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कड़ाके की ठंड से बढ़ी चर्म रोग की समस्या, इन सावधानियों से आप कर सकते हैं बचाव

उत्तराखंड में कड़ाके की ठंड ने लोगों की मुसीबत बढ़ा दी है. ठंड की वजह से राजधानी देहरादून में रहने वाले लोगों को त्वचा संबंधी समस्याएं हो रही हैं.

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Published : Jan 7, 2020, 2:37 PM IST

dehradun
दून अस्पताल

देहरादून: दून मेडिकल कॉलेज में इन दिनों बड़ी संख्या में त्वचा संबंधित बीमारी से जुझ रहे मरीज पहुंच रहे हैं. कड़ाके की ठंड से लोगों को चर्म रोग की समस्याएं हो रही हैं. दून अस्पताल के चर्म विभाग में आने वाले मरीजों की संख्या में 20 प्रतिशत का इजाफा हुआ है.

दून अस्पताल के चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ. सादिक उमर ने बताया कि ठंड के मौसम में लोग गर्म कपड़े पहनते हैं. गर्म कपड़ों पर रेशे होते हैं. यदि शरीर पर कोल्ड क्रीम नहीं लगाई जाए तो कपड़ों के रेशे सूखी त्वचा को इरिटेट करके खुजली पैदा कर देते हैं. इससे मरीज की त्वचा लाल हो जाती है और एग्जिमा जैसी परिस्थितियां पैदा हो जाती है.

बढ़ी चर्म रोग की समस्या.

ये भी पढ़े: JNUSU अध्यक्ष आइशी सहित 20 के खिलाफ केस दर्ज, हिंसा में हुई थीं घायल

ठंड में कोल्ड क्रीम और बॉडी लोशन लगाना बेहद जरूरी है क्योंकि उम्र बढ़ने के साथ त्वचा अपनी नमी खोना शुरु कर देती है. सर्द मौसम में धूप में ज्यादा देर तक नहीं बैठना चाहिए, क्योंकि इससे एलर्जी की संभावना बढ़ जाती है और गर्दन, हाथ, चेहरे पर लाल छोटे दाने होने लगते हैं. जिस कारण खुजली होनी शुरू हो जाती है.

वहीं अस्पताल में आने वाले अधिकतर मरीजों के हाथ और पैर की उंगलियां में खुजली के साथ सूजन की समस्या देखी जा रही है. जो महिलाएं ठंड में काम करने के लिए ज्यादा पानी का इस्तेमाल करती हैं. उन्हें चिलब्लेंस होने का खतरा ज्यादा होता है. वहीं डॉक्टर ने ठंड को लेकर लोगों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह भी दी.

देहरादून: दून मेडिकल कॉलेज में इन दिनों बड़ी संख्या में त्वचा संबंधित बीमारी से जुझ रहे मरीज पहुंच रहे हैं. कड़ाके की ठंड से लोगों को चर्म रोग की समस्याएं हो रही हैं. दून अस्पताल के चर्म विभाग में आने वाले मरीजों की संख्या में 20 प्रतिशत का इजाफा हुआ है.

दून अस्पताल के चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ. सादिक उमर ने बताया कि ठंड के मौसम में लोग गर्म कपड़े पहनते हैं. गर्म कपड़ों पर रेशे होते हैं. यदि शरीर पर कोल्ड क्रीम नहीं लगाई जाए तो कपड़ों के रेशे सूखी त्वचा को इरिटेट करके खुजली पैदा कर देते हैं. इससे मरीज की त्वचा लाल हो जाती है और एग्जिमा जैसी परिस्थितियां पैदा हो जाती है.

बढ़ी चर्म रोग की समस्या.

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ठंड में कोल्ड क्रीम और बॉडी लोशन लगाना बेहद जरूरी है क्योंकि उम्र बढ़ने के साथ त्वचा अपनी नमी खोना शुरु कर देती है. सर्द मौसम में धूप में ज्यादा देर तक नहीं बैठना चाहिए, क्योंकि इससे एलर्जी की संभावना बढ़ जाती है और गर्दन, हाथ, चेहरे पर लाल छोटे दाने होने लगते हैं. जिस कारण खुजली होनी शुरू हो जाती है.

वहीं अस्पताल में आने वाले अधिकतर मरीजों के हाथ और पैर की उंगलियां में खुजली के साथ सूजन की समस्या देखी जा रही है. जो महिलाएं ठंड में काम करने के लिए ज्यादा पानी का इस्तेमाल करती हैं. उन्हें चिलब्लेंस होने का खतरा ज्यादा होता है. वहीं डॉक्टर ने ठंड को लेकर लोगों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह भी दी.

Intro:प्रदेश में बारिश ,बर्फबारी की वजह से ठंड अधिक बढ़ गई है, ऐसे में त्वचा के प्रति लापरवाही आपके लिए भारी पड़ सकती है। इस मौसम मे दून मेडिकल कॉलेज के चर्म विभाग में चिलब्लेंस, ड्राइनेस पॉलीमोरफिक लाइट इरपशन के मरीजों में 20 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है। इन बीमारियों से बचने के लिए दून अस्पताल के त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सादिक उमर ने कई अहम जानकारियां दी है।
summary- प्रदेश के मौसम में ठंडक बढ़ने के साथ ही दून अस्पताल में त्वचा से संबंधित मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है, दून अस्पताल के विशेषज्ञ चिकित्सकों ने इस मौसम में त्वचा की बीमारियों से बचने के लिए विशेष सावधानियां बरतने की सलाह दी है


Body:दून अस्पताल के त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉक्टर से सादिक उमर के मुताबिक ठंडे मौसम में लोग गर्म कपड़े पहनना शुरू कर देते हैं ऐसे में गर्म कपड़ों पर रेशे होते हैं यदि शरीर में मोर चराइजर्ड नहीं लगाएंगे तो रेशे सूखी त्वचा को इरिटेट करके खुजली पैदा कर देते हैं। इससे मरीज की त्वचा लाल हो जाती है और एग्जिमा जैसी परिस्थितियां पैदा हो जाती है। डॉक्टर के पास ना जाना पड़े इसके लिए ठंड में मास्टर आइजल लगाना बेहद जरूरी है क्योंकि उम्र बढ़ने के साथ ही त्वचा अपनी नमी खोना शुरु कर देती है। सर्द मौसम में धूप का आनंद काम लेना चाहिए क्योंकि इससे एलर्जी के चांसेस बढ़ जाते हैं और ज्यादा देर तक धूप में बैठने से गर्दन, हाथ चेहरे पर लाल छोटे दाने होने लगते हैं जिस कारण खुजली होनी शुरू हो जाती है।
वहीं उन्होंने चिलब्लेन के मरीजों की संख्या बढ़ने की वजह बताते हुए कहा कि सर्द मौसम में इलाज कराने पहुंचे मरीजों के हाथ और पैर विशेष रूप से पैरों की उंगलियां मे लाल निशान या खुजली के साथ सूजन आने के लक्षण मिल रहे हैं। चिलब्लेन ठंड में तापमान के बदलाव की वजह से होता है। जो महिलाएं बाथरूम में काफी देर तक पानी से कपड़े धोती हैं, ऐसी महिलाओं में ज्यादातर चिलब्लेन के केसेज़ सामने आ रहे हैं। इस बीमारी में खासकर महिलाओं को विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता है यह एक कनेक्टिव टिशूज डिजीज है हालांकि इलाज करके इससे बचा जा सकता है।
बाईट- डॉक्टर सादिक उमर, चर्म रोग विशेषज्ञ, दून मेडिकल कॉलेज


Conclusion:वही चिलब्लेन से बचने के उपाय बताते हुए डॉक्टर शादी कुमार ने कहा कि हमेशा बाहर निकलते समय हाथों में दस्ताने और पैरों में जोर आप जरूर पहने जहां तक संभव हो ऊनी और सूती वस्त्र पहने, विशेषकर महिलाएं ठंडे पानी से बचें यदि बाथरूम में कपड़े धो रही हैं तो बरसाती शूज़ का उपयोग करें। इसके अलावा त्वचा को ड्राइनेस से बचाने के लिए सवेरे दिन-रात मॉइश्चराइजर क्रीम को अपने शरीर में जरूर लगाएं।
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