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वनवास के दौरान शहडोल के लखबरिया धाम पधारे थे श्रीराम

वनवास के समय शहडोल के लखबरिया धाम पधारे थे भगवान श्रीराम. यहां उनका मंदिर बना है. साथ ही उनके यहां आने से जुड़ी कई मान्यताएं भी हैं.

वनवास के दौरान शहडोल के लखबरिया धाम पधारे थे श्रीराम.
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Published : Oct 22, 2019, 10:10 AM IST

शहडोल: भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण के साथ जब 14 सालों तक वनवास में थे, तब भगवान शहडोल के भी कई स्थानों तक पहुंचे, जिसके अलग-अलग प्रमाण यहां के पुराने पुजारी और जानकार बताते हैं. शहडोल जिला मुख्यालय से करीब 40 से 45 किलोमीटर की दूरी पर लखबरिया धाम स्थित है. यहां रामलला और राम जानकी विराजे हैं. मान्यता है कि वनवास के समय भगवान राम यहां पधारे थे.

वनवास के दौरान शहडोल के लखबरिया धाम पधारे थे श्रीराम.

प्रसाद में एक बार ही चढ़ता है अन्न

कई सालों से इस मंदिर में रामलला की सेवा कर रहे पुजारी लल्ला महाराज बताते हैं कि श्री राम तपस्वी थे और जो तप में रहता है वो एक बार ही भोजन करता है, इसीलिए इस मंदिर में प्रसाद के रूप में एक बार अन्न का भोग लगाया जाता है और फिर रात में पूजा और आरती के बाद दूध या फल ही चढ़ाते हैं.

पुजारी लल्ला महाराज कहते हैं कि उनके पूर्वज और उनके गुरुओं ने जो उन्हें बताया है, उसके मुताबिक श्री राम अपने वनवास के समय यहां आए जरूर थे, लेकिन रुके नहीं थे. उन्होंने यहां थोड़ा समय व्यतीत किया और फिर यहां से चले गए. यहां श्री राम मंदिर के अलावा इसी मंदिर परिसर में एक सीता रसोई भी है, साथ ही भगवान शिव से जुड़ी कई प्राचीन अमूल्य धरोहरें भी हैं.

ऐसे हुई स्थान की जानकारी

लखबरिया धाम की जानकारी भी बड़े ही आश्चर्यजनक तरीके से हुई. जानकीदास बाई जी कई साल पहले कटनेरी जिला जौनपुर से आईं, जब वो यहां आई तो घनघोर जंगल हुआ करता था. जंगल में आने से ही लोगों को डर लगता था, लेकिन बाई जी जंगल में यहां आईं और उन्होंने इस स्थान के बारे में सबको बताया.

लाख गुफाओं वाला यह लखबरिया धाम धीरे-धीरे जर्जर होने लगा है. आस्था का यह मंदिर अब सरंक्षण की बाट जोह रहा है.

शहडोल: भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण के साथ जब 14 सालों तक वनवास में थे, तब भगवान शहडोल के भी कई स्थानों तक पहुंचे, जिसके अलग-अलग प्रमाण यहां के पुराने पुजारी और जानकार बताते हैं. शहडोल जिला मुख्यालय से करीब 40 से 45 किलोमीटर की दूरी पर लखबरिया धाम स्थित है. यहां रामलला और राम जानकी विराजे हैं. मान्यता है कि वनवास के समय भगवान राम यहां पधारे थे.

वनवास के दौरान शहडोल के लखबरिया धाम पधारे थे श्रीराम.

प्रसाद में एक बार ही चढ़ता है अन्न

कई सालों से इस मंदिर में रामलला की सेवा कर रहे पुजारी लल्ला महाराज बताते हैं कि श्री राम तपस्वी थे और जो तप में रहता है वो एक बार ही भोजन करता है, इसीलिए इस मंदिर में प्रसाद के रूप में एक बार अन्न का भोग लगाया जाता है और फिर रात में पूजा और आरती के बाद दूध या फल ही चढ़ाते हैं.

पुजारी लल्ला महाराज कहते हैं कि उनके पूर्वज और उनके गुरुओं ने जो उन्हें बताया है, उसके मुताबिक श्री राम अपने वनवास के समय यहां आए जरूर थे, लेकिन रुके नहीं थे. उन्होंने यहां थोड़ा समय व्यतीत किया और फिर यहां से चले गए. यहां श्री राम मंदिर के अलावा इसी मंदिर परिसर में एक सीता रसोई भी है, साथ ही भगवान शिव से जुड़ी कई प्राचीन अमूल्य धरोहरें भी हैं.

ऐसे हुई स्थान की जानकारी

लखबरिया धाम की जानकारी भी बड़े ही आश्चर्यजनक तरीके से हुई. जानकीदास बाई जी कई साल पहले कटनेरी जिला जौनपुर से आईं, जब वो यहां आई तो घनघोर जंगल हुआ करता था. जंगल में आने से ही लोगों को डर लगता था, लेकिन बाई जी जंगल में यहां आईं और उन्होंने इस स्थान के बारे में सबको बताया.

लाख गुफाओं वाला यह लखबरिया धाम धीरे-धीरे जर्जर होने लगा है. आस्था का यह मंदिर अब सरंक्षण की बाट जोह रहा है.

Intro:Note_ श्री राम पथगमन पर जो स्टोरी असाइनमेंट से मांगी गई थी वो स्पेशल स्टोरी है। इसके विसुअल और वर्जन का डिटेल स्लग वाइज नीचे दिया गया है।

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इस स्लग में तीन वर्जन हैं पहला वर्जन राम-जानकी मंदिर के पुजारी का है जिनका नाम लल्ला महाराज है, दूसरा वर्जन प्रदीप तिवारी का है, जो यहीं के एक दूसरे मंदिर का पुजारी है, तीसरा वर्जन चिंतामणि यादव का है जो ग्रामीण है।

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इन दो स्लग में। ओपनिंग और क्लोज़िंग पीटीसी है।

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इसमें सारे विसुअल हैं।



वनवास के दौरान लखबरिया धाम में पधारे थे श्री राम, यहां दिन में एक बार ही अन्न का भोग लगाया जाता है, इसके पीछे भी है बड़ी वजह

शहडोल- श्री राम भगवान, माता सीता और लक्ष्मण के साथ जब कई सालों तक वनवास में थे तो वो शहडोल जिले के भी कई स्थानों तक पहुंचे थे। जिसके अलग अलग प्रमाण यहां के पुराने पुजारी और जानकार बताते हैं। शहडोल जिला मुख्यालय से करीब 40 से 45 किलोमीटर दूर है लखबरिया धाम और यहां विराजे हैं रामलला, राम जानकी की ये मंदिर आसपास के इलाकों में प्रसिद्ध है और यहां के पुजारी लल्ला महाराज जो पिछले कई सालों से रामलला की सेवा कर रहे हैं उन्होंने इस मंदिर के कई रहस्यों से पर्दा उठाया जो आपको हैरान कर देगा।


Body:वनवास के समय यहां पधारे थे श्री राम

शहडोल जिला मुख्यालय से करीब 40 से 45 किलोमीटर दूर है लखबरिया धाम, जो ग्राम पंचायत लखबरिया में स्थित है, वैसे तो लखबरिया की ये पवन धरा वहां की एक लाख गुफाओं, पांडवों के अज्ञात वास, भगवान शिव, कई अन्य देवी देवताओं को लेकर जाना ही जाता है, यहां की गुफाओं को देखकर ही प्रतीत होता है कि ये कभी साधना का स्थल रहा होगा क्योंकि यहां के लोग बताते भी हैं कि सालों पहले ये घनघोर जंगल हुआ करता था।
और यही लखबरिया धाम राम जानकी मंदिर को लेकर भी काफी प्रचलित है, यहां रामलला के स्थापित होने की कहानी तो हैरान करने वाली है ही, साथ ही यहां के पुजारी ने जो कुछ बातें इस मंदिर से जुड़ी बताईं वो भी आपको आश्चर्य और उत्सुकता से भर देगी। यहां ऐसा माना जाता है कि श्री राम जब वनवास में थे तो यहां कुछ समय के लिए आये थे।

प्रसाद में एक बार ही चढ़ता है अन्न

कई सालों से इस मंदिर में रामलला की सेवा कर रहे पुजारी लल्ला महाराज ने बताया कि ये एक ऐसा मंदिर है जहां प्रसाद में एक बार ही अन्न का भोग लगाया जाता है और फिर रात में पूजा और आरती के बाद दूध या फल ही चढ़ाते हैं जब हमने इसके पीछे की वजह उनसे जाना तो उन्होंने बताया कि श्री राम तपस्वी थे और जो तप में रहता है वो एक बार ही भोजन करता है, श्री राम भी वनवाश में थे तप कर रहे थे इसलिए एक बार ही भोजन करते थे, इसलिए यहां दिन में एक बार ही अन्न का भोग लगाया जाता है।
मंदिर के पुजारी लल्ला महाराज कहते हैं की उनके पूर्वज उनके गुरुओं ने जो उन्हें बताया उसके मुताबिक श्री राम अपने वनवास के दौरान यहां आए जरूर लेकिन रुके नहीं थे, यहां थोड़ी समय व्यतीत किया था और फिर इसके बाद यहां से निकल गए थे।

ऐसे हुई स्थान की जानकारी

लखबरिया धाम के राम जानकी मंदिर के पुजारी लल्ला महाराज बताते हैं कि इस स्थान की जानकारी भी बड़े ही आश्चर्य जनक तरीके से हुई जानकी दास बाई जी जो कई साल पहले कटनेरी जिला जौनपुर से आईं हुईं थीं, सबसे पहले इस स्थान के बारे में बताया, जब वो यहां आई हुई थीं तो यहां घनघोर जंगल था, जंगल में आने से ही लोगों को डर लगता था, लेकिन बाई जी यहां आईं और उन्होंने इस स्थान के बारे में सबको बताया। जानकी दास बाई जी ने ही इस स्थान को घनघोर जंगलों में आकर इसे ढूंढा और उन्होंने इसे प्रमाणित किया कि श्री राम अपने वनवाश के दौरान यहां पहुंचे हुए थे।



Conclusion:गौरतलब है कि जिस तरह से यहां के पुजारी, पुराने लोग बताते हैं और जो यहां के प्रमाण हैं उसे देखकर तो लखबरिया का ये धाम पावन धरा लगता है, यहां श्री राम मंदिर के अलावा इसी मंदिर परिसर में एक सीता रसोई भी है, भगवान शिव, कई प्राचीन अमूल्य धरोहरें हैं, लेकिन अफसोस लाख गुफाओं वाले इस लखबरिया धाम का सरंक्षण करने वाला कोई नज़र नहीं आ रहा।
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