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छात्रवृत्ति घोटाला: स्वामी पूर्णानंद डिग्री कॉलेज पर कसा शिकंजा, SIT ने दर्ज की FIR

छात्रवृत्ति घोटाले की जांच के लिए गठित की गई एसआईटी टीम का शिकंजा हर दिन बढ़ता जा रहा है. एसआईटी ने टिहरी गढ़वाल के मुनि की रेती स्थित स्वामी पूर्णानंद डिग्री कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी एजुकेशन संस्थान सहित अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है .

छात्रवृत्ति घोटाला
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Published : Oct 2, 2019, 2:40 PM IST

देहरादूनः राज्य के बहुचर्चित छात्रवृत्ति घोटाले में प्रशासन की लगातार कार्रवाई जारी है. इस मामले में लगातार चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं. माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में कई बड़ी गिरफ्तारियां होंगी. फिलहाल इस घोटाले को लेकर परत दर परत अब खुलने लगी है. हाईकोर्ट के आदेश पर उत्तराखंड के 11 जनपदों में (देहरादून व हरिद्वार को छोड़) छात्रवृत्ति घोटाले की जांच के लिए गठित की गई एसआईटी टीम का शिकंजा हर दिन बढ़ता जा रहा है.

आईजी संजय गुंज्याल के नेतृत्व में गठित की गई इस एसआईटी ने एक और मुकदमा दर्ज किया है. एसआईटी ने टिहरी गढ़वाल के मुनि की रेती स्थित स्वामी पूर्णानंद डिग्री कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी एजुकेशन संस्थान सहित अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है .आरोप है कि इस संस्थान द्वारा फर्जी दस्तावेजों के आधार पर समाज कल्याण विभाग सहित अन्य लोगों की मिलीभगत से लाखों रुपए का गबन किया गया. एसआईटी द्वारा यह 11वां मामला दर्ज किया गया है.

स्वामी पूर्णानंद कॉलेज के खिलाफ मामला दर्ज.

एसआईटी की प्रारंभिक जांच में जानकारी सामने आई कि घोटालेबाज पूर्णानंद डिग्री कॉलेज का संचालन वर्ष 2012 से हो रहा है. ऐसे में इस शिक्षण संस्थान को जिला समाज कल्याण विभाग टिहरी गढ़वाल द्वारा वर्ष 2014 -15 में फर्जी तरीके से छात्रवृत्ति दी गई.

जांच पड़ताल में पता चला कि इसी वर्ष कॉलेज के 53 अनुसूचित जाति के छात्र-छात्राओं द्वारा छात्रवृत्ति के लिए आवेदन किया गया था. जिस पर जिला समाज कल्याण विभाग द्वारा 47 छात्र-छात्राओं को प्रति छात्र 35,000 के हिसाब से छात्रवृत्ति दी गई, जबकि कॉलेज प्रबंधन द्वारा मात्र 25 छात्राओं को छात्रवृत्ति वितरित की गई.

छात्रवृत्ति की धनराशि प्राप्त करने वाले 25 छात्रों का प्रवेश वर्ष 2014-15 में बीएससी में हुआ था, जो विद्यालय से छात्रवृत्ति प्राप्त करने के बाद बिना परीक्षा दिए ही कॉलेज छोड़कर चले गए थे.

एसआईटी की जांच में पता चला कि आरोपित कॉलेज के दस्तावेजों में इन छात्रों का पता व मोबाइल नंबर भी स्पष्ट नहीं है. छात्रवृत्ति प्राप्त करने वाले इन सभी छात्र-छात्राओं का पूर्णानंद डिग्री कॉलेज में दाखिला ऋषिकेश निवासी नरेंद्र पवार नामक व्यक्ति द्वारा कराया गया. जिसका कोई मोबाइल नंबर अंकित नहीं है. जांच करने पर आरोपित व्यक्ति का मोबाइल नंबर भी स्विच ऑफ पाया गया.

घोटाले में बैंकों का भी नाम आया सामने
एसआईटी टीम की जांच पड़ताल में पता चला कि घोटालेबाज संस्थान द्वारा छात्रों के फर्जी बैंक अकाउंट ऋषिकेश के कैलाश गेट मुनी की रेती अर्बन अल्मोड़ा को-ऑपरेटिव बैंक में खोले गए. बैंक द्वारा प्रत्येक छात्रों के खाते में 33,000 रुपए छात्रवृत्ति बतौर आना बताया गया. जिस पर स्वामी पूर्णानंद डिग्री कॉलेज संस्थान ने बैंक को छात्रों द्वारा एक पत्र लिखवा कर उनके खाते से 30 -30 हजार की धनराशि को कॉलेज के केनरा बैंक ऋषिकेश में आरटीजीएस द्वारा पहुंचाया. इतना ही नहीं कॉलेज द्वारा यह दर्शाया गया कि 2,500 रुपए स्वयं छात्रों द्वारा निकाले गए.

छात्रों को गुमराह कर करवाए गए हस्ताक्षर
एसआईटी टीम की जांच में अर्बन अल्मोड़ा को-ऑपरेटिव बैंक से छात्रवृत्ति प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं के केवाईसी फॉर्म से प्राप्त नंबरों से बात करने पर पता चला कि गांव मलेथा देवप्रयाग टिहरी गढ़वाल में वर्ष 2014- 15 में कुछ लोग उनके पास आए थे. इस दौरान उन्होंने फ्री में एडमिशन और कुछ पैसे देने की बात कहकर छात्रों से फर्जी हस्ताक्षर करवाए. जबकि छात्र न कभी कॉलेज गए और न ही उन्होंने परीक्षा दी. ऐसे में कुछ समय बाद उन्हें अर्बन अल्मोड़ा को-ऑपरेटिव बैंक ऋषिकेश बुलाया गया और दस्तावेजों पर हस्ताक्षर कराए गए.

यह भी पढ़ेंः पंचायत चुनाव: मतदान की उल्टी गिनती शुरू, प्रशासन ने पूरी की तैयारियां

समाज कल्याण विभाग की मिलीभगत से हुआ घोटाला
इस घोटाले में टिहरी गढ़वाल स्थित समाज कल्याण विभाग की मिलीभगत सामने आई है. जहां विभाग ने स्वामी पूर्णानंद डिग्री कॉलेज के 47 छात्रों के लिए 15,51,000 की छात्रवृत्ति रिलीज कर दी. इस 47 छात्रों में 9 छात्र-छात्राओं के नाम कॉलेज की सूची में नहीं पाए गए, जबकि कॉलेज द्वारा अपनी सूची में मात्र 25 छात्रों को छात्रवृत्ति आवंटित कराना दर्शाया गया है. दोनों सूची का मिलान किया गया तो 13 छात्रों का नाम सूची में अंकित होना पाया गया, लेकिन इन्हें छात्रवृत्ति वितरित की गई यह अभी तक जांच में स्पष्ट नहीं हो पाया है.

देहरादूनः राज्य के बहुचर्चित छात्रवृत्ति घोटाले में प्रशासन की लगातार कार्रवाई जारी है. इस मामले में लगातार चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं. माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में कई बड़ी गिरफ्तारियां होंगी. फिलहाल इस घोटाले को लेकर परत दर परत अब खुलने लगी है. हाईकोर्ट के आदेश पर उत्तराखंड के 11 जनपदों में (देहरादून व हरिद्वार को छोड़) छात्रवृत्ति घोटाले की जांच के लिए गठित की गई एसआईटी टीम का शिकंजा हर दिन बढ़ता जा रहा है.

आईजी संजय गुंज्याल के नेतृत्व में गठित की गई इस एसआईटी ने एक और मुकदमा दर्ज किया है. एसआईटी ने टिहरी गढ़वाल के मुनि की रेती स्थित स्वामी पूर्णानंद डिग्री कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी एजुकेशन संस्थान सहित अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है .आरोप है कि इस संस्थान द्वारा फर्जी दस्तावेजों के आधार पर समाज कल्याण विभाग सहित अन्य लोगों की मिलीभगत से लाखों रुपए का गबन किया गया. एसआईटी द्वारा यह 11वां मामला दर्ज किया गया है.

स्वामी पूर्णानंद कॉलेज के खिलाफ मामला दर्ज.

एसआईटी की प्रारंभिक जांच में जानकारी सामने आई कि घोटालेबाज पूर्णानंद डिग्री कॉलेज का संचालन वर्ष 2012 से हो रहा है. ऐसे में इस शिक्षण संस्थान को जिला समाज कल्याण विभाग टिहरी गढ़वाल द्वारा वर्ष 2014 -15 में फर्जी तरीके से छात्रवृत्ति दी गई.

जांच पड़ताल में पता चला कि इसी वर्ष कॉलेज के 53 अनुसूचित जाति के छात्र-छात्राओं द्वारा छात्रवृत्ति के लिए आवेदन किया गया था. जिस पर जिला समाज कल्याण विभाग द्वारा 47 छात्र-छात्राओं को प्रति छात्र 35,000 के हिसाब से छात्रवृत्ति दी गई, जबकि कॉलेज प्रबंधन द्वारा मात्र 25 छात्राओं को छात्रवृत्ति वितरित की गई.

छात्रवृत्ति की धनराशि प्राप्त करने वाले 25 छात्रों का प्रवेश वर्ष 2014-15 में बीएससी में हुआ था, जो विद्यालय से छात्रवृत्ति प्राप्त करने के बाद बिना परीक्षा दिए ही कॉलेज छोड़कर चले गए थे.

एसआईटी की जांच में पता चला कि आरोपित कॉलेज के दस्तावेजों में इन छात्रों का पता व मोबाइल नंबर भी स्पष्ट नहीं है. छात्रवृत्ति प्राप्त करने वाले इन सभी छात्र-छात्राओं का पूर्णानंद डिग्री कॉलेज में दाखिला ऋषिकेश निवासी नरेंद्र पवार नामक व्यक्ति द्वारा कराया गया. जिसका कोई मोबाइल नंबर अंकित नहीं है. जांच करने पर आरोपित व्यक्ति का मोबाइल नंबर भी स्विच ऑफ पाया गया.

घोटाले में बैंकों का भी नाम आया सामने
एसआईटी टीम की जांच पड़ताल में पता चला कि घोटालेबाज संस्थान द्वारा छात्रों के फर्जी बैंक अकाउंट ऋषिकेश के कैलाश गेट मुनी की रेती अर्बन अल्मोड़ा को-ऑपरेटिव बैंक में खोले गए. बैंक द्वारा प्रत्येक छात्रों के खाते में 33,000 रुपए छात्रवृत्ति बतौर आना बताया गया. जिस पर स्वामी पूर्णानंद डिग्री कॉलेज संस्थान ने बैंक को छात्रों द्वारा एक पत्र लिखवा कर उनके खाते से 30 -30 हजार की धनराशि को कॉलेज के केनरा बैंक ऋषिकेश में आरटीजीएस द्वारा पहुंचाया. इतना ही नहीं कॉलेज द्वारा यह दर्शाया गया कि 2,500 रुपए स्वयं छात्रों द्वारा निकाले गए.

छात्रों को गुमराह कर करवाए गए हस्ताक्षर
एसआईटी टीम की जांच में अर्बन अल्मोड़ा को-ऑपरेटिव बैंक से छात्रवृत्ति प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं के केवाईसी फॉर्म से प्राप्त नंबरों से बात करने पर पता चला कि गांव मलेथा देवप्रयाग टिहरी गढ़वाल में वर्ष 2014- 15 में कुछ लोग उनके पास आए थे. इस दौरान उन्होंने फ्री में एडमिशन और कुछ पैसे देने की बात कहकर छात्रों से फर्जी हस्ताक्षर करवाए. जबकि छात्र न कभी कॉलेज गए और न ही उन्होंने परीक्षा दी. ऐसे में कुछ समय बाद उन्हें अर्बन अल्मोड़ा को-ऑपरेटिव बैंक ऋषिकेश बुलाया गया और दस्तावेजों पर हस्ताक्षर कराए गए.

यह भी पढ़ेंः पंचायत चुनाव: मतदान की उल्टी गिनती शुरू, प्रशासन ने पूरी की तैयारियां

समाज कल्याण विभाग की मिलीभगत से हुआ घोटाला
इस घोटाले में टिहरी गढ़वाल स्थित समाज कल्याण विभाग की मिलीभगत सामने आई है. जहां विभाग ने स्वामी पूर्णानंद डिग्री कॉलेज के 47 छात्रों के लिए 15,51,000 की छात्रवृत्ति रिलीज कर दी. इस 47 छात्रों में 9 छात्र-छात्राओं के नाम कॉलेज की सूची में नहीं पाए गए, जबकि कॉलेज द्वारा अपनी सूची में मात्र 25 छात्रों को छात्रवृत्ति आवंटित कराना दर्शाया गया है. दोनों सूची का मिलान किया गया तो 13 छात्रों का नाम सूची में अंकित होना पाया गया, लेकिन इन्हें छात्रवृत्ति वितरित की गई यह अभी तक जांच में स्पष्ट नहीं हो पाया है.

Intro:summary-छात्रवृत्ति घोटाला: टिहरी गढ़वाल के स्वामी पूर्णानंद डिग्री कॉलेज के खिलाफ भी एसआईटी ने दर्ज किया मुकदमा, फर्जी दस्तावेजों के आधार पर सरकारी धन हड़पने का आरोप, समाज कल्याण विभाग से सांठगांठ कर लाखों रुपए छात्रवृत्ति धन राशि हड़पने का मामला।

नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश पर उत्तराखंड के 11 जनपदों (देहरादून व हरिद्वार को छोड़कर ) छात्रवृत्ति घोटाले जांच के लिए गठित की गई एसआईटी टीम का शिकंजा घोटाले बाजों के खिलाफ हर दिन बढ़ता जा रहा है.. आईजी संजय गुंज्याल के नेतृत्व में गठित की गई इस एस आईटी टीम ने एक और मुकदमा टिहरी गढ़वाल के मुनिकीरेती स्थित स्वामी पूर्णानंद डिग्री कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी एजुकेशन संस्थान सहित अन्य लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी। आरोप है कि इस संस्थान द्वारा फर्जी दस्तावेजों के आधार पर समाज कल्याण विभाग सहित अन्य लोगों की मिलीभगत से लाखों रुपए हड़प सरकारी धन का घोटाला किया गया।




Body:एसआईटी जांच टीम के मुताबिक टिहरी गढ़वाल के मुनि की रेती में स्थित स्वामी पूर्णानंद डिग्री कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी एजुकेशन संस्थान पर आरोप हैं कि, इनके द्वारा विभिन्न जनपदों के छात्रों को फर्जी तरीके से एससी एसटी और ओबीसी वर्ग में शामिल दर्शा कर संस्थान में फर्जी दाखिला दिखाकर भारी अनियमितताएं की गई है।
एसआईटी टीम की प्रारंभिक जांच में जानकारी सामने आई कि घोटालेबाज पूर्णानंद डिग्री कॉलेज का संचालन वर्ष 2012 से हो रहा है ऐसे में इस शिक्षण संस्थान को जिला समाज कल्याण विभाग टिहरी गढ़वाल द्वारा वर्ष 2014 -15 में फर्जी तरीके से छात्रवृत्ति दी गई। जांच पड़ताल में पता चला कि इसी वर्ष कालेज के 53 अनुसूचित जाति के छात्र-छात्राओं द्वारा छात्रवृत्ति प्रदान करने के लिए आवेदन किया गया था जिस पर जिला समाज कल्याण विभाग द्वारा 47 छात्र छात्राओं को प्रति छात्र ₹35000 के हिसाब से छात्रवृत्ति दी गई। जबकि कालेज प्रबंधन द्वारा मात्र 25 छात्राओं को छात्रवृत्ति वितरित की गई.. छात्रवृत्ति की धनराशि प्राप्त करने वाले 25 छात्रों का प्रवेश वर्ष 2014 15 में ही बी एस सी कक्षा में हुआ था, जो विद्यालय से छात्रवृत्ति प्राप्त करने के उपरांत बिना परीक्षा दिए ही कॉलेज छोड़कर चले गए थे।

फर्जी दाखिले में ऋषिकेश निवासी व्यक्ति का नाम आया सामने

एसआईटी की जांच में पता चला कि आरोपित कॉलेज के दस्तावेजों में इन छात्रों का पता व मोबाइल नंबर भी स्पष्ट नहीं है छात्रवृत्ति प्राप्त करने वाले इन सभी छात्र छात्राओं का पूर्ण आनंद डिग्री कॉलेज में दाखिला ऋषिकेश निवासी नरेंद्र पवार नाम की व्यक्ति द्वारा कराया गया जिसका कोई मोबाइल नंबर अंकित नहीं है जांच करने पर आरोपित व्यक्ति का मोबाइल नंबर भी स्विच ऑफ पाया जा रहा है।

घोटाले में बैंकों का भी नाम आया सामने

एसआईटी टीम की जांच पड़ताल में पता चला कि घोटालेबाज संस्थान द्वारा छात्रों के फर्जी बैंक अकाउंट.. ऋषिकेश के कैलाश गेट मुनी की रेती अर्बन अल्मोड़ा "को-ऑपरेटिव बैंक" में खोले गए हैं। बैंक द्वारा प्रत्येक छात्रों के खाते में ₹33000 छात्रवृत्ति आना बताया गया जिस पर स्वामी पूर्णानंद डिग्री कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी एजुकेशन संस्थान ने बैंक को छात्रों द्वारा एक पत्र लिखवा कर उनके खाते से 30 -30 हजार की धनराशि को कालेज के केनरा बैंक ऋषिकेश में आरटीजीएस द्वारा पहुंचाया। इतना ही नहीं कॉलेज द्वारा यह दर्शाया गया कि 25 सो रुपए स्वयं छात्रों द्वारा निकाला गया है।


Conclusion:ऐडमिशन के दस्तावेजों में छात्रों को गुमराह कर हस्ताक्षर कराए गए, बैंक ने भी किया घोटाले में अपना काम

एसआईटी टीम की जांच में अर्बन अल्मोड़ा "को -ऑपरेटिव बैंक" से छात्रवृत्ति प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं के केवाईसी फॉर्म से प्राप्त नंबरों से बात करने पर पता चला कि गांव मलेथा देवप्रयाग टिहरी गढ़वाल में वर्ष 2014- 15 में कुछ लोग उनके पास आए थे, पुनाराम कॉलेज में निशुल्क एडमिशन कराने और कुछ पैसे देने की बात कहकर सभी ने इनके द्वारा लाए गए फॉर्म और दस्तावेजों में अपने हस्ताक्षर कर दिए थे। जबकि यह छात्र कभी भी कॉलेज नहीं गए और ना ही इन्होंने कोई परीक्षा दी। ऐसे में कुछ समय बाद उन्हें अर्बन अल्मोड़ा को ऑपरेटिव बैंक ऋषिकेश बुलाया गया और दस्तावेजों में हस्ताक्षर कराए गए।

टिहरी गढ़वाल के जिला समाज कल्याण इस तरह से संस्थान के साथ मिलकर की घोटाले की योजना

उधर इस घोटाले में टिहरी गढ़वाल स्थित समाज कल्याण कार्यालय द्वारा स्वामी पूर्णानंद डिग्री कॉलेज ऑफ टेक्निकल एजुकेशन को वर्ष 2014 -15 में 47 छात्र छात्राओं का 33 हज़ार प्रति छात्र के हिसाब से कुल ₹15,51000 की छात्रवृत्ति रिलीज के दी गई। एसआईटी टीम की जांच पड़ताल के दौरान जिला समाज कल्याण कार्यालय ने जिन 47 छात्रों की सूची उपलब्ध कराई उसमें से 9 छात्र छात्राओं के नाम कॉलेज की सूची में नहीं पाए गए, जबकि कॉलेज द्वारा अपनी सूची में मात्र 25 छात्रों को छात्रवृत्ति आवंटित कराना दर्शाया गया है। दोनों सूची का मिलान किया गया तो 13 छात्रों के नाम सूची में अंकित होना पाया लेकिन इन्हें छात्रवृत्ति वितरित की गई यह अभी तक जांच में स्पष्ट नहीं हो पाया है।
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