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उत्तराखंड को मॉडल प्रदेश बनाने को लेकर गोष्ठी का आयोजन, विभिन्न मुद्दों पर हुई चर्चा - migration issue in uttarakhand

उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में 8 मंत्रियों के साथ नई सरकार का गठन हो चुका है. इस सरकार के सामने आम जनता के सपनों को साकार करने और उत्तराखंड को एक मॉडल प्रदेश के रूप में विकसित करने के लिए कई चुनौतियां हैं. इन तमाम मुद्दों पर चर्चा के लिए देहरादून के एक निजी होटल में गोष्ठी का आयोजन किया गया.

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देहरादून
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Published : Mar 29, 2022, 10:42 AM IST

देहरादून: प्रदेश में नई सरकार के गठन के बाद पीएचडी चेंबर्स ऑफ कॉमर्स और एसडीसी फाउंडेशन की ओर से उत्तराखंड@25 नाम से एक निजी होटल में गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमे विशेषज्ञों ने बताया कि आज उत्तराखंड के 50 फीसदी ग्रेजुएट युवाओं के पास रोजगार नहीं है. तो पर्वतीय क्षेत्रों में रोजगार के लिए पलायन करने वाले 64 फीसदी लोग पूरे परिवार के साथ पलायन करते हैं इसलिए जो महिलाएं पहाड़ में विकास की धुरी होती है, वह पहाड़ के विकास की चेन से बाहर हो जाती हैं. जिसमें विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े विशेषज्ञों ने मॉडल उत्तराखंड बनाने को लेकर अपनी राय रखी.

गोष्ठी में शिक्षाविद् व डीआईटी यूनिवर्सिटी के चांसलर एन रविशंकर ने बताया कि प्रदेश के 250 उत्कृष्ट श्रेणी के स्कूल पूरे शिक्षा जगत में परिवर्तन ला सकते हैं . प्रदेश में 189 स्कूलों को अटल आर्दश विद्यालय के रूप में विकसित किया जा रहा है. प्रदेश में 13 जवाहर नवोदय और 13 राजीव गांधी नवोदय विद्यालय हैं. इनमें कुछ अन्य सरकारी विद्यालय शामिल कर क्वालिटी एजुकेशन देकर सरकार अच्छा सन्देश दे सकती है. तो वहीं, आईटीआई और पॉलिटेक्निक मात्र सर्टिफिकेट ही नहीं बल्कि उद्योगों की मदद से छात्रों का कौशल विकास करना चाहिए.

इसके साथ ही उत्तराखंड पब्लिक सर्विस कमीशन के चेयरमैन डॉ. राकेश कुमार ने कहा कि बढ़ते शहरीकरण के साथ ग्रामीण क्षेत्रों के स्वास्थ्य सेक्टर में सुधार की आवश्यकता है. साथ ही संक्रमित बीमारियों को लेकर हम अलर्ट मोड पर रहते हैं लेकिन कैंसर, डायबिटीज, हाइपर टेंशन, कार्डिक अटैक जैसी बीमारियों से निपटने के लिए वर्तमान में व्यापक नीतियों की आवश्यकता है. साथ ही युवाओं को तंबाकू और अल्कोहल से दूर रखने के लिए अथक प्रयास की आवश्यकता है.

उत्तराखंड के सतत विकास पर विचार रखते हुए दून यूनिवर्सिटी के इकोनॉमिक्स डिपार्टमेंट के हेड डॉ. आरपी ममंगाई ने कहा कि राज्य के सभी 95 ब्लॉक मुख्यालयों में हर प्रकार की सुविधा उपलब्ध होनी चाहिए, जिसमें शिक्षा के साथ पब्लिक हेल्थ, सरकारी आवास, एग्री बिजनेस सहित आईटी सर्विस आदि शामिल हों. कम से कम 500 लोगों को रोजगार मिलेगा, तो ब्लॉक स्तर पर लोकल उत्पादन को भी बढ़ावा मिलेगा, जिससे पहाड़ केंद्रित विकास की चेन भी गांव तक पहुंच पाएगी.
पढ़ें- मंत्रियों को मिले अफसरों की CR लिखने का मौका: सतपाल महाराज

पीएचडी चेम्बर ऑफ कॉमर्स उत्तराखंड चैप्टर के चेयरमैन हेमंत कोचर ने कहा कि प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए टूरिज्म बेस्ड ट्रांसपोर्ट की सुविधा उपलब्ध हो, पर्यटन सेक्टर में लेबर पॉलिसी में बदलाव हो, इंडस्ट्रियल एरिया विकसित करने के साथ ही वहां पर ट्रांसपोर्ट सहित अन्य मूलभूत सुविधाओं को बढ़ाकर आईटीआई और पॉलीटैक्निक के युवाओं को अच्छे उद्योग से जोड़ा जाए.

एलबीएस अकादमी के पूर्व निदेशक संजीव चोपड़ा ने कहा कि हमें दूर-दराज क्षेत्रों से विकास की शुरुआत करनी चाहिए, तब उस विकास को लेकर बड़े शहरों और राजधानी की और बढ़ना चाहिए. शहरों में आवास संबंधी समस्याओं के लिए विशेष नीति के तहत कार्य होना चाहिए. गोष्ठी का संचालन एसडीसी फाउंडेशन के अनूप नौटियाल ने किया.

देहरादून: प्रदेश में नई सरकार के गठन के बाद पीएचडी चेंबर्स ऑफ कॉमर्स और एसडीसी फाउंडेशन की ओर से उत्तराखंड@25 नाम से एक निजी होटल में गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमे विशेषज्ञों ने बताया कि आज उत्तराखंड के 50 फीसदी ग्रेजुएट युवाओं के पास रोजगार नहीं है. तो पर्वतीय क्षेत्रों में रोजगार के लिए पलायन करने वाले 64 फीसदी लोग पूरे परिवार के साथ पलायन करते हैं इसलिए जो महिलाएं पहाड़ में विकास की धुरी होती है, वह पहाड़ के विकास की चेन से बाहर हो जाती हैं. जिसमें विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े विशेषज्ञों ने मॉडल उत्तराखंड बनाने को लेकर अपनी राय रखी.

गोष्ठी में शिक्षाविद् व डीआईटी यूनिवर्सिटी के चांसलर एन रविशंकर ने बताया कि प्रदेश के 250 उत्कृष्ट श्रेणी के स्कूल पूरे शिक्षा जगत में परिवर्तन ला सकते हैं . प्रदेश में 189 स्कूलों को अटल आर्दश विद्यालय के रूप में विकसित किया जा रहा है. प्रदेश में 13 जवाहर नवोदय और 13 राजीव गांधी नवोदय विद्यालय हैं. इनमें कुछ अन्य सरकारी विद्यालय शामिल कर क्वालिटी एजुकेशन देकर सरकार अच्छा सन्देश दे सकती है. तो वहीं, आईटीआई और पॉलिटेक्निक मात्र सर्टिफिकेट ही नहीं बल्कि उद्योगों की मदद से छात्रों का कौशल विकास करना चाहिए.

इसके साथ ही उत्तराखंड पब्लिक सर्विस कमीशन के चेयरमैन डॉ. राकेश कुमार ने कहा कि बढ़ते शहरीकरण के साथ ग्रामीण क्षेत्रों के स्वास्थ्य सेक्टर में सुधार की आवश्यकता है. साथ ही संक्रमित बीमारियों को लेकर हम अलर्ट मोड पर रहते हैं लेकिन कैंसर, डायबिटीज, हाइपर टेंशन, कार्डिक अटैक जैसी बीमारियों से निपटने के लिए वर्तमान में व्यापक नीतियों की आवश्यकता है. साथ ही युवाओं को तंबाकू और अल्कोहल से दूर रखने के लिए अथक प्रयास की आवश्यकता है.

उत्तराखंड के सतत विकास पर विचार रखते हुए दून यूनिवर्सिटी के इकोनॉमिक्स डिपार्टमेंट के हेड डॉ. आरपी ममंगाई ने कहा कि राज्य के सभी 95 ब्लॉक मुख्यालयों में हर प्रकार की सुविधा उपलब्ध होनी चाहिए, जिसमें शिक्षा के साथ पब्लिक हेल्थ, सरकारी आवास, एग्री बिजनेस सहित आईटी सर्विस आदि शामिल हों. कम से कम 500 लोगों को रोजगार मिलेगा, तो ब्लॉक स्तर पर लोकल उत्पादन को भी बढ़ावा मिलेगा, जिससे पहाड़ केंद्रित विकास की चेन भी गांव तक पहुंच पाएगी.
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पीएचडी चेम्बर ऑफ कॉमर्स उत्तराखंड चैप्टर के चेयरमैन हेमंत कोचर ने कहा कि प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए टूरिज्म बेस्ड ट्रांसपोर्ट की सुविधा उपलब्ध हो, पर्यटन सेक्टर में लेबर पॉलिसी में बदलाव हो, इंडस्ट्रियल एरिया विकसित करने के साथ ही वहां पर ट्रांसपोर्ट सहित अन्य मूलभूत सुविधाओं को बढ़ाकर आईटीआई और पॉलीटैक्निक के युवाओं को अच्छे उद्योग से जोड़ा जाए.

एलबीएस अकादमी के पूर्व निदेशक संजीव चोपड़ा ने कहा कि हमें दूर-दराज क्षेत्रों से विकास की शुरुआत करनी चाहिए, तब उस विकास को लेकर बड़े शहरों और राजधानी की और बढ़ना चाहिए. शहरों में आवास संबंधी समस्याओं के लिए विशेष नीति के तहत कार्य होना चाहिए. गोष्ठी का संचालन एसडीसी फाउंडेशन के अनूप नौटियाल ने किया.

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