देहरादून: लोकसभा चुनाव की सरगर्मियों के बीच प्रदेश की राजनीति में इन दिनों एक अलग ही गठबंधन देखने को मिल रहा है. दरअसल, आधिकारिक तौर पर तो ऐसे किसी गठबंधन का कोई एलान नहीं किया गया है. लेकिन कांग्रेस के समर्थन में जिस तरह सपा कार्यकर्ता बात कर रहे हैं उससे तो यही लगता है कि ये एक खास गठबंधन से कम नहीं है.
बता दें 25 मार्च को सूबे में लोकसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने का आखिरी दिन था. इस दौरान बीजेपी कांग्रेस समेत विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों ने अपना नामांकन दाखिल किया. लेकिन बात अगर समाजवादी पार्टी की करें तो लोकसभा चुनाव लिए सपा के पांचों सीटों पर एक भी प्रत्याशी ने अपना नामांकन दाखिल नहीं किया.
ईटीवी भारत ने इस विषय पर जब सपा के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. पाठक से बात की तो उनका तर्क बेहद चौंकाने वाला था. उनके मुताबिक, सपा ने इस चुनाव में प्रदेश की पांचों सीटों पर अपना एक भी प्रत्याशी नहीं उतारा है. जिससे कांग्रेस को इसका फायदा मिले और बीजेपी को प्रदेश में हार का मुंह देखना पड़े. विशेषकर गढ़वाल लोकसभा सीट पर बात करते हुए डॉ. पाठक ने कहा कि इस लोकसभा चुनाव में गढ़वाल लोकसभा सबसे हॉट सीट बनी हुई है.
जहां कांग्रेस ने इस सीट से मनीष खंडूरी को बतौर प्रत्याशी उतारा है तो वहीं, दूसरी तरफ बीजेपी से तीरथ सिंह रावत मैदान में है. ऐसे में यदि सपा यहां अपना कोई प्रत्याशी इस सीट से उतारती तो इसका असर प्रत्यक्ष रूप से कांग्रेस के वोट बैंक पर पड़ता. सपा प्रवक्ता ने कहा कि पार्टी का लक्ष्य बीजेपी को सत्ता से उखाड़ फेंकना है. क्योंकि जब से बीजेपी सत्ता में आई है तब से देश का माहौल बिगड़ चुका है.
वहीं, दूसरी तरफ जब ईटीवी भारत ने सपा के कांग्रेस प्रेम को लेकर बीजेपी ने चुटकी ली है. बीजेपी सह मीडिया प्रभारी संजीव शर्मा ने इसे महज एक दिखावा बताया है. उन्होंने कहा कि हकीकत ये है कि सपा के पास प्रदेश में ऐसा कोई ऐसा चेहरा नहीं है जिसे मोदी लहर के बीच चुनाव मैदान में उतारा जा सके. जिस कांग्रेस को सपा इस लोकसभा चुनाव प्रदेश में अपना समर्थन देने की बातें कर रही है. उसे ये नहीं भूलना चाहिए की यूपी में सपा ने कांग्रेस से किनारा कर लिया है.