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जौलजीबी में इनर लाइन फिर से होगी स्थापित, गृहमंत्री और रक्षामंत्री को महाराज ने लिखा पत्र

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Published : Aug 29, 2020, 6:58 PM IST

जौलजीबी में फिर से इनर लाइन स्थापित करने के लिए सतपाल महाराज ने गृहमंत्री और रक्षा मंत्री को पत्र लिखा है.

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जौलजीबी में इनर लाइन फिर से होगी स्थापित

देहरादून: प्रदेश पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने देश की आंतरिक एवं बाह्य सुरक्षा को देखते हुए इनर लाइन को फिर से जौलजीबी में स्थापित करने के लिए गृहमंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिखा है. पत्र के माध्यम से सतपाल महाराज ने कहा कि उत्तराखंड के जनपद पिथौरागढ़ की धारचूला के ब्यास, चौंदास, दारमा घाटियां नेपाल, चीन की सीमाओं से लगी हैं, जो सामरिक एवं भू-राजनीतिक दृष्टि से अति संवेदनशील हैं. लिहाजा, सुरक्षा की दृष्टि से बाहरी लोगों की आवाजाही को नियंत्रित करने के लिए जौलजीबी में फिर से इनर लाइन स्थापित किया जाए.

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सतपाल महाराज ने गृहमंत्री और रक्षा मंत्री को लिखा पत्र

सतपाल महाराज ने रक्षा मंत्री और गृहमंत्री को लिखे अपने पत्र में कहा है कि सामरिक दृष्टि से लंबे समय तक जौलजीबी में इनर लाइन स्थापित रही है. जिसे 1990-91 में बिना किसी व्यवाहारिक प्रमाण के केंद्र सरकार ने जौलजीबी से हटाकर दारमा घाटी में मारछा और ब्यास घाटी के छियालेख नाम के स्थानों में स्थानांतरित कर दिया था.

पढ़ें- रुद्रपुर: संपत्ति के लिए बेटी और दामाद ने पूरे परिवार का किया खात्मा, 3 गिरफ्तार

मारछा एवं छियालेख नेपाल से लगा होने के साथ-साथ चीन की सीमा रेखा से मात्र 40 किमी. की दूरी पर है. वर्तमान में चीन के साथ जारी सीमा विवाद और उसकी विस्तारवादी नीति से वह नेपाल के माध्यम से हमारे देश की आंतरिक एवं बाहरी सुरक्षा के लिए खतरा बना हुआ है.

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सतपाल महाराज ने गृहमंत्री और रक्षा मंत्री को लिखा पत्र

पढ़ें- 'प्रधान' का कारनामा: पति को दिलवाया ठेका, शपथ-पत्र में रिश्ते से इनकार

उन्होंने कहा ब्यास, चौंदास एवं दारमा के स्थानीय निवासी भोटिया, जनजाति के सरल एवं शांतिप्रिय लोग, जो यहां की विरासत को अक्षुण बनाये हुए हैं, इनर लाइन के अन्तरराष्ट्रीय सीमा के निकट होने व इस क्षेत्र में आपराधिक गतिविधियों के बढ़ने से स्वयं को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं, जो कि देश की सुरक्षा के लिए भी एक गंभीर चुनौती पैदा कर सकता है. ऐसे में सतपाल महाराज ने गृहमंत्री और रक्षा मंत्री को पत्र के माध्यम से इस मामले को सर्वोपरि मानते हुए इनर लाइन को फिर से जौलजीबी में स्थापित करने का अनुरोध किया है.

देहरादून: प्रदेश पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने देश की आंतरिक एवं बाह्य सुरक्षा को देखते हुए इनर लाइन को फिर से जौलजीबी में स्थापित करने के लिए गृहमंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिखा है. पत्र के माध्यम से सतपाल महाराज ने कहा कि उत्तराखंड के जनपद पिथौरागढ़ की धारचूला के ब्यास, चौंदास, दारमा घाटियां नेपाल, चीन की सीमाओं से लगी हैं, जो सामरिक एवं भू-राजनीतिक दृष्टि से अति संवेदनशील हैं. लिहाजा, सुरक्षा की दृष्टि से बाहरी लोगों की आवाजाही को नियंत्रित करने के लिए जौलजीबी में फिर से इनर लाइन स्थापित किया जाए.

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सतपाल महाराज ने गृहमंत्री और रक्षा मंत्री को लिखा पत्र

सतपाल महाराज ने रक्षा मंत्री और गृहमंत्री को लिखे अपने पत्र में कहा है कि सामरिक दृष्टि से लंबे समय तक जौलजीबी में इनर लाइन स्थापित रही है. जिसे 1990-91 में बिना किसी व्यवाहारिक प्रमाण के केंद्र सरकार ने जौलजीबी से हटाकर दारमा घाटी में मारछा और ब्यास घाटी के छियालेख नाम के स्थानों में स्थानांतरित कर दिया था.

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मारछा एवं छियालेख नेपाल से लगा होने के साथ-साथ चीन की सीमा रेखा से मात्र 40 किमी. की दूरी पर है. वर्तमान में चीन के साथ जारी सीमा विवाद और उसकी विस्तारवादी नीति से वह नेपाल के माध्यम से हमारे देश की आंतरिक एवं बाहरी सुरक्षा के लिए खतरा बना हुआ है.

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सतपाल महाराज ने गृहमंत्री और रक्षा मंत्री को लिखा पत्र

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उन्होंने कहा ब्यास, चौंदास एवं दारमा के स्थानीय निवासी भोटिया, जनजाति के सरल एवं शांतिप्रिय लोग, जो यहां की विरासत को अक्षुण बनाये हुए हैं, इनर लाइन के अन्तरराष्ट्रीय सीमा के निकट होने व इस क्षेत्र में आपराधिक गतिविधियों के बढ़ने से स्वयं को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं, जो कि देश की सुरक्षा के लिए भी एक गंभीर चुनौती पैदा कर सकता है. ऐसे में सतपाल महाराज ने गृहमंत्री और रक्षा मंत्री को पत्र के माध्यम से इस मामले को सर्वोपरि मानते हुए इनर लाइन को फिर से जौलजीबी में स्थापित करने का अनुरोध किया है.

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