देहरादून: उत्तराखंड के बहुचर्चित अंकिता हत्याकांड (Uttarakhand famous Ankita murder case) को एक महीने से अधिक का समय गुजर चुका है, मगर अब भी कई ऐसे महत्वपूर्ण एविडेंस हैं, जिनकी स्थानीय पुलिस और विशेष जांच एजेंसी SIT को दरकार है. घटनाक्रम से जुड़े कुछ ऐसे इलेक्ट्रॉनिक और साइंटिफिक साक्ष्य हैं जिनकी FSL से पुख़्ता रिपोर्ट के आधार पर ही आरोपियों के खिलाफ केस मजबूत बनाया जा सकता है. अभी तक देहरादून और सेंटर FSL चंडीगढ़ से ऐसे इलेक्ट्रॉनिक और साइंटिफिक रिपोर्ट एसआईटी को नहीं मिली है.
एसआईटी एक महीने से पहले ही कोर्ट में चार्जशीट दाखिल करने का दावा कर रही थी, लेकिन अब SIT को FSL रिपोर्टों का इंतजार है जो इस हत्याकांड के केस मजबूती प्रदान कर सकती हैं. यही कारण है FSL रिपोर्ट के आने से पहले ही तमाम अन्य साक्ष्य व सबूत और कुछ महत्वपूर्ण गवाहों के 164 बयान के आधार पर चार्जशीट दाखिल करने की बात हो रही थी, अब ऐसा प्रतीत हो रहा हैं कि स्टेट और सेंटर FSL रिपोर्ट के बाद ही आरोप पत्र दाखिल कोर्ट में दाख़िल किया जा सकता है.
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केस को मजबूत बनाने के लिए जरूरी FSL रिपोर्ट: अंकिता हत्याकांड में कोर्ट में चार्जशीट दाखिल करने को लेकर एसआईटी की अध्यक्षता कर रही डीआईजी पी रेणुका देवी ने बताया इस केस में इन्वेस्टिगेशन के कई पहलू अभी भी जारी हैं. सबसे बड़ा इंतजार FSL की रिपोर्ट का है. जिसके आधार पर चार्जशीट को अंतिम रूप देकर कोर्ट में दाखिल कर केस मजबूत बनाया जा सकता है. FSL से डीएनए सहित मृतका के मोबाइल फोन ऑडियो-वीडियो सहित अन्य तरह के कई ऐसे साइंटिफिक और डिजिटल एविडेंस हैं जिनकी फॉरेंसिक लैब से रिपोर्ट आने पर ही इस केस को मजबूती प्रदान की जा सकती हैं.
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अफवाह फैलाने से जांच और कानून व्यवस्था प्रभावित होने की आशंका: एसआईटी का नेतृत्व कर रही डीआईजी पी रेणुका देवी ने कहा अंकिता हत्याकांड को लेकर पहले दिन से ही एसआईटी निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से जांच कर रही है. दूसरी ओर दुर्भाग्य से इस केस के विषय में कुछ लोग अफवाह फैलाकर जांच को प्रभावित करने का काम कर रहे हैं, जो पूरी तरह से गलत है. इससे न सिर्फ जांच प्रभावित होने की आशंका रहती है बल्कि राज्य की कानून व्यवस्था पर भी प्रभाव पड़ता है. इस बात को लेकर भी लगातार पुलिस की तरफ से अपील की जाती रही है. डीजीपी रेणुका के अनुसार गलत तरीके से अफवाह फैलाने से जांच प्रभावित होने की आशंका भी रहती है.