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बदरीनाथ के घृत कंबल से साफ होती है भारत के राज्यों की स्थिति, जानें कई और रोचक जानकारियां

बदरीनाथ के कपाट बंद होते समय घृत कंबल लपेटने की परंपरा है. ग्रीष्म काल में जब बदरीनाथ धाम के कपाट खोले जाते हैं तब घृत कंबल को निकाला जाता है.

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बदरीनाथ के घृत कंबल का क्या है राज
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Published : Apr 23, 2020, 4:41 PM IST

Updated : May 14, 2020, 10:44 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में चारधाम के कपाट खुलने की तिथि फाइनल हो गई है. 26 अप्रैल को गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुलेंगे. इसके साथ ही 29 अप्रैल को बाबा केदारनाथ के तो 15 मई को बदरीनाथ धाम के कपाट खोले जाएंगे. चारधाम के कपाट खुलने के दौरान परंपरागत विधि-विधान से पूजा की जाती है. यहां के पूजन और रश्मों की अलग-अलग मान्यताएं हैं. इन्हीं में से भगवान बदरी विशाल से जुड़ा एक ऐसा रहस्य भी है जो बहुत कम लोग ही जानते हैं.

बदरी विशाल की पूजा की शुरुआत घृत कंबल से की जाती है जो भारत के सभी राज्यों की भविष्यवाणी करती है. आखिर क्या है घृत कंबल का राज? कैसे बताती है ये देश के सभी राज्यों का भविष्य? देखिए ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट.

बदरीनाथ के घृत कंबल का क्या है राज

बदरीनाथ देश के चारों धामों में से सर्वश्रेष्ठ धाम है. भगवान विष्णु का ये धाम जितना विशेष है, उतनी ही विशेष हैं इस धाम से जुड़ी मान्यताएं. बदरीनाथ धाम की परंपराएं अन्य धामों और मंदिरों से भिन्न हैं. यही नहीं बदरीनाथ धाम की पूजा पद्धती भी बेहद खास है. इन्हीं परंपराओं में से एक अनोखी परंपरा भगवान बदरीनाथ पर घृत कंबल लपेटने की है. ग्रीष्म काल में जब बदरीनाथ धाम के कपाट खोले जाते हैं तब घृत कंबल को निकाला जाता है.

पढ़ें- लॉकडाउन में उत्तराखंड पुलिस का 'ऑपेरेशन राहत' मिटा रहा जरूरतमंदों की भूख, 'WAR' रूम पहुंचा ईटीवी भारत

क्या है घृत कंबल

मान्यताओं के अनुसार घृत कंबल, एक वस्त्र है जो भगवान बदरीनाथ पर लपेटा जाता है. यह कोई आम कंबल नहीं होता है. इस कंबल को मांणा गांव की कन्याएं और सुहागिन मिलकर तैयार करती हैं. यही नहीं कंबल बनाने की प्रक्रिया भी बेहद खास है. घृत कंबल बनाने के लिए कार्तिक माह में एक शुभ दिन चुना जाता है. उस दिन कन्याएं और सुहागिन, ऊन से सिर्फ एक दिन के भीतर ही कंबल को तैयार करती हैं. जिस दिन कंबल बनाना होता है उस दिन महिलाएं और कन्याएं उपवास रखती हैं.

पढ़ें- उत्तराखंड: पीएम मोदी ने अपने इस दोस्त को किया फोन, पूछा हालचाल

भगवान बदरीनाथ को घृत कंबल ओढ़ाने की परंपरा

भगवान बदरीनाथ को घृत कंबल से लपेटने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. इसके पीछे की वजह शीतकाल में पड़ने वाली ठंड है. भगवान बदरी विशाल को ठंड से बचाने के लिए कंबल ओढ़ाया जाता है. इससे पहले कंबल पर गाय का घी और केसर का लेप लगाया जाता है. जिसके बाद उसे भगवान बदरीनाथ को ओढ़ाया जाता है.

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घृत कंबल का भविष्यवाणी का राज

भगवान बदरी विशाल के कपाट खोले जाने के समय जब घृत कंबल उतारा जाता है तब उस कंबल पर भारत के नक्शे जैसी आकृति नजर आती है. उस आकृति का आचार्य और विशेषज्ञों द्वारा अध्ययन किया जाता है. मान्यता है कि कंबल पर जो भारत की आकृति बनती है, उस हिसाब से ही राज्यों का भविष्य तय किया जाता है. इस प्रक्रिया में भारत की आकृति पर जिस जगह घी सूख जाता है या फिर खत्म हो जाता है, उस जगह को चिन्हित कर विशेषज्ञ, उस राज्य की आर्थिकी या फिर वहां की स्थिति को लेकर भविष्यवाणी करते हैं.

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गर्भ गृह में हमेशा जलती रहती है अखंड ज्योति

भगवान बदरी विशाल के बारे में बात करते हुए पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि बदरीनाथ धाम में अखंड ज्योति हमेशा जलती रहती है. शीतकाल के बाद ग्रीष्म काल में जब बदरीनाथ धाम के कपाट खोले जाते हैं तब अखंड ज्योति की लौ और भी तेज हो जाती है. बदरीनाथ धाम में कपाट खुलते ही प्रज्जवलित अखण्ड ज्योति के दर्शन का विशेष महत्व है. श्रद्धालु इस अखण्ड ज्योति को भगवत कृपा और आशीर्वाद मानते हैं, क्योंकि मान्यता है कि कपाट बंद होने के बाद भगवान ब्रदरीनाथ योग मुद्रा में जाते हैं और देवताओं द्वारा उनकी पूजा की जाती है.

देहरादून: उत्तराखंड में चारधाम के कपाट खुलने की तिथि फाइनल हो गई है. 26 अप्रैल को गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुलेंगे. इसके साथ ही 29 अप्रैल को बाबा केदारनाथ के तो 15 मई को बदरीनाथ धाम के कपाट खोले जाएंगे. चारधाम के कपाट खुलने के दौरान परंपरागत विधि-विधान से पूजा की जाती है. यहां के पूजन और रश्मों की अलग-अलग मान्यताएं हैं. इन्हीं में से भगवान बदरी विशाल से जुड़ा एक ऐसा रहस्य भी है जो बहुत कम लोग ही जानते हैं.

बदरी विशाल की पूजा की शुरुआत घृत कंबल से की जाती है जो भारत के सभी राज्यों की भविष्यवाणी करती है. आखिर क्या है घृत कंबल का राज? कैसे बताती है ये देश के सभी राज्यों का भविष्य? देखिए ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट.

बदरीनाथ के घृत कंबल का क्या है राज

बदरीनाथ देश के चारों धामों में से सर्वश्रेष्ठ धाम है. भगवान विष्णु का ये धाम जितना विशेष है, उतनी ही विशेष हैं इस धाम से जुड़ी मान्यताएं. बदरीनाथ धाम की परंपराएं अन्य धामों और मंदिरों से भिन्न हैं. यही नहीं बदरीनाथ धाम की पूजा पद्धती भी बेहद खास है. इन्हीं परंपराओं में से एक अनोखी परंपरा भगवान बदरीनाथ पर घृत कंबल लपेटने की है. ग्रीष्म काल में जब बदरीनाथ धाम के कपाट खोले जाते हैं तब घृत कंबल को निकाला जाता है.

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क्या है घृत कंबल

मान्यताओं के अनुसार घृत कंबल, एक वस्त्र है जो भगवान बदरीनाथ पर लपेटा जाता है. यह कोई आम कंबल नहीं होता है. इस कंबल को मांणा गांव की कन्याएं और सुहागिन मिलकर तैयार करती हैं. यही नहीं कंबल बनाने की प्रक्रिया भी बेहद खास है. घृत कंबल बनाने के लिए कार्तिक माह में एक शुभ दिन चुना जाता है. उस दिन कन्याएं और सुहागिन, ऊन से सिर्फ एक दिन के भीतर ही कंबल को तैयार करती हैं. जिस दिन कंबल बनाना होता है उस दिन महिलाएं और कन्याएं उपवास रखती हैं.

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भगवान बदरीनाथ को घृत कंबल ओढ़ाने की परंपरा

भगवान बदरीनाथ को घृत कंबल से लपेटने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. इसके पीछे की वजह शीतकाल में पड़ने वाली ठंड है. भगवान बदरी विशाल को ठंड से बचाने के लिए कंबल ओढ़ाया जाता है. इससे पहले कंबल पर गाय का घी और केसर का लेप लगाया जाता है. जिसके बाद उसे भगवान बदरीनाथ को ओढ़ाया जाता है.

पढ़ें- लॉकडाउन में उत्तराखंड पुलिस का 'ऑपेरेशन राहत' मिटा रहा जरूरतमंदों की भूख, 'WAR' रूम पहुंचा ईटीवी भारत

घृत कंबल का भविष्यवाणी का राज

भगवान बदरी विशाल के कपाट खोले जाने के समय जब घृत कंबल उतारा जाता है तब उस कंबल पर भारत के नक्शे जैसी आकृति नजर आती है. उस आकृति का आचार्य और विशेषज्ञों द्वारा अध्ययन किया जाता है. मान्यता है कि कंबल पर जो भारत की आकृति बनती है, उस हिसाब से ही राज्यों का भविष्य तय किया जाता है. इस प्रक्रिया में भारत की आकृति पर जिस जगह घी सूख जाता है या फिर खत्म हो जाता है, उस जगह को चिन्हित कर विशेषज्ञ, उस राज्य की आर्थिकी या फिर वहां की स्थिति को लेकर भविष्यवाणी करते हैं.

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गर्भ गृह में हमेशा जलती रहती है अखंड ज्योति

भगवान बदरी विशाल के बारे में बात करते हुए पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि बदरीनाथ धाम में अखंड ज्योति हमेशा जलती रहती है. शीतकाल के बाद ग्रीष्म काल में जब बदरीनाथ धाम के कपाट खोले जाते हैं तब अखंड ज्योति की लौ और भी तेज हो जाती है. बदरीनाथ धाम में कपाट खुलते ही प्रज्जवलित अखण्ड ज्योति के दर्शन का विशेष महत्व है. श्रद्धालु इस अखण्ड ज्योति को भगवत कृपा और आशीर्वाद मानते हैं, क्योंकि मान्यता है कि कपाट बंद होने के बाद भगवान ब्रदरीनाथ योग मुद्रा में जाते हैं और देवताओं द्वारा उनकी पूजा की जाती है.

Last Updated : May 14, 2020, 10:44 PM IST
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