देहरादून: बदरीनाथ में जिस बदरुद्दीन का नाम लेकर सांप्रदायिक एकता की मिसाल दी जाती थी. वही नाम अब सांप्रदायिक मतभेद की वजह बनता जा रहा है. बदरुद्दीन को बदरीनाथ की आरती के रचयिता के तौर पर माना जाता रहा है. लेकिन अब इस रचना में ठाकुर धन सिंह का नाम जुड़ने के बाद मामला सांप्रदायिक रंग लेने लगा है. बदरुद्दीन के पोते अयाजुद्दीन ने सरकार को सवालों के घेरे में खड़ा किया है.
बदरीनाथ आरती के असली रचनाकार का मामला अब विवादों की तरफ बढ़ रहा है. एक तरफ ठाकुर धन सिंह की पांडुलिपि के जरिए उन्हें आरती का असली रचयिता बताया जा रहा है. वहीं बदरुद्दीन के पोते ने भी अपने दादा को ही आरती का असली रचनाकार बताया है. खास बात यह है कि बदरुद्दीन के पोते अयाजुद्दीन ने मामले पर भाजपा सरकार को घेरने की कोशिश की है.
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अयाजुद्दीन ने आशंका जताते हुए कहा कि शायद नई सरकार की यह सोच है कि एक मुस्लिम को क्यों ये श्रेय दिया जाए और क्यों ना अपने व्यक्ति को आगे बढ़ाया जाए. अयाजुद्दीन की इस आशंका से बदरीनाथ की आरती विवादों में फंसकर सांप्रदायिक रंग लेने लगी है.
बता दें कि बदरीनाथ की आरती को लेकर बदरुद्दीन के नाम का दावा काफी लंबे समय से किया जाता रहा है. बताया गया है कि बदरुद्दीन बदरीनाथ पर आस्था रखने वाले एक मुस्लिम शख्स थे, जो बदरीनाथ की सेवा में हमेशा खड़े दिखाई देते थे. कहा जाता है कि बदरुद्दीन ने नंदप्रयाग में 10 बाई 10 की जमीन बदरीनाथ के अधीन आने वाले गोपाल मंदिर को दान दी थी. जिससे वहां पर बदरीनाथ के लिए केसर और फूल उगाए जा सकें.
बदरुद्दीन के पोते अयाजुद्दीन सिद्दकी बताते हैं कि बदरुद्दीन बदरीनाथ को लेकर इस कदर आस्थावान थे कि उन्होंने यहां आने वाले यात्रियों के लिए एक भवन भी बनवाया था. ताकि यात्री दर्शन करने के दौरान उस भवन में विश्राम कर सकें. वे कहते हैं कि उनके दादा के पिता का नाम मनु था और इस परिवार का नाता ब्राह्मण समाज से था. अयाजुद्दीन ने बताया कि उस समय गोपाल मंदिर के महंत भगवत दास बदरुद्दीन के धर्म भाई हुआ करते थे और उनका इस मंदिर से भी गहरा लगाव था.
बदरीनाथ की आरती को लेकर विवाद भले ही जांच का विषय हो, लेकिन बदरुद्दीन के पोते के दावे पर विश्वास किया जाए तो उनके दादा का बदरीनाथ से बेहद लगाव था. हालांकि यह बात भी सच है कि बदरीनाथ की आरती की रचना को लेकर बिना सटीक जांच के किसी भी नतीजे पर पहुंचना जल्दबाजी होगा. ऐसे में सांप्रदायिक रंग ले रहे इस विवाद को जल्द से जल्द निपटाने के लिए सरकार को शीर्घ कदम उठाना चाहिए.