मसूरी: नाग देवता मंदिर समिति द्वारा मंगलवार को नाग मंदिर परिसर में सात दिवसीय श्रीमद् भगवत कथा का शुभारंभ किया गया. इससे पूर्व मसूरी के प्यार कुली भट्टा गांव से कलश यात्रा निकाली गई जिसमें भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने बढ़-चढ़कर भाग लिया. वहीं, महिलाओं ने सर पर कलश रखकर नंगे पैर करीब 10 किलोमीटर का पैदल सफर तय किया. इस अनुष्ठान को लेकर श्रद्धालुओं में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है.
मसूरी के नागदेवता मंदिर समिति ने हाथीपांव रोड स्थित नाग मंदिर परिसर में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का शुभारंभ किया गया. इससे पूर्व प्यार कुली भट्टा गांव, मसूरी झील से कलश यात्रा निकाली गई.भारी संख्या में श्रद्वालुओं ने डोली और कलश यात्रा में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया. इस दौरान नाग देवता के भक्तों ने नागराज के जयमंत्र के साथ कलश यात्रा का शुभारम्भ किया. महिलाओं ने सर पर कलश रख कर,नंगे पैर धुमावदार पहाड़ी रास्ते के करीब 10 किलो मीटर का सफर पैदल तय कर नाग मंदिर पहुंची. स्थानीय निवासी राकेश रावत और होशियार सिंह का मानना है कि कलश यात्रा के दौरान महिलायें अपने सर पर रखे कलश को हटाती नहीं है. क्योंकि अगर कलश हट जाये तो यात्रा पूरी नहीं मानी जाती. गांव के बुजुर्गों का मानना है कि यह मंदिर 500 साल पुराना है. कई साल पहले एक गाय शाम के समय चरकर अपने गायशाला में पहुंचती है. तो उसके थानों में दूध नहीं पाया गया. क्योंकि वह अपना दूध पत्थर पर छोड़ कर आ जाती थी. जिसे नागदेवता पी जाते थे.
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गौर है कि मालिक द्वारा एक दिन गाय का विदा किया गया तो उन्होंने गाय को पत्थर पर दूध छोड़ते देखा कि उस दूध को एक नाग पी रहा था. तभी से इस स्थान पर नाग मंदिर की स्थापना की गई . जिसे प्यार कुली भट्टा गांव के लोग नागदेवता को कुलदेवता मानने लगे. वहीं, इस दिन नागपंचमी के एक सप्ताह पूर्व ढोल नगाड़ों के साथ पारंपरिक वेशभूषा में त्यौहार के रूप मे मनाया जाता है.