देहरादून: कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी के 40% महिलाओं को टिकट देने के ऐलान से उत्तर प्रदेश में आधी आबादी की बांछें खिल गई है. लेकिन यूपी में महिलाओं के चेहरों को मुस्कान देने वाली यह घोषणा उत्तराखंड की महिला कांग्रेसियों के लिए कुछ खास फायदेमंद नहीं दिखाई दी है, हालत यह है कि उत्तराखंड महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष ने ही महिलाओं की अनदेखी का आरोप लगाकर कांग्रेस का दामन छोड़ दिया है. जाहिर है कि प्रदेश में सरिता आर्य के इस कदम से कांग्रेस की महिला विंग का मनोबल टूटा है.
उत्तर प्रदेश में महिलाओं को साधने की कोशिश में 'लड़की हूं लड़ सकती हूं' का नारा महिलाओं को खूब भा रहा है. लेकिन इस नारे की हवा उत्तराखंड में आज तब निकल गई. जब महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष ने ही महिलाओं की अनदेखी का आरोप लगाकर कांग्रेस को गुड बाय कह दिया. दरअसल, उत्तराखंड में भी महिला कांग्रेस 20% महिलाओं को टिकट देने की मांग कर रही है इस लिहाज से प्रदेश में करीब 14 सीटों पर महिलाएं टिकट चाहती हैं.
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लेकिन महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष के ही टिकट कटने की संभावना से महिलाएं निराश दिख रही थी. ऐसे में अब सरिता आर्य के इस कदम से महिलाओं में निराशा का और भी बढ़ना तय है. वहीं कयास लगाए जा रहे हैं कि इस बार सूबे में विधानसभा चुनाव (uttarakhand assembly election 2022) रोचक होने जा रहे हैं, जैसा दिख भी रहा है.
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महिलाओं को प्रतिनिधित्व का मौका
- साल 2017 में उत्तराखंड कांग्रेस में 7 महिलाओं को टिकट दिया.
- विधानसभा चुनाव में दो महिलाओं ने ही जीत हासिल कर विधानसभा तक पहुंचने में कामयाबी हासिल की.
- रुद्रप्रयाग, मसूरी, सितारगंज, बाजपुर भगवानपुर, सल्ट, नैनीताल और हल्द्वानी विधानसभा में महिलाओं ने को कांग्रेस ने बनाया था प्रत्याशी.
- इंदिरा हृदयेश और ममता राकेश ने 2017 में हासिल की थी जीत.
- इंदिरा हृदयेश के निधन के बाद हल्द्वानी सीट महिला प्रत्याशी के खाते से बाहर, उनके पुत्र सुमित हृदयेश को टिकट मिलने की उम्मीद.
- भाजपा से कांग्रेस में आये यशपाल आर्य और उनके बेटे संजीव आर्य की सीट पर महिला दावेदारों का कटेगा टिकट.
- बाजपुर और नैनीताल सीट पर 2017 में कांग्रेस ने उतारी थी महिला प्रत्याशी, अब यहां से पिता-पुत्र को टिकट तय.
उत्तराखंड में कुल 8237886 मतदाता है जिसमें से पुरुष मतदाताओं की संख्या 4224288 है तो महिला मतदाताओं की संख्या भी 3919334 है यानी वाकई प्रदेश में महिला मतदाताओं की करीब आधी आबादी मौजूद है और इसी संख्या की बदौलत सभी पार्टियां महिलाओं से जुड़ी योजनाओं की घोषणा करके इस वोट बैंक को हासिल करना चाहती है. बहरहाल उत्तर प्रदेश में तो प्रियंका गांधी ने आधी आबादी को टिकट के जरिए साधने की कोशिश की है, लेकिन उत्तर प्रदेश की महिलाओं को भी इससे एक नई उम्मीद जगी है.