देहरादून: सूर्यधार बैराज निर्माण में कई स्तर पर सामने आयी गड़बड़ियों को देखते हुए सिचाई मंत्री सतपाल महाराज ने परियोजना के सिंचाई सचिव को विशेष जांच करने के लिखित आदेश दिए हैं. आदेश में सतपाल महाराज ने कहा है कि सूर्यधार बैराज मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का ड्रीम प्रोजेक्ट है. इसलिए इसके निर्माण में किसी भी तरह की कोई लापरवाही और अनियमितता बर्दाश्त नहीं की जाएगी.
आपको बता दे कि सूर्यधार बांध परियोजना से भोगपुर, घमंडपुर व लिस्ट्राबाद के 18 गांव की 1287 हेक्टेयर भूमि पर पूरे साल सिंचाई हो सकेगी. इस जलाशय के निर्माण से लगभग 33,500 लोगों को पेयजल की समस्या से निजात मिल सकेगी. गौर हो कि 27 अगस्त 2020 को सूर्यधार बैराज निर्माण परियोजना का सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने स्थलीय निरीक्षण कर परियोजना लागत बढ़ने पर नाराजगी जाहिर की. उन्होंने इसकी विशेष जांच के लिए लिखित आदेश दिए हैं.
सूर्यधार बैराज के निर्माण से संबंधित शासन ने व्याख्या मांगी थी, जिसका विश्लेषण करने पर पाया गया कि निर्माण में कई स्तर पर गड़बडियां हैं, जिसके चलते मंत्री ने विशेष जांच के आदेश दिए हैं. सिंचाई मंत्री ने कहा है कि 1837.34 लाख रूपये की लागत के सापेक्ष 4100 लाख का अभी तक भुगतान किया जा चुका है. इसके साथ ही अभी और भी भुगतान किया जाना है.
महाराज ने आदेश में कहा कि डीपीआर उपलब्ध होने पर बैराज की ऊंचाई 8 मीटर से 10 मीटर तक किए जाने हेतु समिति की रिपोर्ट 6 सितंबर 2018 को आईआईटी अहमदाबाद से वैट एवं आईआरआई रुड़की से मॉडल स्टडी करवायी गयी, इन सबके बावजूद टेंडर को पुनरीक्षित कर अनुबंध क्यों नहीं किया गया. यही नहीं, जिस समिति का उल्लेख किया जा रहा है उसके द्वारा अपनी रिपोर्ट में ऊंचाई बढ़ाने की कहीं भी संस्तुति नहीं की गई है.
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तकनीकी सलाहकार ने 11 जून 2019 को अतिरिक्त कार्यों को कराने के लिए सलाह दी थी. यह सलाह अनुबंध करने से पूर्व क्यों नहीं प्राप्त की गई, ऐसे में इस सलाह का क्या औचित्य था. महाराज ने आदेश में कहा कि सलाहकार को नियुक्त करने के लिए क्या प्रशासन से अनुमति ली गई थी और उनकी सलाह को मानने से पूर्व कार्यों का तकनीकी परीक्षण कराकर क्या शासन की अनुमति प्राप्त की गई थी. जैसे तमाम कारणों को लेकर सिंचाई मंत्री ने सूर्यधार बैराज के निर्माण से संबंधित कार्यों की विशेष जांच के आदेश दिए हैं.
सिंचाई मंत्री ने सचिव सिंचाई को निर्देश दिए हैं कि इस बात की भी जांच की जाए कि जब अनुबंध पुरानी ऊंचाई 8 मीटर के आधार पर किया गया, जबकि निविदा आमंत्रित करने से पूर्व ही ऊंचाई बढ़ाए जाने का निर्णय लिया जा चुका था, जो कि प्रमुख अभियंता के मौखिक निर्देश के क्रम में हुआ. हालांकि विभागीय कार्यों को कराए जाने का आधार विभागीय शेड्यूल ऑफ रेट होता है. बाजार की दरों को कैसे एवं क्यों सम्मिलित किया. वह भी निविदा की लागत का आकलन करने में स्पष्ट नहीं है. इसलिए इसकी भी जांच की जाएगी.
सतपाल महाराज ने सचिव सिंचाई को सूर्यधार बैराज निर्माण कार्यों की जांच के आदेश देते हुए कहा कि सेड्यूल ऑफ रेट से 20 प्रतिशत अधिक दर पर सिविल कार्य कराए गए. इसी अनुबंध की दर के अंतर्गत ही अतिरिक्त कार्य भी कराए गए. जिसके कारण सम्पूर्ण कार्य लगभग 62.00 करोड़ का कराया गया, जो कि योजना हेतु स्वीकृत धनराशि 50.24 करोड से लगभग 12 करोड़ अधिक है. स्वीकृत धनराशि से 12 करोड़ अतिरिक्त धनराशि व्यय किया जाना शासकीय धन का दुरुपयोग है.