देहरादून/रुड़कीः देवभूमि उत्तराखंड सफाई संघ के बैनर तले सफाईकर्मी 11 सूत्रीय मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं. उनकी हड़ताल को चार दिन बीत गए हैं, लेकिन उनकी सुध लेने कोई नहीं पहुंचा है. दून नगर निगम में भी सफाई कर्मचारियों का आंदोलन जारी है, लेकिन इन आंदोलनरत कर्मियों के खिलाफ मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय के अधिष्ठान लिपिक ने मुकदमा दर्ज कराया है.
बता दें कि देवभूमि उत्तराखंड सफाई कर्मचारी संघ से जुड़े सफाई कर्मचारी प्रदेशभर में बीते 19 जुलाई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं. सफाई कर्मी नियमितीकरण, ठेका प्रथा खत्म करने, पदोन्नति, बीमा समेत कई मांगों को लेकर आंदोलन पर हैं. संघ के प्रदेश अध्यक्ष राहत मसीह ने बताया वो बीते दो सालों से अपनी 11 सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं, लेकिन सरकार उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दे रही है.
ये भी पढ़ेंः 11 सूत्रीय मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर सफाई कर्मी, चरमराई व्यवस्था
उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी की दो लहरें आई, जिसमें सफाई कर्मियों ने फ्रंट में रहकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, उसके बावजूद भी सरकार उनकी सुध नहीं ले रही है. जिसके चलते उन्होंने मजबूर होकर बीते 14 जुलाई को नगर विकास मंत्री का भी घेराव किया. फिर भी कोई नतीजा नहीं निकला. जिसके बाद यानी 19 जुलाई से ही पूरे प्रदेश के सफाई कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं.
वहीं, संघ के प्रदेश अध्यक्ष राहत मसीह ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगों को जल्द पूरा नहीं किया गया तो प्रदेश के सभी जिलों के संगठन के सफाई कर्मचारी देहरादून में आकर मुख्यमंत्री आवास कूच करेंगे. इस आंदोलन की पूरी जिम्मेदारी प्रदेश सरकार की होगी. साथ ही बताया कि उनके खिलाफ शहर कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया गया है. यह मुकदमा सोशल डिस्टेंसिंग और सरकारी कार्य में बाधा डालने के आरोप में दर्ज किया गया है.
ये भी पढ़ेंः 11 सूत्रीय मांगों को लेकर सफाई कर्मचारियों ने तानी मुट्ठी, किया प्रदर्शन
उन्होंने कहा कि सफाई कर्मचारी को 8250 रुपए दिए जाते हैं. जिससे आजीविका नहीं चल सकती है. वो अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा भी नहीं दे सकते हैं. ऐसे में वो जेल जाने को भी तैयार हैं. उनकी मांगों को मुख्यमंत्री धामी गंभीरता से नहीं लेते हैं तो आंदोलन को और अधिक उग्र किया जाएगा.
सफाई कर्मचारियों की मुख्य मांंगेः पूरे उत्तराखंड के स्थानीय निकायों समेत अन्य विभागों से सफाई कार्य से ठेका प्रथा को खत्म किया जाए. सफाई कर्मचारियों के स्थायी पदों की भर्ती शुरू की जाए. वर्तमान में प्रचलित पेंशन योजना एनपीएस के स्थान पर सफाई कर्मचारियों और निकायों की साल 2005 से बंद पुरानी पेंशन योजना को दोबारा बहाल किया जाए.
ये भी पढ़ेंः 'व्यापारियों को जहर दे दो, हम जीना नहीं चाहते' नारे के साथ व्यापारियों का प्रदर्शन
रुड़की: प्रदेशव्यापी निकाय सफाई कर्मियों की हड़ताल का आज भी जारी रहा. 11 सूत्रीय मांगों को लेकर सफाई कर्मी हड़ताल पर बैठे हैं. सफाई कर्मियों की मुख्य मांग है कि ठेका प्रथा खत्म की जाए. जितना वेतन उत्तर प्रदेश के सफाई कर्मचारियों को मिलता है, उतना ही वेतन उन्हें भी दिया जाए.
रुड़की नगर निगम के सफाईकर्मी रुड़की ज्वाइंट मजिस्ट्रेट कार्यालय पहुंचे. ज्वाइंट मजिस्ट्रेट की गैर मौजूदगी में उन्होंने नायब तहसीलदार को मांगपत्र सौंपा. वहीं, सफाईकर्मियों के प्रदर्शन को भीम आर्मी और आजाद समाज पार्टी ने भी समर्थन दिया है.
समर्थन देने के लिए आजाद समाज पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष महक सिंह खुद ही नगर निगम परिसर पहुंचे थे. इसके अलावा समाजसेवी तनुज राठी ने भी अपना समर्थन दिया है. उन्होंने कहा कि सरकार को जल्द ही सफाई कर्मचारियों की मांगों को मान लेना चाहिए.