देहरादून: मेधावी छात्रों के बेहतर भविष्य का सरकार का दावा कितना सही है. इस बात का अंदाजा नवोदय विद्यालय को देखकर लगाया जा सकता है. चिंता की बात है कि यहां सिर्फ मेधावी छात्र ही प्रवेश ले पाते हैं, लेकिन इन छात्रों के भविष्य को अंधकार में धकेलती सरकार की व्यवस्था पर कई सवाल खड़े होते हैं. इसी पर ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट...
वैसे तो उत्तराखंड में सरकारी स्कूलों की बदहाल स्थिति किसी से छिपी नहीं है. लेकिन सरकारी व्यवस्था में ही गुणवत्तायुक्त शिक्षा देने की सरकार की कोशिश भी अब नाकाम हो गयी है. ये मामला नवोदय विघायल से जुड़ा है, जहां सिर्फ मेधावी छात्रों का ही एडमिशन होता है. लेकिन अब इन स्कूलों की स्थिति भी खराब हो चुकी है.
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आपको जानकार ताज्जुब होगा कि नवोदय विद्यालय में एक दो नहीं बल्कि शिक्षकों के कई पद खाली पड़े हैं. हालांकि, शासन में बैठे अधिकारी इन पदों को भरने की बात तो कर रहे है. लेकिन वो कब भरे जाएंगे ये कहना मुश्किल है. वहीं, शिक्षा सचिव मीनाक्षी सुंदरम भी इस मामले में जल्द निर्णय लेने की बात कह रहे हैं.
खास बात यह है कि नवोदय विद्यालय की स्थापना तो कर दी गई लेकिन यहां शिक्षकों की नियुक्ति के लिए कोई स्थाई व्यवस्था लागू नहीं की गई. यही कारण है कि नवोदय विद्यालय अब शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति पर ही निर्भर हो गए हैं.