ETV Bharat / state

CM के विधानसभा क्षेत्र में स्कूल की हालत खस्ता, मौत के साए में पढ़ने को मजबूर हैं छात्र - डोईवाला प्राइमरी स्कूल

डोइवाला विधानसभा के शेरगढ़ माजरी के प्राइमरी स्कूल की बिल्डिंग काफी जर्जर हो चुकी है. अधिकारियों को स्कूल की स्थिति से कई बार अवगत कराया जा चुका है. बावजूद इसके बच्चे इसी भवन में पढ़ने को मजबूर हैं.

जर्जर हालत में शेरगढ़ माजरी प्राइमरी स्कूल.
author img

By

Published : Jul 26, 2019, 8:06 PM IST

डोइवाला: मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के विधानसभा क्षेत्र डोइवाला के शेरगढ़ माजरी प्राइमरी स्कूल की बिल्डिंग खस्ताहाल स्थिति में है. स्कूल की इस बिल्डिंग की दीवारों में दरारें पड़ गई हैं. जोकि अब खंडहर जैसी दिखने लगी है. ऐसे में बरसात के मौसम में ये भवन कभी भी बड़े हादसे को दावत दे सकता है. बावजूद इसके नौनिहाल खतरे के साए में पढ़ाई करने को मजबूर हैं.

डोइवाला विधानसभा के शेरगढ़ माजरी के प्राइमरी स्कूल की ये बिल्डिंग 1950 में बनी थी. लेकिन अब ये बिल्डिंग काफी जर्जर स्थिति में है. स्कूल की दीवारों में दरारें पड़ गई हैं और कहीं-कहीं पीपल के पेड़ भी उग गए हैं. ऐसे में बरसात के मौसम में ये भवन कभी भी गिर सकता है. बावजूद इसके बच्चे इसी भवन में पढ़ाई करने को मजबूर हैं.

शेरगढ़ माजरी प्राइमरी स्कूल.

पढ़ें: जरा याद करो कुर्बानी: कब तक सिर्फ किस्से और कहानियों में ही याद किये जाते रहेंगे शहीद?

स्कूल की प्रधानाचार्य दामिनी का कहना है कि स्कूल की बिल्डिंग बहुत पुरानी हो चुकी है. यहां एक ही छोटा सा कमरा है. जिसमें सभी बच्चों का बैठ पाना बहुत मुश्किल है. जिसके चलते हमारी कोशिश रहती है कि बच्चों को इस बिल्डिंग में न पढ़ाया जाए. प्रधानाचार्य ने कहा कि स्कूल की जर्जर हालत के बारे में अधिकारियों को कई बार अवगत कराया गया है. लेकिन सालों बीत जाने के बाद भी हालात वैसे के वैसे ही हैं.

वहीं, जब जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी राजेंद्र सिंह रावत से बिल्डिंग के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि अभी वित्तीय दिक्कत के कारण नई बिल्डिंग का काम नहीं हो पा रहा है. केंद्र सरकार से मिलने वाला पैसा भी अभी तक नहीं मिला है. पैसा स्वीकृत होने के बाद 22 स्कूलों की बिल्डिंग का कार्य कराया जाना है.

डोइवाला: मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के विधानसभा क्षेत्र डोइवाला के शेरगढ़ माजरी प्राइमरी स्कूल की बिल्डिंग खस्ताहाल स्थिति में है. स्कूल की इस बिल्डिंग की दीवारों में दरारें पड़ गई हैं. जोकि अब खंडहर जैसी दिखने लगी है. ऐसे में बरसात के मौसम में ये भवन कभी भी बड़े हादसे को दावत दे सकता है. बावजूद इसके नौनिहाल खतरे के साए में पढ़ाई करने को मजबूर हैं.

डोइवाला विधानसभा के शेरगढ़ माजरी के प्राइमरी स्कूल की ये बिल्डिंग 1950 में बनी थी. लेकिन अब ये बिल्डिंग काफी जर्जर स्थिति में है. स्कूल की दीवारों में दरारें पड़ गई हैं और कहीं-कहीं पीपल के पेड़ भी उग गए हैं. ऐसे में बरसात के मौसम में ये भवन कभी भी गिर सकता है. बावजूद इसके बच्चे इसी भवन में पढ़ाई करने को मजबूर हैं.

शेरगढ़ माजरी प्राइमरी स्कूल.

पढ़ें: जरा याद करो कुर्बानी: कब तक सिर्फ किस्से और कहानियों में ही याद किये जाते रहेंगे शहीद?

स्कूल की प्रधानाचार्य दामिनी का कहना है कि स्कूल की बिल्डिंग बहुत पुरानी हो चुकी है. यहां एक ही छोटा सा कमरा है. जिसमें सभी बच्चों का बैठ पाना बहुत मुश्किल है. जिसके चलते हमारी कोशिश रहती है कि बच्चों को इस बिल्डिंग में न पढ़ाया जाए. प्रधानाचार्य ने कहा कि स्कूल की जर्जर हालत के बारे में अधिकारियों को कई बार अवगत कराया गया है. लेकिन सालों बीत जाने के बाद भी हालात वैसे के वैसे ही हैं.

वहीं, जब जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी राजेंद्र सिंह रावत से बिल्डिंग के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि अभी वित्तीय दिक्कत के कारण नई बिल्डिंग का काम नहीं हो पा रहा है. केंद्र सरकार से मिलने वाला पैसा भी अभी तक नहीं मिला है. पैसा स्वीकृत होने के बाद 22 स्कूलों की बिल्डिंग का कार्य कराया जाना है.

Intro:summary डोईवाला विधानसभा की शेरगढ़ माजरी के खंडहर नुमा प्राइमरी स्कूल में जान जोखिम में डालकर शिक्षा ग्रहण कर रहे छोटे-छोटे नोनिहाल । मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की डोईवाला विधानसभा के शेरगढ़ माजरी के प्राइमरी स्कूल में खतरे के साए में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं छोटे-छोटे नोनिहाल स्कूल की खंडहर हो चुकी बिल्डिंग कभी भी धराशाई हो सकती है शिक्षकों और अभिभावकों द्वारा कई बार स्कूल की बिल्डिंग की खस्ता हालत के बारे में अधिकारियों को अवगत कराने के बाद भी अभी तक स्कूल के हाल जस के तस बने हैं और स्कूल बिल्डिंग की पूरी दीवारों पर दरारें पड़ चुकी हैं । शिक्षकों का कहना है कि बरसात में स्कूल की बिल्डिंग के गिरने का सबसे ज्यादा भय सताता रहता है । डोईवाला विधानसभा के शेरगढ़ स्थित प्राइमरी स्कूल का यह मामला है 1950 में बना यह स्कूल इस समय जर्जर हालत में हो चुका है उस स्कूल की दीवारों में पीपल के बड़े-बड़े पेड़ उग आए हैं और स्कूल बिल्डिंग की दीवार पर मोटी मोटी दरारें पड़ चुकी हैं और स्कूल बिल्डिंग की हालत अब गिरे और तब गिरे जैसी हो रखी है लेकिन जगह के अभाव में इसी स्कूल की बिल्डिंग के नीचे छोटे-छोटे नौनिहाल खतरे के साए में अपनी शिक्षा की नींव रख रहे हैं लेकिन शिक्षकों का कहना है कि स्कूल की बिल्डिंग की खस्ता हालत को देखकर उनका ध्यान पढ़ाने से ज्यादा स्कूल की बिल्डिंग की तरफ रहता है कहीं कोई घटना ना घर जाए ।


Body:स्कूल की प्रधानाचार्य दामिनी का कहना है कि स्कूल की बिल्डिंग बहुत पुरानी हो चुकी है और स्कूल बिल्डिंग की दीवार हैं मोटी मोटी दरारें पड चुकी हैं और दीवारों पर पीपल के पेड़ भी उग आए हैं लेकिन स्कूल की जर्जर हालात के चलते बरसात के सीजन में हमेशा खतरा बना रहता है लेकिन जगह ना होने की वजह से छोटे से कमरे में सभी बच्चे बैठ नहीं पाते हैं जिसके चलते हमारी कोशिश रहती है कि बच्चों को इस बिल्डिंग मैं ना पढ़ाया जाए लेकिन बच्चे इसी पुरानी खंडहर नुमा बिल्डिंग में खेलने और पढ़ने के लिए आ जाते हैं लेकिन हमेशा यही डर सताता रहता है कि कहीं बिल्डिंग का कोई हिस्सा बच्चों के ऊपर ना गिर जाए कई बार स्कूल की हालत के बारे में अधिकारियों को अवगत करा दिया गया है लेकिन वर्षों बीत जाने के बाद भी हालात वैसे के वैसे ही बने हैं


Conclusion:जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी राजेंद्र सिंह रावत को जब फोन पर स्कूल की बिल्डिंग के बारे में हमारे द्वारा अवगत कराया गया तो उनका कहना है कि अभी वित्तीय दिक्कत के चलते नई स्कूल बिल्डिंग का काम नहीं हो पा रहा है और केंद्र सरकार से मिलने वाला पैसा भी अभी तक नहीं मिल पाया है और पैसा स्वीकृत होने के बाद 22 स्कूलों की बिल्डिंग का कार्य कराया जाएगा और संभावना जताई जा रही है कि एक महीने के अंदर स्कूलों की बिल्डिंग का काम शुरू हो जाएगा । बाईट दामिनी स्कूल प्रधानाचार्य पीटीसी
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.