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आपदाओं से निपटने के लिए 24 जगहों पर मॉक ड्रिल, SDRF जवानों ने 2 मिनट में कार्रवाई को दिया अंजाम

उत्तराखंड में पहली बार राज्य के 24 स्थानों पर एक साथ मॉक ड्रिल किया गया. जिसमें दो मिनट के रिस्पांस टाइम में एसडीआरएफ जवानों ने बखूबी अपने कार्रवाई को अंजाम दिया. इस मॉक ड्रिल का उद्देश्य SDRF की कार्य क्षमता को बढ़ाना और उसमें आने वाली कमियों में सुधार करने के साथ ही तय समय में घटनास्थल पर पहुंचकर रेस्क्यू करना था.

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एसडीआरएफ मॉक ड्रिल
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Published : Jan 23, 2020, 9:30 PM IST

Updated : Jan 23, 2020, 11:36 PM IST

देहरादूनः उत्तराखंड राज्य आपदा की दृष्टि से बेहद संवेदनशील राज्य माना जाता है. इसी कड़ी में प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए एसडीआरएफ जवान कितने मुस्तैद हैं, इसकी दक्षता को जानने के लिए राज्यभर के 24 स्थानों पर मॉक ड्रिल किया गया. इस दौरान ढाई सौ से ज्यादा एसडीआरएफ जवानों को 2 मिनट का रिस्पांस टाइम दिया गया. जिसमें जवानों ने निर्धारित समय के भीतर बखूबी अपनी कार्रवाई को अंजाम दिया. हालांकि, सर्चिंग में कुछ खामियां सामने आई. जिस पर उन्हें सुधार करने के निर्देश दिए गए.

उत्तराखंड में सड़क दुर्घटनाएं, भूकंप, भूस्खलन और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए एसडीआरएफ जवान मुस्तैद रहते हैं. इसी कड़ी में गुरुवार को मॉक ड्रिल किया गया. सबसे पहले जॉलीग्रांट स्थित एसडीआरएफ कंट्रोल रूम से भूकंप, भूस्खलन, सड़क, दुर्घटना बाढ़ जैसी घटनाओं के लिए 24 स्थानों पर तैनात एसडीआरएफ टीम को दो मिनट में अपने गंतव्य पर पहुंचने का आदेश पारित हुआ.

एसडीआरएफ मॉक ड्रिल.

ये भी पढ़ेंः जिम कार्बेट पार्क में बनेगा पीएम मोदी ट्रैल, पर्यटकों को मिलेगी रोचक जानकारी

कंट्रोल रूम से सूचना मिलने के बाद प्रदेश के अलग-अलग स्थानों पर तैनात आपदा प्रतिवेदन बल की टीमें अपने-अपने उपकरणों और संसाधनों से रेस्क्यू अभियान के लिए घटनास्थल पर पहुंचे. जहां से उन्होंने अलग-अलग रेस्क्यू कर राहत कार्य को अंजाम दिया और अपनी दक्षता का प्रदर्शन किया.

इस दौरान मोबाइल में भूकंप के दौरान इंचार्ज मार्किंग, लाइन सर्च, हेलिंग सर्चिंग और सड़क दुर्घटनाओं में ड्रिल कटिंग उपकरणों के साथ कार्रवाई को अंजाम दिया गया. इसके अलावा कई दुर्गम पहाड़ी रेस्क्यू में बुलेट चेंज शा, रेम सेठ, पावर एसेंडर का इस्तेमाल किया गया. वहीं, सर्चिंग के लिए एसडीआरएफ टीमों ने स्वानों (डॉग) को शामिल किया.

इन स्थानों पर किया गया मॉक ड्रिल-

  1. अल्मोड़ा- सीरियापानी
  2. पिथौरागढ़- अस्कोट
  3. नैनीताल- खैरना
  4. नैनीताल- (फ्लड टीम)
  5. उधम सिंह नगर- रुद्रपुर
  6. टिहरी- ढालवाला
  7. उत्तरकाशी- उजेली, भटवाड़ी, बड़कोट
  8. चमोली- गोचर, जोशीमठ
  9. रुद्रप्रयाग- रतूडा, सोनप्रयाग
  10. पौड़ी- कोटद्वार, सतपुली, श्रीनगर
  11. बागेश्वर- कपकोट
  12. देहरादून- जॉलीग्रांट, चकराता और सहस्त्रधारा

वहीं, एसडीआरएफ कमांडेंट तृप्ति भट्ट ने बताया कि पहली बार राज्यभर में की गई इस टेस्ट का रिस्पांस टाइम पूरी तरह से सफल रहा. इस मॉक ड्रिल का उद्देश्य SDRF की कार्य क्षमता को बढ़ाना और उसमें आने वाली कमियों में सुधार न्यूनतम कर तय समय में घटनास्थल पर पहुंचकर रेस्क्यू करना था.

देहरादूनः उत्तराखंड राज्य आपदा की दृष्टि से बेहद संवेदनशील राज्य माना जाता है. इसी कड़ी में प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए एसडीआरएफ जवान कितने मुस्तैद हैं, इसकी दक्षता को जानने के लिए राज्यभर के 24 स्थानों पर मॉक ड्रिल किया गया. इस दौरान ढाई सौ से ज्यादा एसडीआरएफ जवानों को 2 मिनट का रिस्पांस टाइम दिया गया. जिसमें जवानों ने निर्धारित समय के भीतर बखूबी अपनी कार्रवाई को अंजाम दिया. हालांकि, सर्चिंग में कुछ खामियां सामने आई. जिस पर उन्हें सुधार करने के निर्देश दिए गए.

उत्तराखंड में सड़क दुर्घटनाएं, भूकंप, भूस्खलन और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए एसडीआरएफ जवान मुस्तैद रहते हैं. इसी कड़ी में गुरुवार को मॉक ड्रिल किया गया. सबसे पहले जॉलीग्रांट स्थित एसडीआरएफ कंट्रोल रूम से भूकंप, भूस्खलन, सड़क, दुर्घटना बाढ़ जैसी घटनाओं के लिए 24 स्थानों पर तैनात एसडीआरएफ टीम को दो मिनट में अपने गंतव्य पर पहुंचने का आदेश पारित हुआ.

एसडीआरएफ मॉक ड्रिल.

ये भी पढ़ेंः जिम कार्बेट पार्क में बनेगा पीएम मोदी ट्रैल, पर्यटकों को मिलेगी रोचक जानकारी

कंट्रोल रूम से सूचना मिलने के बाद प्रदेश के अलग-अलग स्थानों पर तैनात आपदा प्रतिवेदन बल की टीमें अपने-अपने उपकरणों और संसाधनों से रेस्क्यू अभियान के लिए घटनास्थल पर पहुंचे. जहां से उन्होंने अलग-अलग रेस्क्यू कर राहत कार्य को अंजाम दिया और अपनी दक्षता का प्रदर्शन किया.

इस दौरान मोबाइल में भूकंप के दौरान इंचार्ज मार्किंग, लाइन सर्च, हेलिंग सर्चिंग और सड़क दुर्घटनाओं में ड्रिल कटिंग उपकरणों के साथ कार्रवाई को अंजाम दिया गया. इसके अलावा कई दुर्गम पहाड़ी रेस्क्यू में बुलेट चेंज शा, रेम सेठ, पावर एसेंडर का इस्तेमाल किया गया. वहीं, सर्चिंग के लिए एसडीआरएफ टीमों ने स्वानों (डॉग) को शामिल किया.

इन स्थानों पर किया गया मॉक ड्रिल-

  1. अल्मोड़ा- सीरियापानी
  2. पिथौरागढ़- अस्कोट
  3. नैनीताल- खैरना
  4. नैनीताल- (फ्लड टीम)
  5. उधम सिंह नगर- रुद्रपुर
  6. टिहरी- ढालवाला
  7. उत्तरकाशी- उजेली, भटवाड़ी, बड़कोट
  8. चमोली- गोचर, जोशीमठ
  9. रुद्रप्रयाग- रतूडा, सोनप्रयाग
  10. पौड़ी- कोटद्वार, सतपुली, श्रीनगर
  11. बागेश्वर- कपकोट
  12. देहरादून- जॉलीग्रांट, चकराता और सहस्त्रधारा

वहीं, एसडीआरएफ कमांडेंट तृप्ति भट्ट ने बताया कि पहली बार राज्यभर में की गई इस टेस्ट का रिस्पांस टाइम पूरी तरह से सफल रहा. इस मॉक ड्रिल का उद्देश्य SDRF की कार्य क्षमता को बढ़ाना और उसमें आने वाली कमियों में सुधार न्यूनतम कर तय समय में घटनास्थल पर पहुंचकर रेस्क्यू करना था.

Intro:summary-प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए उत्तराखंड में एक साथ 24 स्थानों पर किया गया मॉक ड्रिल टेस्ट, ढाई सौ से अधिक एसडीआरएफ जवानों को मिला था 2 मिनट का रिस्पांस टाइम।


उत्तराखंड राज्य में सड़क दुर्घटनाएं,भूकंप, भूस्खलन व बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए एसडीआरएफ जवान कितने मुस्तैद है, इसकी दक्षता को नापने के लिए गुरुवार राज्य भर के 24 स्थानों पर मॉक ड्रिल टेस्ट आयोजित किया गया। ढाई सौ से अधिक एसडीआरएफ संकटमोचक जवानों को राज्य के अलग-अलग स्थानों में मात्र 2 मिनट का रिस्पांस टाइम दिया गया जिस के दरमियान उनको घटनास्थल पर पहुंचकर रेस्क्यू राहत बचाव कार्य करना था। लगातार विषम परिस्थितियों में कठिन ट्रेनिंग और निपुणता हासिल करने के चलते इस बार ज्यादातर स्थानों में होने वाले मॉक ड्रिल में SDRF जवानों ने दिए गए 2 मिनट के रिस्पांस टाइम के अंदर बखूबी अपनी कार्रवाई को अंजाम दिया। हालांकि इस दौरान सर्चिंग में कुछ कमियों को लेकर भी भविष्य में उसकी सुधार के लिए एसडीआरएफ अधिकारियों द्वारा फोर्स को दिशा निर्देश दिए गए।


Body:जौलीग्रांट स्थित एसडीआरएफ कंट्रोल रूम से भूकंप भूस्खलन सड़क दुर्घटना बाढ़ जैसी घटनाओं के लिए राज्य भर के 24 स्थानों में तैनात एसडीआरएफ टीम को अगले 2 मिनट में अपने गंतव्य में पहुंचने का आदेश पारित हुआ। कंट्रोल रूम से सूचना मिलने के बाद प्रदेश के अलग-अलग स्थानों में तैनात आपदा प्रतिवेदन बल की टीमें अपने अपने उपकरणों और संसाधनों से रेस्क्यू अभियान के लिए 2 मिनट पर घटनास्थल पर पहुंचे जहां से उन्होंने अलग अलग रस की और राहत कार्य को अंजाम देते हुए अपनी दक्षता का प्रदर्शन किया। किसी भी प्राकृतिक आपातकाल स्थिति से निपटने के लिए प्रदेश भर में की गई इस मोबाइल में भूकंप के दौरान इंचार्ज मार्किंग के साथ ही लाइन सर्च हेलिंग सर्चिंग और सड़क दुर्घटनाओं में ड्रिल कटिंग उपकरणों के साथ कार्रवाई को अंजाम दिया गया। इसके अलावा कई दुर्गम पहाड़ी रेस्क्यू में बुलेट चेंज शा, रेम सेठ, पावर एसेंडर का प्रयोग किया गया। वही सर्चिंग के लिए एसडीआरएफ टीमों द्वारा स्वानों (डॉग) का प्रयोग भी किया गया.

इन स्थानों पर किया गया प्राकृतिक आपातकाल के लिए मॉक ड्रिल

जनपद अल्मोड़ा में सीरियापानी, पिथौरागढ़ में अस्कोट, नैनीताल में खैरना, नैनीताल (फ्लड टीम),उधमसिंह नगर में रूद्रपुर ,टिहरी में ढालवाला, उत्तरकाशी में उजेली, भटवाड़ी, बड़कोट, चमोली, गोचर ,जोशीमठ ,रुद्रप्रयाग में रतूडा, सोनप्रयाग, पौड़ी में कोटद्वार, सतपुली, श्रीनगर, बागेश्वर में कपकोट, देहरादून में जॉली ग्रांट ,चकराता व सहस्त्रधारा ।


Conclusion:वही प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए राज्य भर के 24 स्थानों में किए गए एकाएक मॉक ड्रिल टेस्ट के संबंध में एसडीआरएफ कमांडेंट तृप्ति भट्ट ने जानकारी देते हुए बताया कि पहली बार राज्य भर में की गई इस टेस्ट का रिस्पांस टाइम पूरी तरह से सफल रहा. इस मॉक ड्रिल का उद्देश्य SDRF की कार्य क्षमता को बढ़ाना और उसमें आने वाली कमियों में सुधार न्यूनतम कर तय समय में घटनास्थल पहुंचकर रेस्क्यू करना था। कठिन प्रशिक्षण और दक्षता के कारण यह हर्ष का विषय हैं कि इस बार के रिस्पांस टाइम सफलतापूर्वक रहा। इस बार सभी टीमों के आपसी सामंजस्य बनाकर जरूरी संसाधनों का भी विधिवत तरीके अभ्यास भी सफ़ल रहा।


बाईट- तृप्ति भट्ट ,एसडीआरएफ ,कमांडेंट
Last Updated : Jan 23, 2020, 11:36 PM IST
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