देहरादून: प्लास्टिक पर प्रतिबंध की शुरुआत उत्तराखंड में सबसे पहले सचिवालय से कई महीने पहले की गई थी. समय-समय पर सचिवालय में प्लास्टिक बैन को लेकर तमाम आयोजन भी किए गए. लेकिन क्या प्लास्टिक के खिलाफ छेड़ी गई मुहिम रंग ला पाई? जहां अफसरों की फौज रहती हो, उस सचिवालय में प्लास्टिक यूज बंद हुआ या नहीं? ईटीवी भारत की टीम ने जमीनी हकीकत जानी, जहां कई चौंकाने वाली बाते सामने आईं.
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ऐसा नहीं है कि सचिवालय में प्लास्टिक बैन का असर नहीं दिखा. कुछ हद तक प्लास्टिक पर बैन सफल रहा, लेकिन ये कह देना कि प्लास्टिक पूरी तरह खत्म हो गया, गलत होगा. एसीएस सचिवालय प्रशासन राधा रतूड़ी की मानें तो सचिवालय में प्लास्टिक के प्रयोग को लेकर कई बड़े बदलाव किये गए हैं. फाइलों में, दैनिक कार्यों में प्लास्टिक का उपयोग प्रतिबंधित है. प्लास्टिक के डस्टबिन की जगह रिंगाल के डस्टबिन पर भी विचार किया जा रहा है.
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ईटीवी भारत का सचिवालय में रिएलटी चेक
उत्तराखंड सचिवालय में पहले पानी की बोतलें, डिसपोजल ग्लास, प्लेट इत्यादि बेधड़क तरीके से इस्तेमाल की जाती थी, लेकिन प्रतिबंध के बाद अब सचिवालय में बमुश्किल ही प्लास्टिक की ये चीजें देखने को मिलती हैं. सचिवालय में स्थित इंद्रा अम्मा भोजनालय में पहले प्लास्टिक की बोतलें इस्तेमाल होती थी वो अब बंद हो चुकी हैं. कैंटीन में पैकिंग खाने के लिए टिफिन का प्रयोग किया जाने लगा है.
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लेकिन, यहां है बदलाव की जरूरत
सचिवालय में रियलिटी चेक के दौरान ऐसा नहीं कि प्लास्टिक कहीं नजर नहीं आया. सचिवालय में बायो क्रस रिवर्स प्लास्टिक बैंडिग मशीन को स्वजल द्वारा 3 जनवरी 2018 को लगाया गया था. लेकिन उद्घाटन के कुछ महीनों बाद ही मशीन प्लास्टिक का अड्डा बन चुकी है. सचिवालय में संचालित हो रही जीएमवीएन की एक और कैंटीन में प्लास्टिक आसानी से नजर आ जाएगा. सबसे हैरान करने वाली बात ये है कि सचिवालय का मुख्य पार्क जहां झंडारोहण होता हैं, वहां पर भी प्लास्टिक बोतल गिरी मिली.