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एम्स में ब्लैग फंगस के इलाज में बाधा बनी एम्फोटोरिसिन बी दवा की कमी - ब्लैग फंगस की दवा की कमी

ब्लैग फंगस के बढ़ते मामलों को देखते हुए ऋषिकेश एम्स ने पहले ही अपने यहां 100 बेड का वार्ड तैयार किया है, जिसमें से 10 बेड वेंटिलेटर के हैं. एम्स में फिलहाल ब्लैक फंगस के 70 मरीज भर्ती हैं. इन मरीजों के लिए विशेषज्ञ डॉक्टरों की दो टीम गठित की गई हैं, जो रोजाना 10 से 12 मरीजों की सर्जरी कर रही हैं.

Rishikesh AIIMS news
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Published : May 25, 2021, 3:33 PM IST

ऋषिकेश: उत्तराखंड में एक तरफ ब्लैग फंगस के मामले बढ़ रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर इसकी दवा एम्फोटोरिसिन बी (Amphotericin B) की कमी हो रही है. कमी किसी और ने नहीं बल्कि एम्स ऋषिकेश ने खुद बताई है. हालांकि एम्स ऋषिकेश (Rishikesh AIIMS) प्रशासन को उम्मीद है कि सरकार जल्द ही एम्फोटोरिसिन बी की कमी को दूर करेगी और उन्हें जल्द ही ये दवा उपलब्ध होगी.

ब्लैग फंगस के बढ़ते मामलों को देखते हुए ऋषिकेश एम्स ने पहले ही अपने यहां 100 बेड का वार्ड तैयार किया है, जिसमें से 10 बेड वेंटिलेटर के हैं. ऋषिकेश एम्स में फिलहाल ब्लैक फंगस के 70 मरीज भर्ती हैं. इन मरीजों के लिए विशेषज्ञ डॉक्टरों की दो टीम गठित की गई हैं, जो रोजाना 10 से 12 मरीजों की सर्जरी कर रही हैं.

पढ़ें- कोटद्वार में मिला ब्लैक फंगस का संदिग्ध मरीज, हायर सेंटर रेफर

ऋषिकेश एम्स प्रशासन के मुताबिक सर्जरी के लिए एक ऑपरेशन थिएटर (ओटी) पूरी तरह से निगेटिव पेशेंट के लिए 24 घंटे काम कर रहा है. ट्रामा सेंटर में दो ओटी पॉजिटिव मरीजों के लिए हर वक्त चालू हैं. ईएनटी सर्जन के अलावा न्यूरो और आंख के सर्जन की जरूरत पड़ती है, तो उन्हें तत्काल उपलब्ध होने के निर्देश दिए गए हैं.

मौजूदा वक्त में ब्लैक फंगस महामारी में इलाज के लिए सिर्फ 25 प्रतिशत दवा ही मिल रही है. लिहाजा संस्थान ने इस महामारी से निपटने के लिए राज्य सरकार से आग्रह किया है कि वह पर्याप्त दवा संस्थान को उपलब्ध कराए.

ऋषिकेश एम्स के डीन प्रोफेसर यूबी मिश्रा ने भरोसा जताया है कि प्रदेश सरकार जल्द ही उनकी जरूरत पूरी करेगी. उनका यह भी कहना है कि फिलहाल जितने मरीज संस्थान में आ रहे हैं, उतनी मेडिसिन उपलब्ध नहीं हैं.

ऋषिकेश: उत्तराखंड में एक तरफ ब्लैग फंगस के मामले बढ़ रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर इसकी दवा एम्फोटोरिसिन बी (Amphotericin B) की कमी हो रही है. कमी किसी और ने नहीं बल्कि एम्स ऋषिकेश ने खुद बताई है. हालांकि एम्स ऋषिकेश (Rishikesh AIIMS) प्रशासन को उम्मीद है कि सरकार जल्द ही एम्फोटोरिसिन बी की कमी को दूर करेगी और उन्हें जल्द ही ये दवा उपलब्ध होगी.

ब्लैग फंगस के बढ़ते मामलों को देखते हुए ऋषिकेश एम्स ने पहले ही अपने यहां 100 बेड का वार्ड तैयार किया है, जिसमें से 10 बेड वेंटिलेटर के हैं. ऋषिकेश एम्स में फिलहाल ब्लैक फंगस के 70 मरीज भर्ती हैं. इन मरीजों के लिए विशेषज्ञ डॉक्टरों की दो टीम गठित की गई हैं, जो रोजाना 10 से 12 मरीजों की सर्जरी कर रही हैं.

पढ़ें- कोटद्वार में मिला ब्लैक फंगस का संदिग्ध मरीज, हायर सेंटर रेफर

ऋषिकेश एम्स प्रशासन के मुताबिक सर्जरी के लिए एक ऑपरेशन थिएटर (ओटी) पूरी तरह से निगेटिव पेशेंट के लिए 24 घंटे काम कर रहा है. ट्रामा सेंटर में दो ओटी पॉजिटिव मरीजों के लिए हर वक्त चालू हैं. ईएनटी सर्जन के अलावा न्यूरो और आंख के सर्जन की जरूरत पड़ती है, तो उन्हें तत्काल उपलब्ध होने के निर्देश दिए गए हैं.

मौजूदा वक्त में ब्लैक फंगस महामारी में इलाज के लिए सिर्फ 25 प्रतिशत दवा ही मिल रही है. लिहाजा संस्थान ने इस महामारी से निपटने के लिए राज्य सरकार से आग्रह किया है कि वह पर्याप्त दवा संस्थान को उपलब्ध कराए.

ऋषिकेश एम्स के डीन प्रोफेसर यूबी मिश्रा ने भरोसा जताया है कि प्रदेश सरकार जल्द ही उनकी जरूरत पूरी करेगी. उनका यह भी कहना है कि फिलहाल जितने मरीज संस्थान में आ रहे हैं, उतनी मेडिसिन उपलब्ध नहीं हैं.

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