देहरादून: कोरोना ने कारोबार की दुनिया बदल दी है. कोरोनाकाल में कई लोगों का रोजगार प्रभावित होने से उनके आगे रोजी-रोटी का संकट गहरा गया है. कोरोना की वजह से कई लोगों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है, लेकिन कई लोग ऐसे भी जिन्होंने इस महामारी काल में हिम्मत नहीं हारी और अपने हुनर से अपनी काबिलियत का लोहा मनवा रहे हैं.
निशुल्क सिखा रहे कराटे
शौकीन लाल इन दिनों कई लोगों को कराटे के जरिए सुरक्षा के गुर सिखा रहे हैं. साउथ एशियन कराटे चैंपियनशिप में दो बार गोल्ड मेडलिस्ट रहे शौकीन लाल ने लॉकडाउन में जब उनका देहरादून स्थित ट्रेनिंग सेंटर बंद था, तब उन्होंने गांव में ही बालक-बालिकाओं को निशुल्क कराटे सिखाने का बीड़ा उठाया. आज वे कोविड की दुश्वारियों के बीच टिहरी गढ़वाल की धनोल्टी विधानसभा में पड़ने वाले डोमसी गांव के बच्चों को आत्मरक्षा के गुर सिखा रहें हैं.
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मेहनत लाई रंग
दरअसल साउथ एशियन कराटे चैंपियनशिप में दो बार गोल्ड मेडलिस्ट रहे शौकीन लाल देहरादून में अपना एक ट्रेनिंग सेंटर चलाते हैं, लेकिन कोविड कर्फ्यू में सेंटर बंद चल रहा है. शौकिन लाल गांव के अधिकतर युवाओं को वह सेल्फ डिफेंस सिखा रहे हैं. शौकिन लाल बताते हैं कि पहले बच्चों का इस ओर रूझान कम था, लेकिन धीरे-धीरे अब बढ़ रहा है.
हुनर को मिली पहचान
शौकीन लाल ने बताया कि उन्होंने गुजरात में 6 साल तक कराटे चैंपियन का प्रशिक्षण प्राप्त किया और वे ब्लैक बेल्ट होल्डर हैं. इसके अलावा उन्होंने साउथ एशियन कराटे चैंपियनशिप में दो बार प्रतिभाग किया है और गोल्ड मेडल प्राप्त किया. यही नहीं नेशनल बॉक्सिंग चैंपियनशिप में इस बार उन्होंने ब्राउन मेडल भी हासिल किया है. इसके अलावा उनका देहरादून में अपना एक ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट है और जहां वे अपनी प्रैक्टिस भी करते हैं. वहीं गांव के बालक-बालिकाओं ने भी शौकीन लाल के मुहिम का हिस्सा बनते हुए उनका आभार व्यक्त किया.