देहरादून : उत्तराखंड में शिक्षा व्यवस्था के हालात से हर कोई वाकिफ है. लगातार गिरती गुणवत्ता और अव्यवस्थाओं के कारण साल-दर-साल सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या कम होती जा रही है. शिक्षकों की अंदरूनी राजनीति और महकमे के अधिकारियों के निजी हित के मामलों के कारण भी पहाड़ी प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था लचर होती जा रही है. ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि साल 2018 का वो पत्र कह रहा है, जिसमें वित्त सचिव ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मंशा पर ही सवाल खड़े किए हैं.
दरअसल, साल 2013 में केंद्र सरकार ने एनसीईआरटी की तर्ज पर एससीईआरटी के ढांचे को लागू करने के आदेश राज्य को दिए थे. साथ ही जिलों में डायट का भी ढांचा गठित करने को कहा था. जिसके बाद राज्य ने एससीईआरटी और डायट का तो ढांचा गठित कर दिया, लेकिन इसके लिए नियमावली नहीं बनाई गई. बता दें, राज्य सरकार के एससीईआरटी डायट के ढांचा गठित करने के बाद यदि नियमावली भी लागू की जाती है तो केंद्र की तरफ से ही इनमें कर्मियों की तनख्वाह का भार वहन किया जाता है. जिससे राज्य को करीब 8 से 10 करोड़ रुपये का वहन कर्मियों की तनख्वाह में नहीं झेलना होता.
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बताया जा रहा है कि एससीईआरटी और डायट में तैनात अधिकारी और शिक्षक इन पदों को छोड़ना नहीं चाहते. इसलिए नियमावली बनाने को लेकर प्रस्ताव भेजने के लिए हीलाहवाली की जा रही है. वित्त सचिव अमित नेगी ने भी अपने पत्र में कुछ ऐसा ही जिक्र किया है. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत कहते हैं कि उनकी सरकार आने के बाद तमाम विभागों की नियमावलियों को बनाया गया है. इसे लेकर भी विचार किया जाएगा. हालांकि, इस दौरान वह इस मामले को हल्के में लेते हुए भी नजर आए.
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मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का यह कहना कि राजकाज में ऐसा होता रहता है, जो काफी चौंकाने वाला है. क्योंकि जिस राज्य में कर्मचारियों की तनख्वाह देने के लाले पड़ते हो, ऐसे राज्य में 8 से 10 करोड़ की राशि को बचाने की कोशिश न होना एक बड़ी लापरवाही को उजागर करता है. इस मामले में विभागीय सचिव मीनाक्षी सुंदरम कहते हैं कि यह मामला उनके संज्ञान में हैं. 1 से 2 हफ्ते में इस पर निर्णय ले लिया जाएगा.
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क्या है एससीईआरटी
एससीईआरटी यानी स्टेट काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेडिंग, जिसका काम शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाना है और शिक्षकों को बेहतर ट्रेनिंग देना है. जिसके जरिए शिक्षा के क्षेत्र को तकनीक और हर लिहाज से बेहतर बनाया जा सके.
क्या है डायट
डायट को डिस्ट्रिक्ट इंस्टीट्यूट फॉर एजुकेशन एंड ट्रेनिंग कहते हैं. इसका काम जिला लेवल पर शिक्षकों की गुणवत्ता को बेहतर करना है, साथ ही शिक्षा के क्षेत्र में नए सुधारों को भी अपनाना है.
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बता दें, केंद्र द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार अगर नियमावली का गठन होता है तो केंद्र की तरफ से ही डायट और एससीईआरटी में तैनात कर्मियों को तनख्वाह दी जाती है. ऐसे में नियमावली के अनुसार इन दोनों ही संस्थाओं में अलग से कर्मचारियों की नियुक्ति भी की जाएगी, जिससे इसमें शिक्षक और शिक्षा विभाग के अधिकारियों को अपने पद छोड़ने ही होंगे. अब इसको नियमावली न बन पाने की बड़ी वजह माना जा रहा है.