इजाफा होना लाजिमी है.

माणा में सर्दी का 'सितम'.

भारत के आखिरी गांव नीति माणा भी बर्फ की चादर से ढक चुका है. जहां पारा शून्य से 7-12 डिग्री तक लुढ़क गया है. नीति घाटी चमोली जिले में चीन सीमा से लगा अंतिम गांव है. इन दिनों वहां रहने वाले लोग निचले क्षेत्र में आ जाते हैं. जहां हाड़कंपा देने वाली ठंड में हिमवीर (ITBP) 6 महीने तक ड्यूटी पर तैनात रहते हैं. वहीं उच्च क्षेत्रों में तापमान गिरने से पानी जम चुका है.

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ठंड से जमा पानी.

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जहां एक ओर उच्च हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी से नजारा काफी मनमोहक बना हुआ है वहीं दूसरी ओर लोगों की परेशानियां बढ़ गई हैं. इसी तरह बर्फबारी हुई तो आने वाले दिनों में ठंड में इजाफा देखने को मिलेगा. वही मौसम विभाग के अनुसार प्रदेश के पहाड़ी जनपदों उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग, बागेश्वर और पिथौरागढ़ जनपदों में हल्की वर्षा और बर्फबारी हो सकती है. यही नहीं 3,000 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में भी बर्फबारी की संभावना जताई गई है.

Intro:नोट - फीड ftp से भेजी गयी है...............
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चमोली के पहाड़ो पर बर्फ की सफेद चादर बिछी है, चमोली में बर्फ बारी का ये आलम है की तापमान माइनस दस डिग्री तक पहुँच गया है अंदाजा लगाइये जो झरने झरझर बहते थे जो नदिया कलकल बहती थी वो बर्फ से पूरी तरह जम चुकी है। देखिए ईटीवी भारत की इस रिपोर्ट में कि किस तरह, बर्फ ने इन खूबसूरत वादियों को अपने आगोश में समां लिया है। 





Body:उत्तराखंड के आखिरी गांव नीति माणा का नाम तो आपने सुना ही होगा। यहाँ बहते खूबसूरत झरने अटखेलिया करती हुई बहती नदियाँ मानो किसी जन्नत से कम नजर नहीं आती है। लेकिन इस जन्नत के झरनों और बहती नदियों को कुदरत के घटते तापमान ने अपने आगोश में ले लिया है। चमोली में नीति घाटी में इन दिनों सब कुछ जमा देने वाली सर्दी ने दस्तक दे दी है, पिछले सप्ताह हुई बर्फबारी के बाद यहां सब कुछ जम गया है। क्योकि यहाँ पारा शून्य से निचे -7 से -12 डिग्री तक लुढ़क गया है। दिन के उजाले में भी यहां पानी पत्थर बना हुआ है।


नीति घाटी चमोली जिले में चीन सीमा से लगी अंतिम गांव है और यहां भोटिया जनजाति के लोग 6 महीने ग्रीष्म काल मे प्रवास करते हैं। इन दिनों यहां रहने वाले लोग निचली जगह पर प्रवास करने के लिए आ चुके हैं और नीति घाटी में आईटीबीपी और सेना के जवान मुस्तैद है यहां भारी बर्फबारी के साथ जबरदस्त कड़ाके की ठंड होती है जिसके चलते यहां इस समय रहना मुमकिन नहीं होता है लेकिन चीन सीमा होने के कारण आईटीबीपी ओर सेना के जवान यहां 12 महीने सीमा पर मुस्तैदी से रहते हैं चाहे ठंड हो या बर्फ जवान यहां हर समय तैनात रहते हैं। 


इस समय यहां रात का पारा माइनस 8 से माइनस 12 डिग्री तक लुढ़क रहा है, वही दिन के उजाले में यहां पारा माइनस के आसपास ही लुढ़का हुआ है बहता पानी तो यहां पत्थर बन चुका है और टपकता पानी बढ़ती ठंड के चलते हैं कांटों जैसे तीर बन चुके हैं इन कांच की तरह सिकों को देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि  यहां ठंड का क्या हाल होगा। यही नहीं ऊपर से टपकता पानी पहाड़ी पर तीर नुमा आकार ले चुका है और पूरी पहाड़ी पर ऐसे न जाने कितने तीर यहां लगे हुए हैं। हालांकि एक तरफ धूप होने के कारण पानी सामान्य है लेकिन पहाड़ी की दूसरी तरफ धूप न होने के कारण पानी पूरी तरह से जम चुका है दिन हो या रात हर समय यहां पानी की बूंद बूंद जम रही है, और लगातार ठंड बढ़ती जा रही है। 




Conclusion:नीति माणा के पहाड़ और सड़कों के दोनों ओर बर्फ का सुंदर नजारा दिखाई दे रहा है हालांकि दिखने में जितना सुंदर यह नजारा है यहां रहना भी उतना ही मुश्किल है। निति माणा में बर्फ के बीचो-बीच चलने का नजारा इतना दिलचस्प है कि हर कोई यहां आना चाहता है लेकिन यहां की ठंड इतनी ज्यादा है की गाड़ी से बाहर निकलते ही बर्फीली हवाओं का सितम, परेशान करने लग जाता है। तो वही मौसम विभाग के अनुसार प्रदेश के पहाड़ी जनपदों उत्तरकाशी, चमोली ,रुद्रप्रयाग, बागेश्वर ,और पिथौरागढ़ जनपदों में हल्की से हल्की वर्षा और बर्फबारी हो सकती है। यही नहीं 3,000 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में भी बर्फबारी की संभावना जताई गई है। 


बाइट - प्रकाश कपरवांन, स्थानीय निवासी
बाइट - विक्रम सिंह, निदेशक, मौसम विभाग 

Last Updated : Nov 23, 2019, 4:21 PM IST
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