देहरादून: उत्तराखंड में मतगणना से पहले बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय की मौजूदगी ने राजनीतिक गलियारों में बहस पैदा कर दी है. कांग्रेस उनकी मौजूदगी से असहज महसूस कर रही है और कांग्रेस नेता एक के बाद एक जुबानी हमले कर रहे हैं. वहीं यूकेडी के वरिष्ठ नेता त्रिवेंद्र पंवार ने कहा कि कैलाश विजयवर्गीय खरीद-फरोख्त के लिए उत्तराखंड आ चुके हैं, उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के लोग बिकने वाले नहीं हैं. त्रिवेंद्र पंवार ने परिसीमन पर राय रखते हुए यह बात कही.
उत्तराखंड में कैलाश विजयवर्गीय की मौजूदगी से कांग्रेस जहां डरी-सहमी लग रही है, वहीं कांग्रेस इसे मुद्दा बनाकर बीजेपी पर निशाना साध रही है. कैलाश विजयवर्गीय जोड़तोड़ के माहिर माने जाते हैं. बीजेपी नेता विजयवर्गीय कई राज्यों में सक्रिय दिखाई दिए हैं. बीजेपी कई प्रदेशों राजनीतिक जोड़तोड़ के लिए उनका प्रयोग कर चुकी है.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व सीएम हरीश रावत ने भी कैलाश विजयवर्गीय के उत्तराखंड आने पर बिना नाम लिए कहा कि बंगाल में भी इन्होंने इसी तरीके की खरीद-फरोख्त की और पिटे भी. बिहार में भी इसी तरीके की खरीद-फरोख्त की कोशिश की और पिटे भी. इस काम में इनका हौसला इतना बढ़ा है कि 2016 में उत्तराखंड में की गई खरीद-फरोख्त के बाद अब फिर से ये पुराने शातिर खिलाड़ी उत्तराखंड पहुंच चुके हैं. ''मैं कहना चाहता हूं कि उत्तराखंड के लोकतंत्र पहरुओ सावधान, कांग्रेस तो सावधान है ही है''.
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वहीं राज्य गठन में अहम रोल अदा करने वाली यूकेडी ने भी मतगणना से पहले कैलाश विजयवर्गीय की उत्तराखंड में मौजूदगी पर सवाल उठाए हैं. यूकेडी के वरिष्ठ नेता त्रिवेंद्र पंवार ने कहा कि कैलाश विजयवर्गीय खरीद-फरोख्त के लिए उत्तराखंड आ चुके हैं. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के लोग बिकने वाले नहीं है.
बताते चलें कि उत्तराखंड का एक मात्र क्षेत्रीय दल उत्तराखंड क्रांति दल है. उत्तराखंड के निर्माण से लेकर राज्य के हर मुद्दों को उठाने में उत्तराखंड क्रांति दल की अहम भूमिका रही है. उत्तराखंड क्रांति दल (यूकेडी), ने उत्तर प्रदेश से अलग पहाड़ी राज्य के गठन के लिए संघर्ष की शुरुआत की और नेतृत्व किया. वह इस साल के विधानसभा चुनावों में अपने राजनीतिक भाग्य पलटने की उम्मीद कर रहा है. यूकेडी का गठन जुलाई 1979 में मसूरी में हुआ था. सन् 2000 में उत्तराखंड को उत्तर प्रदेश से अलग करने में इसने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.